Rajasthan New Tiger Reserve: राजस्थान सरकार ने हाल ही में कुंभलगढ़ को राज्य का छठा बाघ अभ्यारण बनाने की घोषणा की है। बीते एक सप्ताह पहले भरतपुर करौली और धौलपुर को मिलाकर पांचवां बाघ अभ्यारण बनाने की घोषणा हो चुकी है।
वन्य जीव संरक्षण: राजस्थान का नया टाइगर रिजर्व
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने नये बाघ अभ्यारण को लेकर हरी झंडी दे दी है। उदयपुर राजसमंद ब्यावर पाली और सिरोही को मिलाकर राज्य को अब छटा बाघ अभ्यारण मिलने जा रहा है। इससे पूर्व करौली, धौलपुर और भरतपुर को जोड़कर पांचवां टाइगर रिजर्व बनाने की घोषणा भजन लाल शर्मा ने कर दी थी।
राजस्थान के जंगलों में बाघों की बढ़ती दहाड़
राजस्थान के वनों में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत बनाने के उद्देश्य को लेकर टाइगर रिजर्व बनाने की योजना को मंजूरी मिली है। बता दे की कुंभलगढ़ बाघ अभ्यारण में फ्लोर टेस्ट के लिए शुरुआत में दो बाघ रखे जाएंगे उसके बाद बाकी बाघों को Adjust किया जाएगा। वन विभाग की इस पहल को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी है, और जल्द ही राज्य सरकार से भी अधिसूचना जारी की जाएगी।
नया टाइगर रिजर्व: संरचना और क्षेत्रफल
राजस्थान में बनने जा रहे हैं छठे बाग अभ्यारण कुंभलगढ़ के लिए कुल क्षेत्रफल 1397 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा भरतपुर और धौलपुर में बनने वाले पांचवें टाइगर रिजर्व के लिए कुल क्षेत्रफल 1058 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया था। जिसमें 368 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया और 690 वर्ग किलोमीटर का बफर एरिया शामिल होगा।
वन विभाग की योजना के अनुसार, करौली जिले का 197 वर्ग किलोमीटर और धौलपुर जिले का 170 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कोर एरिया में शामिल होगा। साथ ही मासलपुर रेंज, धौलपुर के सरमथुरा में झिरी वन क्षेत्र और भरतपुर के वन क्षेत्र को भी इस टाइगर रिजर्व का हिस्सा बनाया जाएगा। कोर एरिया उन क्षेत्रों में होता है जहाँ बाघों के लिए विशेष रूप से संरक्षित निवास स्थान होता है, जबकि बफर एरिया टाइगर रिजर्व के चारों ओर की वह परिधि है जहाँ वन्यजीव संरक्षण के साथ ही पर्यटन गतिविधियों की भी अनुमति होती है।
राजस्थान में टाइगर रिजर्व का विकास और विस्तार
वर्तमान में राज्य के अंदर चार टाइगर रिजर्व हैं।
1. रणथंभौर अभ्यारण – सवाई माधोपुर
2. सरिस्का अभ्यारण – अलवर
3. मुकुंदरा बाग अभ्यारण – कोटा
4. रामगढ़ टाइगर रिजर्व – बूँदी
अब पांचवें टाइगर रिजर्व के रूप में करौली, धौलपुर और भरतपुर तथा छटे बाघ अभ्यारण के लिए राजसमंद पाली सिरोही उदयपुर और ब्यावर के जंगलों को शामिल किया जा रहा है।
वन विभाग कमेटी ने साल 2022 की शुरुआत में ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिसमें रणथम्भौर अभ्यारण्य के दूसरे डिवीजन के रूप में करौली जिले के कैलादेवी अभयारण्य और धौलपुर के जंगलों को जोड़ने की मांग की गई थी।
राजस्थान में वाइल्डलाइफ टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
राजस्थान में नए टाइगर रिजर्व के बनने से वन्यजीव पर्यटन को नए आयाम मिलेंगे। नए टाइगर रिजर्व से रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के बाघों पर दबाव कम होगा और बाघों को विस्तृत क्षेत्रफल में बेहतर टेरेटरी मिल सकेगी। पर्यटकों के लिए भी यह नया टाइगर रिजर्व एक आकर्षण का केंद्र बनेगा, जो पर्यावरणीय पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगा। इस क्षेत्र में पर्यटन के कारण करौली, धौलपुर, और भरतपुर जिलों में होटल, रिसॉर्ट, गाइड और अन्य पर्यटन-संबंधी सेवाओं की मांग में भी वृद्धि होगी।
कूनो चीता अभयारण्य से भी मिलेगा जुड़ाव
नया टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश में स्थित कूनो चीता अभयारण्य से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो सवाई माधोपुर और धौलपुर से सटे हुए हैं। ऐसे में पर्यटक आसानी से इन दोनों स्थानों पर भी भ्रमण कर सकेंगे। इससे वन्यजीव पर्यटन के लिए एक नया कॉरिडोर विकसित होगा, जिससे राजस्थान और मध्य प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी।
वन्य जीव संरक्षण के लिए एक नई पहल
राजस्थान में बाघों के संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों में यह कदम महत्वपूर्ण है। नए टाइगर रिजर्व का गठन न केवल वन्यजीवों के संरक्षण में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह राज्य में जैव विविधता को बनाए रखने में भी सहायक होगा। वन्यजीव संरक्षण के इस प्रयास से ना केवल वन्यजीवों को सुरक्षित आवास मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
राजस्थान में नए टाइगर रिजर्व बनने से वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन दोनों में वृद्धि की उम्मीद है। इससे न केवल बाघों के संरक्षण में सुधार होगा बल्कि इन क्षेत्रों में पर्यटन के माध्यम से स्थानीय समुदायों को भी लाभ होगा। राजस्थान की इस नई पहल को वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षकों ने सराहा है, और यह राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है