बच्चों में वीडियो गेम्स का बढ़ता रुझान एक गंभीर मुद्दा बन गया है। वीडियो गेम्स के बढ़ते रुझान से बच्चों पर कई तरह के नकारात्मक पड़ रहे हैं। आइए जानते है डॉक्टर्स इस पर क्या कहते है। डॉक्टर्स के अनुसार अत्यधिक वीडियो गेम्स खेलने की लत, बच्चों को कई तरह से प्रभावित करती है। आइए जानते है इनमें से कुछ मुख्य प्रभाव :
- चिड़चिड़ापन: अत्यधिक वीडियो गेम्स खेलने से बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
- अत्यधिक मानसिक दबाव: लगातार वीडियो गेम्स खेलने से बच्चे के मस्तिष्क पर अत्यधिक दवाब पड़ता है।
- ध्यान/कंसंट्रेशन की कमी: बच्चों के अत्यधिक वीडियो गेम खेलने की लत के कारण उनके ध्यान केंद्रित करने की शक्ति क्षीण होती है। उनमें ध्यान की कमी होती है।
- आक्रामक व्यवहार: हिंसक वीडियो गेम्स से बच्चों का व्यवहार आक्रामक होता है।
- स्वच्छता का ध्यान न देना: वीडियो गेम्स की लत में लिप्त बच्चे व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते हैं।
- नींद की कमी: नियमित नींद न मिलने के कारण बच्चों को स्लीपिंग डिसऑर्डर हो सकता है।
- मूड में उतार-चढ़ाव: वीडियो गेम की लत से ग्रसित बच्चे अक्सर मूड स्विंग्स का सामना करते हैं, जिससे उनके व्यवहार में अस्थिरता आ सकती है।
- डिप्रेशन का खतरा: अकेले रहने के कारण बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।
वीडियो गेम्स खेलने से पड़ते है बच्चों के शरीर पर भी पड़ते है अनेक प्रभाव
आइए सबसे पहले जानते है, वीडियो गेम्स खेलने से आपके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। वीडियो गेम्स खेलने की लत से बच्चों की शिक्षा, निंद्रा, रिश्ते, करियर और अन्य जीवन क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। एक शोध में वीडियों गेम्स की लत को जुए तथा नशे से भी जोड़ा गया है।
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वीडियो गेम्स खेलते समय बच्चे के शरीर में किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं होती, जिसके चलते मोटापा, अपच, आंखों की रोशनी का कम होना, आदि बीमारियों बढ़ती है। साथ ही दूसरी ओर गेम्स की लत के साथ-साथ नशे की लत भी कई युवाओं में पाई गई है। बच्चों/ युवाओं का कहना है कि जब हमें थकान महसूस होती है तो फ्रेश होने के लिए नशा कर लेते है जिससे हमें गेम्स खेलने में आसानी होती है। बच्चों/ युवाओं का यह भी कहना है कि नशे में वीडियो गेम्स खेलने से थकान महसूस नहीं होती है।
वीडियो गेम्स से बच्चे का व्यवहार हिंसक: क्या कहते है शोधकर्ता?
वीडियो गेम्स और हिंसक व्यवहार के बीच संबंध पर विभिन्न शोधों और विशेषज्ञों की राय भिन्न हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: कैलिफोर्निया सरकार के नियम के मुताबिक 17 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हिंसक वीडियो गेम्स की बिक्री और किराए पर लेना अपराध है। कैलिफोर्निया के इस कानून को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह माना गया कि हिंसक वीडियो गेम्स बच्चों को हिंसक नहीं बनाते। यह धारणा कि खेल खेलने से बच्चे हिंसक होते हैं, गलत साबित हुई है।
- डॉ. ओल्सन का तर्क: डॉ. ओल्सन ने कहा कि बच्चे बुरी परिस्थितियों को समझते हैं और सुरक्षित घरों में रहते हैं। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी हिंसक व्यवहार से जोड़ा, यह दर्शाते हुए कि संपन्न बच्चे अधिक समय घर पर बिताते हैं।
- शोधकर्ताओं की राय: हालांकि, कई शोध बताते हैं कि हिंसक वीडियो गेम्स आक्रामक व्यवहार को बढ़ावा दे सकते हैं, जैसे बदमाशी और अन्य नकारात्मक गतिविधियाँ।
- व्यक्तिगत प्रतिक्रिया: कई शोधकर्ताओं का कहना है कि हर बच्चा वीडियो गेम्स पर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि वीडियो गेम्स से बच्चों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन अत्यधिक खेलना मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
वीडियो गेम्स और हिंसक व्यवहार के बीच संबंध जटिल है और इस पर अधिक शोध हो रही है।
कर्नाटक सरकार की बड़ी पहल: ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध
भारत के एक राज्य ने बहुत बड़ी पहल की है। कर्नाटक सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य में बढ़ते जुए के मामलों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है। नए नियमों के तहत, सभी प्रकार के ऑनलाइन गेमिंग, जिसमें रमी और अन्य कौशल आधारित खेल शामिल हैं, पर रोक लगाई गई है। भारत की गेमिंग इंडस्ट्री पर विदेशी निवेशकों का करोड़ों डॉलर लगा हुआ है। इस नीति के लागू होने से गेमिंग कंपनियों और खिलाड़ियों पर प्रभाव पड़ेगा, और राज्य में गेमिंग उद्योग को चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
अत्यधिक वीडियो गेम्स की आदत से अन्य गतिविधियों में भागीदारी की कमी
वीडियो गेम की लत के कारण बच्चे, स्कूल, घर व अन्य कामों में खराब प्रदर्शन कर रहे हैं। वीडियो गेम की लत से पीड़ित बच्चे स्कूल के काम को नजरअंदाज करते पाए गए हैं, जिसका कुप्रभाव बच्चों की शिक्षा में भी दिखाई देता है। इसी लत के चलते बच्चों का रिजल्ट भी खराब होता है।
वीडियो गेम्स की लत में लिप्त बच्चे अन्य गतिविधियां जैसे खेल, चित्रकारी, आदि में भी भाग नहीं लेते। जिसके चलते बच्चे कई गतिविधियों से वंचित रह जाते हैं।
अपनाएं कुछ आसान तरीके
इन सभी नुकसानों से बचने के लिए बच्चे के माता-पिता को अपनाने चाहिए कुछ आसान तरीके, जिससे बच्चों की ऑनलाइन गेम्स खेलने की आदत छूट जाए।
- माता- पिता को चाहिए कि बच्चों को ऑनलाइन गेम्स के नुकसान के बारे में बताए।
- बच्चों के ऑनलाइन गेम्स खेलने की समय सीमा तय करें।
- अपने बच्चों को कभी भी अकेला न छोड़े, बल्कि उनके साथ समय व्यतीत करें।
- बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें। उन्हें बाहर लेकर जाएं जैसे गार्डन, पार्क, जिम, योगा इत्यादि।
- बच्चों की क्रिएटिविटी का सदुपयोग करें, उनकी क्रिएटिविटी को सही दिशा दें।
उपरोक्त तरीकों से आप अपने बच्चे को वीडियो गेम्स की इस लत से छुटकारा पा सकते है।
सतभक्ति से बुरी से बुरी आदत स्वतः छूट जाती है
तत्वदर्शी संत प्रदत्त शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने से साधक के अनेकों विकार छूट जाते है। चाहे वह चोरी हो, जारी हो, रिश्वतखोरी हो या फिर नशे की लत हो। सतभक्ति से सर्व विकारों का नाश होता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज एकमेव तत्वदर्शी संत है, जो मानव समाज के कल्याण हेतु प्रयासरत है। अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ‘ज्ञान गंगा‘।