- पीएम मोदी ने की सराहना: मध्य प्रदेश का माधव राष्ट्रीय उद्यान बना नया टाइगर रिज़र्व।
- क्षेत्रफल: 37,523 हेक्टेयर में फैला यह रिज़र्व जैव विविधता को बढ़ावा देगा।
- बाघों की संख्या: हाल ही में एक बाघिन को छोड़ा गया, जिससे कुल बाघों की संख्या 6 हो गई, जिनमें 2 शावक भी शामिल हैं।
- बाघ पुनरुत्पादन परियोजना: 2023 में यहां दो मादाओं सहित तीन बाघों को लाया गया था।
- पर्यटन लाभ: जंगल सफारी और इको-टूरिज़्म को मिलेगा बढ़ावा, स्थानीय रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।
- मध्य प्रदेश: ‘टाइगर स्टेट’ की पहचान: अखिल भारतीय बाघ गणना 2022 के अनुसार, मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं, जो इसे भारत में बाघ संरक्षण का सबसे मज़बूत राज्य बनाता है।
माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1956 में हुई थी। इसका नाम ग्वालियर रियासत के महाराजा माधवराव सिंधिया के नाम पर रखा गया। ब्रिटिश शासन के दौरान यह क्षेत्र शिकारगाह के रूप में प्रसिद्ध था, जहां महाराजा सिंधिया और ब्रिटिश अधिकारी शिकार के लिए आते थे। आज, यह वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
माधव टाइगर रिज़र्व का क्षेत्रफल
माधव टाइगर रिज़र्व 1,751 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें:
कोर क्षेत्र: 375 वर्ग किमी
बफर ज़ोन: 1,276 वर्ग किमी
यह क्षेत्र घने जंगल, घास के मैदान और जल स्रोतों से भरपूर है, जो इसे बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए उपयुक्त निवास स्थान बनाते हैं। यहां तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, लकड़बग्घे और अन्य जीव-जंतु भी पाए जाते हैं।
बाघ संरक्षण के प्रयास
माधव टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए 10 मार्च 2025 को एक बाघिन को मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रिज़र्व में छोड़ा। इसे पन्ना टाइगर रिज़र्व से लाया गया था। अब कुल 6 बाघ हो गए हैं, जिनमें 2 शावक शामिल हैं।
बाघों को नए क्षेत्र में छोड़ना चुनौतीपूर्ण क्यों?
बाघों को एक नए क्षेत्र में बसाना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है। उन्हें नए वातावरण में ढलने में समय लगता है। वन विभाग के विशेषज्ञ उनकी गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। सूत्रों के अनुसार, भविष्य में एक और बाघ छोड़ा जा सकता है।
माधव टाइगर रिज़र्व से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
मध्य प्रदेश में पहले से ही कान्हा, बांधवगढ़, पेंच और सतपुड़ा जैसे प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व हैं। अब, माधव टाइगर रिज़र्व जुड़ने से पर्यटकों को एक और शानदार गंतव्य मिलेगा। सरकार इसे इको-टूरिज़्म हब के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक्स पर पोस्ट किया
“58वीं दहाड़ और गिनती जारी! यह घोषणा करते हुए रोमांचित हूं कि देश ने अपने 58वें टाइगर रिज़र्व को अपनी सूची में शामिल कर लिया है।”
वन्यजीवों का संरक्षण: मानव का परम कर्तव्य
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, वन्यजीवों का संरक्षण मानव का परम कर्तव्य है। लेकिन केवल टाइगर रिज़र्व बनाना पर्याप्त नहीं है। जब तक हिंसा, शिकार और मांसाहार जारी रहेगा, तब तक जीव-संरक्षण अधूरा रहेगा। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने अहिंसा और जीव दया का संदेश दिया, जिससे संपूर्ण सृष्टि का कल्याण संभव है। यदि सत् भक्ति ग्रहण कर संपूर्ण सृष्टि के प्रति दयालु बनें, तो जीवों का वास्तविक संरक्षण होगा।
FAQs about माधव टाइगर रिज़र्व
प्रश्न 1: माधव टाइगर रिज़र्व कहां स्थित है?
उत्तर: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में।
प्रश्न 2: माधव टाइगर रिज़र्व का कुल क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर: 1,751 वर्ग किलोमीटर, जिसमें 375 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 1,276 वर्ग किलोमीटर बफर जोन शामिल है।
प्रश्न 3: माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: 1956 में।
प्रश्न 4: इसे 58वें टाइगर रिज़र्व के रूप में कब घोषित किया गया?
उत्तर: 9 मार्च 2025 को।
प्रश्न 5: वर्तमान में माधव टाइगर रिज़र्व में कितने बाघ हैं?
उत्तर: 6 बाघ, जिनमें 2 शावक शामिल हैं।