मिज़ोरम में जन्मा जनरेशन बीटा का पहला बच्चा भारत के पहले जेनरेशन बीटा बच्चे का जन्म 1 जनवरी को मिज़ोरम के आइजोल में हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे का जन्म 12:03 AM बजे आइजोल के डर्टलैंग के सिनॉड अस्पताल में हुआ। जिसका नाम फ्रेंकी रखा गया। बच्चे के पिता का नाम जेड्डी रेमरुअत्संगा और मां का नाम रामजिरमावी है।
जनरेशन बीटा से जुड़े मुख्य बिंदु
- जनरेशन बीटा की शुरुआत 2025 से मानी जाती है।
- सामान्यतः पीढ़ियों का बदलाव 20 साल में होता है, लेकिन इस बार यह मात्र 11 साल में हुआ।
- जनरेशन बीटा, तकनीकी रूप से जनरेशन जे़ड और अल्फा से अधिक एडवांस होगी लेकिन शारीरिक रूप से कमज़ोर हो सकती है।
- जनरेशन बीटा परमात्मा को आसानी से पहचान कर सतभक्ति कर सकती है।
जनरेशन बीटा क्या है?
जनरेशन बीटा वे बच्चे हैं जिनका जन्म 2025 से 2039 के बीच होगा। मार्क मैक्रिंडल ने इसे परिभाषित करते हुए कहा, “ये पीढ़ी जेनरेशन Y और Z के बच्चों की होगी। 2035 तक, ये वैश्विक जनसंख्या का 16% हिस्सा बनेंगे और कई बच्चे 22वीं सदी तक जीवित रहेंगे।”
पीढ़ियों का नामकरण कैसे होता है?
समाजशास्त्रियों के अनुसार, पीढ़ियों का नामकरण उस समय की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है। एक पीढ़ी की अवधि करीब 15 से 20 साल की होती है।
उदाहरण:
1. ग्रेटेस्ट जनरेशन (1901-1924): महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के संघर्षों से जुड़ी।
2. साइलेंट जेनरेशन (1925-1945): युद्ध के प्रभावों से प्रभावित।
3. जेनरेशन अल्फा (2013-2024): तकनीकी युग में जन्मी पहली पीढ़ी।
जनरेशन बीटा के व्यक्तित्व और व्यवहार की संभावनाएं
- तकनीकी रूप से अधिक एडवांस।
- शारीरिक श्रम में कमी के कारण शारीरिक क्षमता पर असर।
- जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि जैसी चुनौतियों का सामना।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर घर बैठे शिक्षा और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन।
व्यक्तित्व और व्यवहार विकास की संभावनाएं
समाजविज्ञानियों के अनुसार, सभी कार्य इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से होने के चलते जनरेशन जे़ड की तुलना में शारीरिक क्षमता की अपेक्षा ये बच्चे तकनीकी रूप से एडवांस जनरेशन होंगे। इन्हें कई तरह की चुनौतियों जैसे – धरती का बढ़ता तापमान, शहरों का अत्यधिक विस्तार और जनसंख्या वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। ये बच्चे आधुनिक सुविधाओं को इंटरनेट के चलते एक क्लिक में हासिल कर सकते हैं।
जनरेशन बीटा पर संत रामपाल जी महाराज जी की दया: सतभक्ति से जीवन में नई रोशनी
संत रामपाल जी महाराज जी की दया से जनरेशन बीटा के बच्चे सतभक्ति की ओर प्रेरित होंगे। उनकी शिक्षाओं और सद्ग्रंथों की डिजिटल उपलब्धता के कारण यह पीढ़ी घर बैठे सत्यज्ञान प्राप्त कर सकेगी। संत जी द्वारा दी गई “सतलोक आश्रम एप” और आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से ये पीढ़ी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की पहचान कर आत्मा का कल्याण कर पाएगी।
Also Read: सम वेदना: एक मानवीय गुण जो समाज को जोड़ता है
जलवायु परिवर्तन और जीवन की कठिनाइयों के बावजूद, सतभक्ति के बल पर ये बच्चे सुखी और संतुष्ट जीवन जीने में सक्षम होंगे। संत जी का उद्देश्य जनरेशन बीटा को मानवता, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाना है।
FAQs: पहला भारतीय जनरेशन बीटा बच्चा
जनरेशन बीटा नाम किसने दिया है?
समाजविज्ञानी मार्क मैक्रिंडल ने नई पीढ़ी को जेनरेशन बीटा नाम दिया है। उनके अनुसार इस पीढ़ी की अवधि 2025 से 2039 तक होगी। इस अवधि में पैदा होने वाले बच्चों को ‘जेन बीटा या जेनरेशन बीटा’ कहा जाएगा।
जनरेशन बीटा से पहले की पीढ़ी कौन सी है?
जेनरेशन अल्फा जिसमें 2013 से 2024 तक पैदा हुए बच्चे आते हैं।
बीटा पीढ़ी का शारीरिक विकास क्यों प्रभावित हो सकता है?
समाजविज्ञानियों का मानना है कि इस पीढ़ी के लोग तकनीकी रूप से ज्यादा एडवांस होंगे, इन्हें जरूरत की वस्तुओं के लिए ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं करना पड़ेगा।
पीढ़ियों का नामकरण कैसे किया जाता है?
किसी भी पीढ़ी का नामकरण सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और उस दौर की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
क्या जनरेशन बीटा के लिए परमात्मा की पहचान करना आसान होगा?
जी हां, तकनीकी रूप से एडवांस होने की वजह से ये पीढ़ी घर बैठे पवित्र सद्ग्रंथों से रूबरू हो पाएंगे और पूर्ण परमात्मा की पहचान कर पाएंगे।