Suicide Rates have Increased among Students in india छात्रों में आत्महत्या दर में वृद्धि: भारत में जिस तेज़ी से जनसंख्या दर में वृद्धि हुई है और उससे भी अधिक छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं, जो कि चिंता का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक पांच वर्षों में महिला और पुरुष आत्महत्याओं के मामलों में औसतन 5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है। छात्र आत्महत्या के मामलों की संख्या संभावित डेटा से अधिक होने की संभावनाएं हैं
Suicide Rates have Increased among Students मुख्य बिंदु:
- भारत में छात्र आत्महत्या की दर 4 प्रतिशत बढ़ी है जो देश के लिए चिंता का विषय बन गया है।
- बीते दो दशक से छात्र आत्महत्याएं 4% वार्षिक दर से बढ़कर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी हुईं।
- जनसंख्या वृद्धि दर से ज़्यादा निकले छात्र आत्महत्या के आंकड़ें, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे छात्र।
- रिपोर्ट के अनुसार साल में 13,000 से अधिक छात्र शैक्षणिक, आर्थिक, मानसिक और अन्य चुनौतियों के कारण आत्महत्या कर रहे।
- बीते दशक लिंगवार आत्महत्याओं में पुरुष 50 प्रतिशत और महिला आत्महत्याओं में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई दर्ज।
- भारत सरकार को तत्काल उचित कदम उठाने की है आवश्यकता, शिक्षा में प्रतिस्पर्धा के बजाय समुचित विकास के व्यापक मुद्दों पर करें विचार।
- छात्रों को प्राथमिक जीवन और कक्षाओं से ही आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ें, जिससे वे कीमती मानव जीवन को समझकर अपना कल्याण करवा सकें।
भारत में छात्र आत्महत्या का मामला बना चिंता का विषय
भारत में फैल रही महामारी’ रिपोर्ट जिसे वार्षिक आईसी3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 ने पेश किया। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित है। आईसी 3 संस्थान द्वारा संकलित डेटा के अनुसार, कुल आत्महत्याओं की संख्या में साल में 2 प्रतिशत की वृद्धि और बीते दो दशकों से छात्र आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि छात्र आत्महत्या के मामलों में कम रिपोर्टिंग होने की संभावना बताई जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक,
- 2022 में कुल छात्र आत्महत्याओं की संख्या पुरुष छात्रों में 53 प्रतिशत थी।
- 2021 और 2022 के बीच पुरुष छात्र आत्महत्या में 6 प्रतिशत की कमी हुई और महिला छात्र की आत्महत्या में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- 2021 में 13,089 छात्र आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं। 2022 में छात्र आत्महत्याओं की संख्या 13,044 रही।
- छात्र और सामान्य आबादी दोनों को कवर करने वाली कुल आत्महत्या दर 2021 में 1,64,033 से बढ़कर 2022 में 1,70,924 हो गई।
- पिछले दशक में 0-24 वर्ष की आयु के बच्चों की जनसंख्या 582 मिलियन थी, जो कि घटकर 581 मिलियन और छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई।
- आईसी3 संस्थान की पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 13,000 से अधिक छात्र हर साल आत्महत्या करके मर जाते हैं।
- छात्रों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं 7.6 प्रतिशत हैं, जो कुल आत्महत्या अन्य व्यवसायों जैसे किसानों, वेतनभोगी श्रमिकों, बेरोज़गार व्यक्तियों और स्वरोज़गार करने वालों के बराबर है।
डेटा में विसंगति की संभावना
NCRB द्वारा जारी डेटा पुलिस द्वारा दर्ज FIR पर आधारित है। जिससे वास्तविक आत्महत्या की संख्या में कम रिपोर्ट दर्ज होने की संभावनाएं बताई जा रही है। आंकड़ों में विसंगति के लिए कई कारक ज़िम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें आत्महत्या से जुड़ा सामाजिक कलंक और भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास और आत्महत्या में सहायता प्राप्त होने पर अपराधीकरण शामिल हैं। डेटा में विसंगति के कई कारण हो सकते हैं। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग कम होती है अथवा एक मज़बूत डेटा संग्रह प्रणाली का अभाव हो सकता है।
किन राज्यों में मिले आत्महत्या के अधिक मामले?
रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जहां छात्र आत्महत्या के मामले ज्यादा है, जो कि देश में होने वाले कुल आत्महत्याओं का एक तिहाई हिस्सा है। दक्षिण राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामूहिक रूप से आत्महत्या के मामले 29 प्रतिशत है। वहीं राजस्थान 10वें स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश राज्य सबसे अधिक छात्र आत्महत्या दर वाले पांच राज्यों में शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सबसे अधिक छात्र आत्महत्या वाले राज्य:
- महाराष्ट्र में 1,764 आत्महत्याएं जो कि 14% है,
- तमिलनाडु में 1,416 आत्महत्याएं 11%
- मध्य प्रदेश में 1,340 आत्महत्याएं 10%
- उत्तर प्रदेश और झारखंड में कुल आत्महत्या के मामले 8% और 6% है।
छात्रों के शैक्षणिक वातावरण में बदलाव की आवश्यकता
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15 से 24 वर्ष की आयु के बीच सात में से एक युवा अवसाद और उदासीनता के लक्षण लेकर खराब मानसिक स्वास्थ्य से गुज़र रहा है। आईसी3 मूवमेंट के संस्थापक गणेश कोहली ने कहा कि शिक्षार्थियों को प्रतिस्पर्धात्मक प्रेरणा के बजाय उनकी क्षमताओं और समुचित विकास के मुद्दों पर काम करना चाहिए। प्रत्येक संस्थान में काउंसलिंग के बुनियादी ढांचे और बेहतर छात्रों की आकांक्षाओं को गहराई से समझना चाहिए। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सहजता, व्यापकता और कॉलेज परामर्श प्रणाली का निर्माण करना चाहिए।
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छात्रों में आत्महत्या करने के कारण
छात्रों में आत्महत्या के लिए कई कारक ज़िम्मेदार हैं। मजबूरी में कैरियर का चुनाव, शैक्षिक संस्थानों से समर्थन की कमी, शैक्षणिक परिवेश की कमी, रैगिंग और बदमाशी, भेदभाव, वित्तीय तनाव, बदलती पारिवारिक संरचना, भावनात्मक उपेक्षा, बेरोजगारी, सामाजिक उदासीनता, शारीरिक अबयूस और अज्ञात मनोरोग, विकार आदि शामिल हो सकते हैं। भारत में छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए तत्काल उचित कदम उठाने की कड़ी आवश्यकता है। भारत में आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए विभिन्न हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध हैं:
1. आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन 1800-233-3330
2. चाइल्डलाइन 1098
3. डॉक्टर्स हेल्पलाइन (AIIMS) 91-11-26588500
4. मनोरोग विभाग, NIMHANS +91-80-26995267
ये हेल्पलाइन नंबर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सहायता और समर्थन प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। अगर आप या आपके जानने वाला कोई व्यक्ति मानसिक संकट में है, तो तुरंत मदद प्राप्त करने के लिए इन नंबरों का उपयोग करें।
पूर्ण परमात्मा जीव को तनाव से मुक्त करते हैं
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा का नाम कविर्देव/कबीर है। इसके अलावा पवित्र चारों वेद, कुरान शरीफ, गीता, बाइबिल भी कबीर साहेब जी को पूर्ण परमात्मा होने की गवाही देते हैं। पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरु अर्थात तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर करने से परमात्मा भक्त की प्रत्येक चिंता को मेटकर कार्य आसान करते हैं।
चिंता खा गई जगत को, चिंता जग कि पीर।
जो चिंता को मेट दे, ताका नाम कबीर ।।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी के अनुसार, आत्महत्या करना परमात्मा के विधान के खिलाफ है। उनके अनुसार, जीवन एक अमूल्य उपहार है जिसे परमात्मा ने हमें दिया है, और इसे समाप्त करना एक गंभीर पाप है। संत रामपाल जी के अनुसार, आत्महत्या का विचार हमारे जीवन के उद्देश्य और परमात्मा की इच्छा का उल्लंघन है।
वह अपनी शिक्षाओं में यह भी बताते हैं कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं का समाधान आत्महत्या में नहीं, बल्कि परमात्मा की ओर मुड़ने और सही मार्ग पर चलने में है। वे यह भी सिखाते हैं कि ईश्वर की भक्ति और सत्कर्मों के माध्यम से जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त किया जा सकता है, जिससे आत्महत्या जैसी विचारधारा से बचा जा सकता है। आज विश्व में पूर्ण संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं, जो पवित्र शास्त्रों अनुसार सत भक्ति प्रदान कर रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel विज़िट करें।
Suicide Rates have Increased among Students छात्रों में आत्महत्या दर में वृद्धि: FAQs
1. छात्रों में आत्महत्या दर बढ़़ने के मुख्य कारण क्या हैं?
छात्रों में आत्महत्या दर बढ़़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अत्यधिक मानसिक तनाव, अकादमिक दबाव, पारिवारिक समस्याएँ, सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ।
2. क्या अत्यधिक पढ़ाई और परीक्षा का दबाव आत्महत्या का कारण बन सकता है?
हां, अत्यधिक पढ़ाई और परीक्षा का दबाव छात्रों पर भारी मानसिक तनाव डाल सकता है, जो आत्महत्या के जोखिम को बढ़ा सकता है। अनियंत्रित दबाव और असफलता का डर भी इन समस्याओं को बढ़ाता है।
3. छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे सुधारा जा सकता है?
मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए, छात्रों को उचित सलाह और समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए। स्कूलों में काउंसलिंग सेवाओं का विस्तार करना, माता-पिता और शिक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूक करना और तनाव प्रबंधन की तकनीकों को सिखाना आवश्यक है।
4. आत्महत्या की प्रवृत्ति को पहचानने के लिए कौन से संकेत होते हैं?
आत्महत्या की प्रवृत्ति के संकेतों में निराशा, अत्यधिक चुप्पी, आत्म-मूल्य की कमी, अचानक व्यवहार में बदलाव और दोस्तों और परिवार से दूरी बनाना शामिल हो सकते हैं। यदि इन संकेतों को समय पर पहचान लिया जाए, तो उचित मदद दी जा सकती है।
5. IC3 संस्थान छात्रों के लिए क्या करता है?
IC3 (Institute for Career and College Counseling) यह संस्थान छात्रों को कैरियर मार्गदर्शन और काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करता है। इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी शिक्षा और कैरियर के विकल्पों को समझने में मदद करना है, ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें। यह संस्थान छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान देता है, जैसे कि तनाव और आत्महत्या के जोखिमों को कम करने के लिए समर्थन प्रदान करना।
6. समाज और सरकार को इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
समाज और सरकार को मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और समर्थन सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए। स्कूली पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विषयों को शामिल करना, हेल्पलाइन्स और काउंसलिंग सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाना, और सामाजिक स्टीगमा को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।