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Home » होली के दिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके

Disaster

होली के दिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके

SA News
Last updated: March 15, 2025 3:17 pm
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होली के दिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके
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लद्दाख के कारगिल में 5.2 तीव्रता का भूकंप, जम्मू और श्रीनगर में भी महसूस किए गए झटके

Contents
भूकंप की घटना का विवरण नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की जानकारी जम्मू और कश्मीर में प्रभाव लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों की भूकंपीय संवेदनशीलता सामुदायिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय 

भूकंप की घटना का विवरण 

होली के अवसर पर शुक्रवार सुबह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र लद्दाख के कारगिल क्षेत्र में था, जिसकी तीव्रता 5.2 मापी गई। भूकंप सुबह 2:50 बजे आया और इसका केंद्र 15 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। भूकंप के झटकों ने जम्मू, श्रीनगर और आसपास के क्षेत्रों में भी लोगों को जागने पर मजबूर कर दिया। 

लद्दाख और कारगिल के निवासी, जो पहले से ही भूकंपीय जोखिम के क्षेत्र में रहते हैं, ने इस घटना को लेकर चिंताएं व्यक्त कीं। भूकंप के झटके इतने मजबूत थे कि लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं। हालांकि, शुरुआती रिपोर्टों में किसी भी बड़े नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं मिली है। यह घटना हिमालयी क्षेत्र की टेक्टोनिक गतिविधियों की एक और याद दिलाती है, जो अक्सर भूकंप का कारण बनती हैं। 

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की जानकारी 

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने इस भूकंप की गहराई और तीव्रता से जुड़ी जानकारी साझा की है। विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप का केंद्र 15 किलोमीटर गहराई में था और यह एक टेक्टोनिक प्रक्रिया का परिणाम है। यह क्षेत्र भूकंपीय जोन-IV में आता है, जो इसे अधिक संवेदनशील बनाता है। यह क्षेत्र हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों के सक्रिय क्षेत्रों में शामिल है, जो अक्सर भूकंप जैसी घटनाओं का कारण बनता है। 

■ Also Read: भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है। आइए जानते हैं कि भूकंप क्यों आते हैं और इससे बचाव के तरीके क्या हैं

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने सलाह दी है कि इस क्षेत्र में निवासियों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के निवासी विशेष भूकंपीय चेतावनी और आपदा प्रबंधन उपायों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किए जा रहे हैं। 

जम्मू और कश्मीर में प्रभाव 

भूकंप के झटके जम्मू, श्रीनगर और आसपास के क्षेत्रों में महसूस किए गए, जिससे लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के प्रभाव का सबसे ज्यादा असर उन क्षेत्रों में देखा गया जहां इमारतें भूकंपीय सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करती हैं। हालांकि, राहत की बात यह रही कि अभी तक किसी गंभीर क्षति या चोट की सूचना नहीं मिली है। 

स्थानीय प्रशासन ने लोगों को शांत रहने और सतर्क रहने की सलाह दी है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने बताया कि झटकों की तीव्रता उन्हें जागने पर मजबूर कर गई। जम्मू-कश्मीर में अक्सर इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं, जो भूकंपीय सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। 

लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों की भूकंपीय संवेदनशीलता 

लद्दाख और कारगिल जैसे क्षेत्र भूकंपीय जोन-IV में आते हैं, जो इन्हें भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। इस क्षेत्र की टेक्टोनिक गतिविधियां अक्सर भूकंप का कारण बनती हैं। लद्दाख, अपने पहाड़ी भूगोल और सीमित बुनियादी ढांचे के कारण, ऐसे झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील है। 

हिमालय की सक्रिय टेक्टोनिक प्लेट्स इस क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता का मुख्य कारण हैं। इन झटकों के कारण स्थानीय निवासियों को हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। इस घटना ने एक बार फिर से इस क्षेत्र में भूकंपीय तैयारी और सुरक्षा उपायों की जरूरत को उजागर किया है। 

सामुदायिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय 

भूकंप के बाद, स्थानीय समुदाय ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं। कई लोगों ने इस घटना को यादगार बताया और कहा कि यह उनकी भूकंपीय सुरक्षा की जागरूकता को बढ़ाने का अवसर है। 

आपदा प्रबंधन अधिकारी और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत सक्रिय होकर स्थिति का आकलन किया और सुनिश्चित किया कि कोई गंभीर नुकसान या जनहानि न हो। स्थानीय निवासियों को सलाह दी गई कि वे किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित स्थान पर शरण लें और सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें।

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