SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » Information Overload क्या हमें कम समझदार बना रहा है?

Lifestyle

Information Overload क्या हमें कम समझदार बना रहा है?

SA News
Last updated: December 26, 2025 11:25 am
SA News
Share
Information Overload क्या हमें कम समझदार बना रहा है?
SHARE

डिजिटल युग में हम सूचना की बाढ़ और सूचनाओं के महासागर में जी रहे हैं। मोबाइल नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया फीड, ब्रेकिंग न्यूज़, व्हाट्सऐप फॉरवर्ड और यूट्यूब शॉर्ट्स-हर पल नई जानकारी सामने आती रहती है, जिसे अक्सर डिजिटल ओवरलोड या सूचना अधिभार कहा जाता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह अत्यधिक जानकारी हमें वास्तव में ज्यादा समझदार बना रही है या हमें भ्रमित और उलझा रही है? यह समस्या न केवल हमारी एकाग्रता और ध्यान की कमी को बढ़ा रही है, बल्कि निर्णय क्षमता में गिरावट, मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर, डिजिटल थकान और लगातार मानसिक तनाव भी पैदा कर रही है। साथ ही यह हमारे सामाजिक व्यवहार और सोचने की दिशा को भी गहराई से बदल रही है।

Contents
  • Information Overload क्या है?
  • डिजिटल युग में Information Overload क्यों बढ़ा?
    • सोशल मीडिया का विस्तार – फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब:
    • 24×7 न्यूज़ साइकिल – हर मिनट ब्रेकिंग न्यूज़:
    • एल्गोरिदम आधारित कंटेंट – जो हमें लगातार स्क्रॉल करने को मजबूर करता है:
  • ज्यादा जानकारी, कम समझ-कैसे?
    • गहराई की जगह सतही ज्ञान
    • फोकस और ध्यान में कमी
    • निर्णय लेने में भ्रम (एनालिसिस पैरालिसिस)
    • याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव
    • तनाव, चिंता और मानसिक थकावट
  • Information Overload का सामाजिक प्रभाव
  • क्या समाधान संभव है?
  • संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान और मानसिक स्पष्टता
  • Information Overload पर FAQs

Information Overload क्या है?

Information Overload (जिसे हिंदी में सूचना अधिभार या डिजिटल ओवरलोड भी कहा जाता है) का अर्थ है-जब किसी व्यक्ति को उसकी समझने की क्षमता, उपलब्ध समय और संसाधनों से अधिक जानकारी मिल जाती है, जिससे वह सही निर्णय लेने, गहराई से समझने या प्रभावी ढंग से काम करने में असमर्थ हो जाता है। यह स्थिति मस्तिष्क की सीमित प्रोसेसिंग क्षमता से ज्यादा सूचनाओं के कारण उत्पन्न होती है, जिसे कॉग्निटिव फटीग (Cognitive Fatigue) या मानसिक थकान कहा जाता है।

आज डिजिटल युग में औसतन एक व्यक्ति प्रतिदिन हजारों शब्दों की डिजिटल सामग्री पढ़ता या देखता है-रिसर्च के अनुसार, एक अमेरिकी व्यक्ति रोजाना लगभग 34 गीगाबाइट डेटा (लगभग 100,000 शब्दों के बराबर) कंज्यूम करता है। विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि अत्यधिक जानकारी मस्तिष्क को थका देती है और कॉग्निटिव फटीग पैदा करती है, जिससे ध्यान की कमी, तनाव और निर्णय क्षमता में गिरावट आती है।

डिजिटल युग में Information Overload क्यों बढ़ा?

आज का डिजिटल युग हमें सूचना की बाढ़ और डिजिटल ओवरलोड से घेर रहा है, जहां हर पल नई जानकारी का सैलाब आता रहता है। यह स्थिति न केवल हमारी दैनिक जीवनशैली को प्रभावित कर रही है, बल्कि मानसिक थकान (कॉग्निटिव फटीग) और निर्णय क्षमता में गिरावट जैसी समस्याओं को भी जन्म दे रही है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की एक स्टडी के अनुसार, आधुनिक संगठनों में हमेशा ऑन रहने वाली कम्युनिकेशन पॉलिसी सूचना अधिभार को बढ़ावा देती है, जिससे उत्पादकता घटती है।

सोशल मीडिया का विस्तार – फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब:

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का तेजी से फैलाव डिजिटल ओवरलोड का एक प्रमुख कारण है। ये प्लेटफॉर्म्स हमें लगातार पोस्ट्स, स्टोरीज और रील्स से बांधे रखते हैं, जिससे सूचना अधिभार बढ़ता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से यूजर्स में सूचना ओवरलोड बढ़ता है, जो स्वास्थ्य सेल्फ-एफिकेसी को कमजोर करता है और मानसिक तनाव पैदा करता है।

24×7 न्यूज़ साइकिल – हर मिनट ब्रेकिंग न्यूज़:

मीडिया का 24/7 न्यूज़ साइकिल, जहां हर मिनट ब्रेकिंग न्यूज़ और अपडेट्स आते रहते हैं, सूचना की बाढ़ को और तेज करता है। यह संस्कृति हमें लगातार सूचित रखने के नाम पर मानसिक ओवरलोड पैदा करती है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज़ से जुड़ी स्ट्रेस और मीडिया सैचुरेशन ओवरलोड बढ़ रहा है, जो मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।

एल्गोरिदम आधारित कंटेंट – जो हमें लगातार स्क्रॉल करने को मजबूर करता है:

सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के एल्गोरिदम व्यक्तिगत पसंद के आधार पर कंटेंट दिखाते हैं, जो हमें अंतहीन स्क्रॉलिंग और एडिक्शन में फंसा देते हैं। यह डिजिटल ओवरलोड को बढ़ावा देता है क्योंकि एल्गोरिदम रिवार्ड सिस्टम को हाइजैक कर लेते हैं। बायलर यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च से पता चलता है कि टिकटॉक जैसे ऐप्स के एल्गोरिदम एंगेजमेंट बढ़ाकर एडिक्शन पैदा करते हैं, जो सूचना अधिभार का कारण बनता है।

Also Read : सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव

ज्यादा जानकारी, कम समझ-कैसे?

डिजिटल युग में सूचना अधिभार (Information Overload) या डिजिटल ओवरलोड हमें सतही ज्ञान (superficial knowledge) की ओर धकेल रहा है, जहां हम बहुत कुछ जानते हैं लेकिन गहराई से कुछ नहीं समझते। इससे ध्यान की कमी (attention deficit), निर्णय क्षमता में गिरावट (impaired decision-making) और कॉग्निटिव फटीग (cognitive fatigue) जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। आइए विस्तार से समझते हैं:

गहराई की जगह सतही ज्ञान

ज्यादा जानकारी हमें स्क्रॉलिंग और क्विक रीडिंग की आदत डाल देती है, जिससे गहरा ज्ञान (deep understanding) कम होता है। रिसर्च दिखाती है कि सूचना अधिभार मेमोरी और लर्निंग को प्रभावित करता है, क्योंकि हम सतही स्तर पर ही रह जाते हैं।

फोकस और ध्यान में कमी

लगातार नोटिफिकेशन और मल्टीटास्किंग से ध्यान बंटता है, जिससे कॉग्निटिव फटीग बढ़ती है। स्टडीज बताती हैं कि इंफॉर्मेशन ओवरलोड ध्यान की क्षमता कम कर देता है।

निर्णय लेने में भ्रम (एनालिसिस पैरालिसिस)

ज्यादा ऑप्शंस और डेटा से निर्णय टलते हैं-इसे एनालिसिस पैरालिसिस (Analysis Paralysis) कहते हैं। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की स्टडीज में पाया गया कि अत्यधिक जानकारी से लोग निर्णय टालने लगते हैं या गलत चुनते हैं।

याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव

ओवरलोड से वर्किंग मेमोरी प्रभावित होती है, जिससे लॉन्ग-टर्म रिटेंशन कम होता है।

तनाव, चिंता और मानसिक थकावट

यह मानसिक तनाव (mental stress) और एंग्जायटी बढ़ाता है, जिससे बर्नआउट का खतरा होता है।

image 44

Information Overload का सामाजिक प्रभाव

सूचना अधिभार समाज को भी प्रभावित कर रहा है:

  • समाज में असहिष्णुता और जल्दबाजी: पोलराइजेशन बढ़ता है, जहां लोग जल्दी जजमेंट लेते हैं।
  • अफवाहों का तेजी से फैलाव: फेक न्यूज और मिसइंफॉर्मेशन आसानी से वायरल होती है।
  • विवेकहीन बहस और ट्रोल कल्चर: एको चैंबर्स बनते हैं, जहां ट्रोलिंग और हेट स्पीच बढ़ती है।
  • सत्य और असत्य में अंतर की कमी: ओवरलोड से लोग फैक्ट चेक नहीं करते, जिससे सोशल पोलराइजेशन बढ़ता है। स्टडीज दिखाती हैं कि इंफॉर्मेशन ओवरलोड फेक न्यूज स्प्रेड को बढ़ावा देता है।

क्या समाधान संभव है?

हाँ, बिल्कुल! विशेषज्ञ व्यावहारिक उपाय सुझाते हैं, जैसे डिजिटल डिटॉक्स (digital detox) और माइंडफुलनेस।

  • सीमित और विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी लें: क्वालिटी इंफॉर्मेशन पर फोकस करें।
  • डिजिटल डिटॉक्स अपनाएं: स्क्रीन टाइम लिमिट करें, नोटिफिकेशन ऑफ करें।
  • Deep Reading और चिंतन की आदत डालें: किताबें पढ़ें, माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें।
  • Quantity नहीं, Quality Information पर ध्यान दें: फिल्टर टूल्स इस्तेमाल करें।
  • आत्मज्ञान और विवेक को प्राथमिकता दें: मेडिटेशन और ऑफलाइन एक्टिविटी बढ़ाएं।

संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान और मानसिक स्पष्टता

आज Information Overload के इस युग में मनुष्य के पास ज्ञान का अंबार है, लेकिन विवेक और आत्मबोध की कमी स्पष्ट दिखाई देती है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्चा ज्ञान वह है जो आत्मा को शांति दे, भ्रम नहीं। शास्त्रों के अनुसार, अधूरा और असत्य ज्ञान मनुष्य को भटकाता है, जबकि तत्वज्ञान जीवन को सही दिशा देता है।

आज की जानकारी प्रधान दुनिया में मनुष्य बाहरी सूचनाओं में इतना उलझ गया है कि वह अपने वास्तविक उद्देश्य को भूलता जा रहा है। मोबाइल और मीडिया ने हमें सूचित तो किया, लेकिन आत्मचिंतन से दूर कर दिया। जब तक ज्ञान सत्य, प्रमाणित और पूर्ण नहीं होता, तब तक वह मुक्ति और शांति नहीं दे सकता।

Information Overload से बचने का स्थायी समाधान केवल डिजिटल सीमाएं तय करना नहीं है, बल्कि सत्य ज्ञान को अपनाना है। जब मनुष्य सही गुरु से प्राप्त तत्वज्ञान को समझता है, तब उसके जीवन से भ्रम, तनाव और मानसिक अशांति स्वतः समाप्त होने लगती है। इसलिए आज आवश्यकता है कम जानकारी, लेकिन सही जानकारी की-जो हमें आत्मिक और सामाजिक रूप से उन्नत बनाए।

Information Overload पर FAQs

Q1. Information Overload क्या मानसिक बीमारी है?


नहीं, लेकिन यह तनाव, चिंता और निर्णय क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

Q2. Information Overload के मुख्य लक्षण क्या हैं?


ध्यान की कमी, चिड़चिड़ापन, भ्रम और थकान।

Q3. सोशल मीडिया Information Overload कैसे बढ़ाता है?


लगातार नोटिफिकेशन और अनंत स्क्रॉलिंग से।

Q4. क्या ज्यादा पढ़ना हमेशा फायदेमंद होता है?


नहीं, बिना समझ और चिंतन के पढ़ना नुकसानदायक हो सकता है।

Q5. Information Overload से बचने का सबसे आसान तरीका क्या है?


सीमित स्रोत और समयबद्ध डिजिटल उपयोग।

Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
BySA News
Follow:
Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.
Previous Article The Loneliness Epidemic: Why More People Feel Isolated in a Hyper-Connected World The Loneliness Epidemic: Why More People Feel Isolated in a Hyper-Connected World
Next Article How to Create an Effective To-Do List That You'll Actually Use How to Create an Effective To-Do List That You’ll Actually Use
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Popular Posts

एक बार फिर मंडराया स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) का खतरा : लगातार बढ़ रहे मामलों से लोगों में फैली दहशत

स्क्रब टाइफस एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से…

By SA News

Marilyn Monroe: Behind the Smile and Velvet Eyes

Marilyn Monroe remains one of the most famous women in history. Her bright smile, soft…

By SA News

All you Need to know about How to Start a Business in 2024? 

How to Start a Business 2024: Quitting a job or investing money for starting a…

By SA News

You Might Also Like

बढ़ती जनसंख्या : भारत की सबसे बड़ी समस्या 
Lifestyle

बढ़ती जनसंख्या : भारत की सबसे बड़ी समस्या 

By SA News
विकलांगता और समावेशी समाज
Lifestyle

विकलांगता और समावेशी समाज

By SA News
संयुक्त परिवार से एकल परिवार तक संस्कृति और सभ्यता का ह्रास
Lifestyle

संयुक्त परिवार से एकल परिवार तक: संस्कृति और सभ्यता का ह्रास

By SA News
पर्यावरण संरक्षण का अनोखा प्रयास
Hindi NewsLifestyle

पर्यावरण संरक्षण का अनोखा प्रयास

By SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
748kLike
340kFollow
13kPin
216kFollow
1.75MSubscribe
3kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2025 | All rights reserved.