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Home » युद्ध के साये में मृत्यु का भय: 2025 में सतज्ञान ही है उपाय | Fear of death in the shadow of war: True knowledge is the only solution

Disaster

युद्ध के साये में मृत्यु का भय: 2025 में सतज्ञान ही है उपाय | Fear of death in the shadow of war: True knowledge is the only solution

SA News
Last updated: May 9, 2025 2:38 pm
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Fear of death in the shadow of war True knowledge is the only solutio
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21वीं सदी के इस आधुनिक युग में, जहां विज्ञान और तकनीक ने मानव जीवन को सुविधाजनक बना दिया है, वहीं युद्ध, संघर्ष और आतंक ने जीवन और मृत्यु को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है। दुनिया के कई कोनों में चल रहे युद्ध न केवल निर्दोष जानों को लील रहे हैं, बल्कि मानवता के मूल्यों को भी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे समय में यह प्रश्न और भी प्रासंगिक हो जाता है: क्या युद्धों के साये में जीवन संभव है? और क्या मृत्यु ही शांति का अंतिम उत्तर है?

Contents
युद्ध के बीच जीवन का संघर्षमृत्यु का भय और शांति की उम्मीद क्या है सतज्ञान और क्यों है यह महत्वपूर्ण?भारत का दृष्टिकोण: शांति का सनातन मार्गआंतरिक शांति ही बाहरी समाधान का आधारसंत रामपाल जी महाराज का शांति, बंधुत्व और विश्व कल्याण का संदेशनिष्कर्ष: समाधान केवल आत्मज्ञान में हैयुद्ध के साये में मृत्यु का भय: 2025 में सतज्ञान ही है उपाय पर FAQs

विशेषज्ञों का मानना है कि शांति केवल राजनीतिक संधियों या युद्धविराम से नहीं आती, बल्कि यह तब संभव है जब समाज और व्यक्ति सतज्ञान यानी ‘सत्य का ज्ञान’ प्राप्त करें।

युद्ध के बीच जीवन का संघर्ष

हाल के वर्षों में सीरिया, यूक्रेन, गाजा पट्टी, इसराइल और कई अफ्रीकी देशों में जारी युद्धों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध का सबसे बड़ा बोझ आम नागरिकों को उठाना पड़ता है। बच्चे अनाथ हो रहे हैं, महिलाएं शोषण का शिकार हो रही हैं, और लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित होकर शरणार्थी जीवन जीने को मजबूर हैं।

इन हालातों में जीवन केवल एक संघर्ष बनकर रह गया है — भोजन, पानी, दवा और सुरक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें भी एक सपना बन चुकी हैं।

मृत्यु का भय और शांति की उम्मीद 

जहां एक ओर मृत्यु हर दिन लोगों के दरवाजे पर दस्तक दे रही है, वहीं दूसरी ओर मानव मन शांति की तलाश में भटक रहा है। लेकिन यह शांति कहां मिलेगी? इतिहास गवाह है कि युद्ध ने कभी स्थायी समाधान नहीं दिया। दो विश्व युद्धों के बाद भी दुनिया आज भी युद्धों की आग में झुलस रही है।

क्या है सतज्ञान और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

सतज्ञान का अर्थ होता है — जीवन, आत्मा, और सत्य के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान। भारतीय दर्शन में कहा गया है कि जब तक व्यक्ति अज्ञान में जीवन जीता है, तब तक वह भटकता रहता है। परंतु जैसे ही वह आत्मज्ञान की ओर बढ़ता है, भीतर से शांति प्राप्त होती है।

तत्व दर्शी संत के पास ही सत ज्ञान और समाधान होता है जो पूरे विश्व में एक मात्र संत रामपाल जी महाराज ही हैं इस पूरे ब्रह्मांड में उनके करोड़ों अनुयायिओं को तत्व ज्ञान देकर सुख शांति और विश्व कल्याण और मोक्ष के मार्ग अग्रसर हैं।

भारत का दृष्टिकोण: शांति का सनातन मार्ग

भारत प्राचीन काल से ही शांति, सहअस्तित्व और सत्य की भूमि रहा है। भगवद्गीता में भी उल्लेख हैं — “जो आत्मा को जानता है, वह न जीवन से डरता है और न मृत्यु से।” यह सतज्ञान ही है जो व्यक्ति को भय, द्वेष और मोह से मुक्त करता है। और उसके लिए तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

Also Read: यूक्रेन-रूस युद्ध विराम की ओर बढ़ते कदम, पुतिन, ट्रंप और मोदी की पहल से शांति की उम्मीद 

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी जब दुनिया राजनीतिक समाधान खोज रही है, भारत ने आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से शांति की राह दिखाई है — जैसे कि योग, ध्यान, वेदांत और अहिंसा के सिद्धांत। परन्तु आज भारत पाकिस्तान के बढ़ते तनाव और युद्ध भी मानव और मानवता के लिए चिंतनीय विषय है। 

आंतरिक शांति ही बाहरी समाधान का आधार

एक तथ्य यह भी है कि जब तक व्यक्ति स्वयं के भीतर शांति नहीं प्राप्त करता, वह समाज या विश्व को शांति नहीं दे सकता। आंतरिक अशांति बाहरी संघर्षों का कारण बनती है।

इसलिए आज के समय में ज़रूरत है कि हम युद्ध और मृत्यु के डर से ऊपर उठकर सत्य ज्ञान, करुणा और आत्मचिंतन की ओर बढ़ें।

संत रामपाल जी महाराज का शांति, बंधुत्व और विश्व कल्याण का संदेश

वर्तमान समय में जब पूरा विश्व युद्ध, धार्मिक संघर्ष और सामाजिक वैमनस्य की आग में जल रहा है, विज्ञान और तकनीक ने हमें ही अपने मौत का सामान गोला, बारूद, मिसाइल, ड्रोन आदि विध्वंशक हथियार तैयार करा दिया जो चिंतनीय है। कबीर परमेश्वर और उनके वास्तविक प्रतिनिधि संत रामपाल जी महाराज का शांति और विश्व बंधुत्व का संदेश संपूर्ण मानवता के लिए एक दिव्य प्रकाश है।

संत रामपाल जी महाराज जी का नारा है:


“जीव हमारी जाती है,मानव धरम हमारा।

 हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।”


उन्होंने जाति, धर्म, रंग या देश से ऊपर उठकर एकता और भाईचारे की बात की है। उन्होंने शास्त्रों से प्रमाण देकर समझाया है कि धर्म के नाम पर जो विभाजन हुआ है, वह शैतान का षड्यंत्र है ताकि हम परमेश्वर को भूलकर आपस में लड़ते रहें और इस मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य, अर्थात मोक्ष, को भूल जाएं। लेकिन संपूर्ण सृष्टि के रचयिता कबीर परमेश्वर या उनके संत समय-समय पर आकर इस मानव समाज को चेताते हैं कि व्यर्थ के झगड़ों में अपने अमूल्य जीवन का लक्ष्य मत भूलो।

यहां हर कोई किसी न किसी प्रकार के दुख से ग्रसित है – कोई शारीरिक रोग से, कोई आर्थिक संकट से, कोई पारिवारिक समस्याओं से, कोई व्यापारिक परेशानी से, और सबसे बड़ा रोग – जन्म और मृत्यु का – सभी को है। जब हम पहले से ही दुखी हैं, तो फिर किसी जमीन के टुकड़े या धर्म के नाम पर एक-दूसरे को क्यों कष्ट दें? क्या यही हमारे धर्म की शिक्षा है? बिल्कुल नहीं। कोई भी सच्चा धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता।

“ मजहब नहीं सीखता, आपस में बैर करना”

इस कठिन परिस्थिति हम सिर्फ यही कर सकते है नफरत न फैलाएं और नफरत फैलाने वाले को भी समझाए। संत रामपाल जी महाराज द्वारा आज कबीर साहेब के ज्ञान को पुनः जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है। वे बताते हैं कि सच्चा साधना मार्ग (सतभक्ति) अपनाने से ही अंतरात्मा में शांति आती है और समाज में कल्याण संभव है। उनका उद्देश्य है — एक ऐसा समाज जिसमें न कोई ऊँच-नीच हो, वैर-द्वेष, और जाती, धर्म न हो  केवल सद्भाव, सहयोग और आत्मज्ञान हो।

उनकी वाणी और सत्संग आज लाखों लोगों को हिंसा और अधर्म से हटाकर सच्चे आध्यात्मिक मार्ग पर ला रही है — जो स्थायी शांति और मोक्ष की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष: समाधान केवल आत्मज्ञान में है

इस अस्थिर और हिंसक विश्व में, जहां हर कोने में अशांति और भय फैला है, वहां केवल सतज्ञान ही शांति का मार्ग दिखा सकता है। युद्ध जीवन को निगलते हैं, जबकि ज्ञान जीवन को उन्नति देता है। इसलिए न केवल राष्ट्रों को, बल्कि हर व्यक्ति को आत्मचिंतन करना होगा — कि क्या हम युद्धों से सचमुच कुछ जीतते हैं? या हारते हैं केवल मानवता?

“युद्ध जीवन नहीं, विनाश लाता है। शांति केवल तब संभव है जब हम सतज्ञान को अपनाएं।”
क्या हिंसा और युद्धों से कुछ भी हासिल होता है? जानिए कैसे सत्य और ज्ञान की राह पर चलकर ही हम इस अराजकता में शांति और स्थायित्व पा सकते हैं। आज पूरे विश्व भर में संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायिओं का चरित्र प्राप्त सत् ज्ञान के आधार पर शांति और विश्व कल्याण और विश्व बंधुत्व की भावना रखते हैं ।

आप जी भी सत ज्ञान और जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के बारे में अधिक जानकारी हेतु www.jagatgururampalji.org पर visit कर सकते हैं।

युद्ध के साये में मृत्यु का भय: 2025 में सतज्ञान ही है उपाय पर FAQs

1. क्या युद्ध के समय मानसिक शांति संभव है?


हां, सतज्ञान और आत्मचिंतन के माध्यम से व्यक्ति आंतरिक शांति प्राप्त कर सकता है, भले ही बाहरी हालात युद्ध जैसे हों।

2. संत रामपाल जी महाराज शांति और मोक्ष के बारे में क्या बताते हैं?


वे शास्त्रों पर आधारित सतभक्ति और तत्वज्ञान का मार्ग बताते हैं, जिससे व्यक्ति न केवल शांति पाता है बल्कि मोक्ष की ओर भी अग्रसर होता है।

3. क्या आत्मज्ञान से मृत्यु का भय समाप्त किया जा सकता है?


हां, आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने पर व्यक्ति मृत्यु से नहीं डरता, जैसा कि भगवद्गीता में भी कहा गया है।

4. कबीर साहेब का ज्ञान आज के समय में कितना प्रासंगिक है?


वर्तमान युद्ध और अशांति के दौर में कबीर साहेब का ज्ञान सामाजिक एकता, शांति और आत्मकल्याण के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।

5. सतज्ञान कैसे जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है?
सतज्ञान व्यक्ति को अज्ञान, द्वेष और भय से मुक्त करता है और उसे करुणा, सहयोग और अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है।

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