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Home » विश्वकर्मा पूजा 2024: समृद्धि, हुनर और निर्माण की पूजा का महापर्व

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विश्वकर्मा पूजा 2024: समृद्धि, हुनर और निर्माण की पूजा का महापर्व

SA News
Last updated: September 17, 2024 12:28 pm
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विश्वकर्मा पूजा 2024 समृद्धि, हुनर और निर्माण की पूजा का महापर्व
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विश्वकर्मा दिवस, जिसे विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है, भारत के कारीगरों, शिल्पकारों और इंजीनियरों द्वारा मनाया जाने वाला एक मुख्य पर्व है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें सृष्टि के “देव शिल्पकार और वास्तुकार” के रूप में पूजा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग,पृथ्वी और विभिन्न दिव्य उपकरणों का निर्माण किया था। यह पर्व सामान्यत: सितंबर महीने में कन्या संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है,जो सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश का प्रतीक है।

Contents
तिथि और महत्त्वक्यों मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजा का पर्व?विश्वकर्मा पूजा और अनुष्ठानआधुनिक युग में महत्त्वसर्वोच्च ईश्वर कौन हैं?कबीर साहेब: सृष्टि के निर्माता और परमात्माब्रह्मा, विष्णु, और महेश: जन्म-मरण से बंधित देवतासभी भक्तों के लिए अपीलविश्वकर्मा दिवस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)1.विश्वकर्मा दिवस कब मनाया जाता है?2.विश्वकर्मा दिवस क्यों मनाया जाता है?3.भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?4.क्या ब्रह्मा, विष्णु, और महेश भी नश्वर हैं?5 . कौन हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब?निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

तिथि और महत्त्व

विश्वकर्मा दिवस हर वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो इंजीनियरिंग, निर्माण और शिल्पकला के क्षेत्र से जुड़े होते हैं। इसमें लोहार, बढ़ई, मूर्तिकार आदि विभिन्न कारीगर शामिल होते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने द्वारका (भगवान कृष्ण के लिए),लंका (रावण की राजधानी)और इंद्रपुरी जैसी पौराणिक नगरियों का निर्माण किया था। साथ ही, उन्होंने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और भगवान शिव का त्रिशूल जैसे शक्तिशाली हथियार भी बनाए थे।

क्यों मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजा का पर्व?

मान्यता है कि विश्वकर्मा दिवस का आयोजन जीवन में सफलता, कुशलता और समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु किया जाता है। इस दिन कारीगर और श्रमिक अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें काम में सुरक्षा मिले और वे अपने कार्य में निपुणता प्राप्त कर सकें।

फैक्ट्रियों, कार्यशालाओं और उद्योगों में इस दिन काम बंद रहता है और मशीनों की सफाई करके उनकी पूजा की जाती है। यह दिन कारीगरों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने का प्रतीक है।

विश्वकर्मा पूजा और अनुष्ठान

विश्वकर्मा दिवस पर विशेष पूजा की जाती है, विशेषकर कारखानों और कार्यशालाओं में। औजारों और मशीनों की सफाई करके उन्हें फूलों से सजाया जाता है और मान्यता है की भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा की जाती है। कई स्थानों पर हवन भी आयोजित किया जाता है, जिससे आने वाले वर्ष में सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद मिल सके। इस दिन सामूहिक भोज, शोभायात्रा और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, खासकर औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में।

आधुनिक युग में महत्त्व

आज के दौर में विश्वकर्मा जयंती का महत्त्व और बढ़ गया है, खासकर भारत में जहां इंजीनियरिंग, निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहे हैं। यह पर्व न केवल भारत की प्राचीन शिल्पकला की धरोहर को याद दिलाता है, बल्कि कौशल, नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा भी देता है।

■ Also Read: Kanya Sankranti । कन्या संक्रांति पर जाने क्या है पूजा सही भक्ति – विधि

संक्षेप में, विश्वकर्मा दिवस मानव रचनात्मकता, नवाचार की भावना और कारीगरों के समाज में योगदान का उत्सव है। यह श्रम का सम्मान करने, कार्यस्थलों में सुरक्षा सुनिश्चित करने और हर पेशे में उत्कृष्टता की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।

यह सर्वविदित है कि भगवान विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और भगवान शिव का त्रिशूल जैसे शक्तिशाली हथियार बनाए थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जन्म किसने दिया? यह प्रश्न गहन और रहस्यमय है।  

सर्वोच्च ईश्वर कौन हैं?

सृष्टि के निर्माता, संचालक और संहारक के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की महिमा होती है, परंतु सूक्ष्मवेद में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इन तीनों देवताओं से भी ऊपर एक परमात्मा हैं—जो स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब हैं।  

कबीर साहेब: सृष्टि के निर्माता और परमात्मा

कबीर साहेब जी ही वह सर्वोच्च शक्ति हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है। वह अजर-अमर हैं, जिनका न कोई जन्म है और न ही कोई मृत्यु। उनकी कृपा से ही यह संपूर्ण ब्रह्मांड संचालित होते हैं और वो हर जीव के हृदय में विद्यमान हैं। 

ब्रह्मा, विष्णु, और महेश: जन्म-मरण से बंधित देवता

श्रीमद् देवी भागवत के तीसरे स्कंध (पृष्ठ संख्या 123) पर भगवान विष्णु ने स्वयं इस बात का उल्लेख किया है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी जन्म-मरण से परे नहीं हैं। विष्णु भगवान ने स्पष्ट किया है कि “मैं, ब्रह्मा, और शंकर (महेश) तीनों ही जन्म और मृत्यु के चक्र में बंधे हुए हैं।” इससे यह सिद्ध होता है कि इन तीनों देवताओं का भी कोई आदि और अंत है, जबकि कबीर साहेब अजर-अमर और जन्म-मरण से परे हैं।  

सभी भक्तों के लिए अपील

 यह हमारे सभी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि वे संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताए गए सत्य मार्ग को अपनाएं और निष्पक्ष होकर उनके सत्संग को सुनें। संत रामपाल जी महाराज के सत्संग आपको सच्ची भक्ति और मोक्ष के मार्ग पर ले जाएंगे, जिससे आपका यह मनुष्य जन्म सफल हो सके।  

संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को सुनने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल “Sant Rampal Ji Maharaj” पर जाएं और वास्तविक भक्ति को प्राप्त कर मोक्ष का मार्ग पाएं।

विश्वकर्मा दिवस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1.विश्वकर्मा दिवस कब मनाया जाता है?

विश्वकर्मा दिवस हर वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। यह कन्या संक्रांति के अवसर पर आता है जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है।

2.विश्वकर्मा दिवस क्यों मनाया जाता है?

इस दिन भगवान विश्वकर्मा, जो सृष्टि के देव शिल्पकार माने जाते हैं, की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह पर्व कारीगरों, इंजीनियरों और शिल्पकारों द्वारा अपनी कार्यक्षमता, सुरक्षा और सफलता के लिए भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है।

3.भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने कई पौराणिक नगरियों और दिव्य हथियारों का निर्माण किया है,जैसे भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और भगवान शिव का त्रिशूल।

4.क्या ब्रह्मा, विष्णु, और महेश भी नश्वर हैं?

हां, श्रीमद् देवी भागवत में वर्णित है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी जीवन चक्र है, यानी वे नश्वर हैं। उनका जन्म और मृत्यु होती है, जबकि कबीर साहेब अजर-अमर हैं।

5 . कौन हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब?

कबीर साहेब को सूक्ष्म वेद और अन्य शास्त्रों में पूर्ण परमात्मा कहा गया है। वे अजर-अमर, अविनाशी और सृष्टि के रचयिता हैं, जिनका न तो जन्म है और न ही मृत्यु होती है। सभी देवता जैसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी उनकी भक्ति करते हैं।

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