सियाचिन ग्लेशियर भारत के लिए एक सुरक्षा कवच है जो हमारे देश की रक्षा करता है। यह एक बहुत ही दुर्गम स्थान है जहाँ सैनिकों का जीवन बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। सियाचिन ग्लेशियर के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र अपनी खूबसूरती के लिए कम और कठोर मौसम और युद्ध क्षेत्र होने के लिए ज्यादा जाना जाता है। यहाँ तैनात भारतीय सैनिकों ने देश के लिए बहुत बलिदान दिए हैं। यह स्थान भारतीयों के लिए गर्व का प्रतीक है।
क्या है सियाचिन ग्लेशियर?
हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत – पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास स्थित सियाचिन ग्लेशियर एक हिमानी है। यह काराकोरम ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सबसे बड़ा पाँच बड़े हिमानियो में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। सियाचिन ग्लेशियर पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है। भारत इसे अपने लद्दाख राज्य के लेह जिले के अधीन प्रशासित करता है।
समुद्रतल से इसकी ऊंचाई इसके स्रोत इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर (18,875 फीट) और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत का नियंत्रण अन्त करने के कई विफल प्रयत्न किए हैं और सियाचिन विवाद वर्तमानकाल में भी जारी है।
सियाचिन ग्लेशियर कहाँ स्थित है?
सियाचिन ग्लेशियर उस बिंदु के ठीक उत्तर-पूर्व में स्थित है जहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच ‘नियंत्रण रेखा’ समाप्त होती है। ‘नियंत्रण रेखा’ शब्द वह रेखा है जिस पर भारत और पाकिस्तान 1972 से कश्मीर के विभाजन के लिए सहमत हुए हैं। एक तरफ की भूमि भारत द्वारा नियंत्रित है और दूसरी तरफ पाकिस्तान द्वारा। यह ट्रांस हिमालय की कराकोरम श्रृंखला में सबसे लंबा ग्लेशियर है।
‘सियाचिन’ का अर्थ क्या है?
सियाचिन का अर्थ है “गुलाबों की भरमार”। यह नाम इस क्षेत्र में पाए जाने वाले खूबसूरत गुलाबों के कारण रखा गया है।
सियाचिन ग्लेशियर का क्या महत्व है?
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है और भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान है इसलिए सियाचिन ग्लेशियर भारत के लिए बहुत महत्व रखता है। यह भारत के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। सियाचिन ग्लेशियर भारत को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और चीन के बीच संभावित गठबंधन को रोकने में मदद करता है। यह क्षेत्र कई नदियों का उद्गम स्थल है जो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
सियाचिन ग्लेशियर पर सैनिकों का जीवन कैसा है
सियाचिन ग्लेशियर एक बहुत ही दुर्गम इलाका है इसलिए यहाँ के सैनिकों को बेहद कठिन परिस्थितियों में रहना और काम करना होता है। यहाँ का तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है और तेज हवाएं चलती रहती हैं जिस कारण बर्फबारी और हिमस्खलन का खतरा बना रहता है।
सैनिकों को ऑक्सीजन की कमी और पर्वतीय बीमारी जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इतनी ऊंचाई पर रहना मानव शरीर के लिए बहुत मुश्किल होता है। यहाँ सैनिकों को बहुत कम जगह में रहना होता है और उन्हें खाने के लिए सीमित विकल्प मिलते हैं।