SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » दहेज प्रथा: खौफनाक अंजाम से समाधान तक

Hindi News

दहेज प्रथा: खौफनाक अंजाम से समाधान तक

SA News
Last updated: March 20, 2025 2:23 pm
SA News
Share
दहेज प्रथा खौफनाक अंजाम से समाधान तक
SHARE

दहेज प्रथा समाज में फैली एक कुरीति है, जो लकड़ी में लगे दीमक की तरह लड़कियों और उनके माता-पिता के जीवन को धीरे-धीरे खोखला कर रही है। यह प्रथा करोड़ों जिंदगियों को निगल चुकी है और आज भी अनगिनत महिलाओं के जीवन को संकट में डाल रही है।

Contents
  • दहेज प्रथा (Dowry System): मुख्य बिंदु
  • दहेज प्रथा का प्राचीन इतिहास
  • दहेज प्रथा का आधुनिक इतिहास
  • दहेज प्रथा के प्रमुख कारण
  • दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव
  • दहेज प्रथा के खिलाफ कानून और सजा
  • कैसे लगेगा दहेज प्रथा पर अंकुश?
  • दहेज प्रथा, एक अपराध- संत रामपाल जी महाराज 
  • क्यों जरूरी है दहेज मुक्त विवाह
    • निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करें
  • दहेज प्रथा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
    • आप क्या सोचते हैं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार:

  • 6,450 महिलाएं दहेज से संबंधित कारणों से अपनी जान गंवा बैठीं।
  • 13,479 मामले दहेज निषेध अधिनियम के तहत दर्ज किए गए।

आखिर दहेज प्रथा इतनी खौफनाक क्यों है? इसका इतिहास, कारण और समाधान इस लेख में विस्तार से जानेंगे।

दहेज प्रथा (Dowry System): मुख्य बिंदु

  • प्राचीन भारत में विवाह के समय माता-पिता अपनी बेटियों को संपत्ति और उपहार देते थे, जो बाद में कुप्रथा में बदल गया।
  • अंग्रेजी शासनकाल में महिलाओं का जमीन-जायदाद पर अधिकार छीन लिया गया, जिसके कारण माता-पिता ने दहेज देना शुरू किया।
  • दहेज के कारण हजारों महिलाओं की मौत होती है, और कई महिलाओं को अत्याचार सहना पड़ता है।
  • दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार, दहेज लेना-देना अपराध है, जिसमें दो साल तक की सजा और दस हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

दहेज प्रथा का प्राचीन इतिहास

भारत ने हमेशा एक सभ्य समाज के निर्माण की ओर प्रयास किया है। समाज को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न प्रथाएं बनाई गईं, लेकिन समय के साथ उनमें कुरीतियां आ गईं।

  • प्राचीन काल में दहेज प्रथा को “वहतु” कहा जाता था।
  • विवाह के बाद, लड़की के माता-पिता उसे संपत्ति और उपहार देते थे।
  • यह प्रक्रिया स्वैच्छिक थी और इसमें वर पक्ष की कोई मांग नहीं होती थी।
  • रामायण और महाभारत में इसका उल्लेख मिलता है, जहां सीता और द्रौपदी को आभूषण और बहुमूल्य वस्तुएं दहेज के रूप में दी गईं।
  • मध्यकाल में “वहतु” का नाम बदलकर “स्त्रीधन” हो गया।
  • यह भी स्वैच्छिक था, लेकिन समाज में प्रतिष्ठा दिखाने के लिए कुछ परिवारों ने इसे अनिवार्य बना दिया।
  • धीरे-धीरे, संपत्ति और उपहार देना एक प्रथा में बदल गया और इसका नाम पड़ा “दहेज प्रथा”।

दहेज प्रथा का आधुनिक इतिहास

  • 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस के नेतृत्व में बंगाल में जमीन निजीकरण कानून लागू हुआ।
  • इस कानून के तहत महिलाओं का भूमि पर अधिकार खत्म कर दिया गया।
  • माता-पिता ने बेटी को संपत्ति देने के बजाय वर पक्ष को दहेज देना शुरू कर दिया।
  • धीरे-धीरे वर पक्ष दहेज की मांग करने लगा और यह एक सामाजिक बुराई में बदल गई।
  • आज, दहेज के लिए लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है, यहां तक कि उनकी हत्या तक कर दी जाती है।

दहेज प्रथा के प्रमुख कारण

  1. जीवन साथी का चयन
    जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण योग्य वर सीमित होते हैं। इनसे विवाह के लिए दहेज की मांग की जाती है।
  2. शिक्षित और प्रतिष्ठित वर की इच्छा
    हर माता-पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी शिक्षित और प्रतिष्ठित व्यक्ति से विवाह करे। ऐसे वरों के लिए दहेज अधिक देना पड़ता है।
  3. झूठी शान और प्रतिष्ठा
    कई लोग समाज में दिखावे के लिए भी भारी दहेज देते हैं, जिससे यह प्रथा और अधिक बढ़ती है।
  4. महंगी शिक्षा
    उच्च शिक्षा बहुत महंगी हो गई है। वर पक्ष खर्च की भरपाई के लिए दहेज की मांग करता है।

दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव

  • हर साल हजारों महिलाओं की हत्या या आत्महत्या हो जाती है।
  • कई लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है।
  • गरीब माता-पिता कर्ज में डूब जाते हैं और जीवनभर इसे चुकाते रहते हैं।
  • कई लड़कियों को अयोग्य या वृद्ध पुरुषों से विवाह करना पड़ता है।
  • बेटियों को बोझ मानने की मानसिकता विकसित हो जाती है।

दहेज प्रथा के खिलाफ कानून और सजा

1. दहेज निषेध अधिनियम, 1961

  • दहेज का लेन-देन कानूनी अपराध है।
  • दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा और 15,000 रुपये तक का जुर्माना।
  • दहेज मांगने पर दो साल की सजा और 10,000 रुपये तक का जुर्माना।

कैसे लगेगा दहेज प्रथा पर अंकुश?

दहेज प्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ने कई पहल शुरू की:

  • दहेज निषेध अधिनियम, 1961
  • महिला सशक्तिकरण योजनाएं
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
  • सुकन्या समृद्धि योजना
  • जागरूकता अभियान

यह भी पढ़ें: दहेज के 5 लाख रुपये ठुकराकर एक शिक्षित दूल्हे ने पेश की मिसाल, दिया समाज को सशक्त संदेश

सरकार के अलावा अन्य संस्थाएं भी दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए कई पहल चला रही हैं:

  • निर्भया केंद्र
  • सखी वन स्टॉप सेंटर
  • ऑल इंडिया वीमेंस कॉन्फ्रेंस
  • राष्ट्रीय महिला आयोग

लेकिन इतनी पहलों के बावजूद दहेज प्रथा अभी भी समाज में बनी हुई है।सरकार द्वारा बनाए गए कानून व व्यवस्था भी साफ तौर पर विफल नजर आते हैं। तो मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि, “क्या इस खौफनाक प्रथा को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है?”

जवाब है, हां, किया जा सकता है, लेकिन कैसे? हमारा ही समाज सती प्रथा जैसी क्रूर प्रथा को समाप्त कर चुका है, तो इसे भी समाप्त कर देगा। इसकी नींव संत रामपाल जी महाराज ने रख दी है। 

दहेज प्रथा, एक अपराध- संत रामपाल जी महाराज 

  • दहेज निषेध नियम- सर्वप्रथम, जब कोई व्यक्ति संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेता है, तो उसे नाम दीक्षा लेने से पहले ही बताया जाता है कि उसे न तो दहेज लेना है और न ही देना है। यदि वह इस नियम को मानने के लिए तैयार होता है, तभी संत रामपाल जी महाराज उसे दीक्षा देते हैं।
  • दहेज मुक्त विवाह– संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी दहेज मुक्त विवाह रचाते हैं, जिसमें एक रुपये का भी लेन-देन नहीं होता। लाखों की संख्या में उनके अनुयायी दहेज मुक्त विवाह कर चुके हैं। सैकड़ों अनुयायी प्रति माह दहेज मुक्त विवाह करते हैं।
  • दहेज प्रथा के खिलाफ शिक्षा– संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग प्रवचनों में दहेज प्रथा से होने वाले नुकसान को विस्तार से बताते हैं। दहेज प्रथा स्त्री-पुरुषों में भेदभाव उत्पन्न कर महिलाओं को समाज के लिए बोझ बना देती है।
  • सादगीपूर्ण विवाह– संत रामपाल जी महाराज सादगीपूर्ण विवाह को बढ़ावा देते हैं, जिससे गरीब परिवार सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

“आप से आवै रत्न बराबर, मांगा आवै लोहा”

क्यों जरूरी है दहेज मुक्त विवाह

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि विवाह में अनावश्यक परंपराओं को त्यागना पड़ेगा। इन व्यर्थ परंपराओं ने समाज में बेटियों को बोझ बना दिया है। जब सृष्टि की शुरुआत में ब्रह्मा जी, विष्णु जी, तथा शिव जी का विवाह हुआ था, तब न कोई बाराती था, न कोई बैंड-बाजा, और न ही कोई भोजन-भंडारा हुआ था। इसलिए हम सभी को इन व्यर्थ की परंपराओं को त्याग देना अनिवार्य है।

हम सभी को संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर इस प्रथा को जड़ से समाप्त करना चाहिए, ताकि हमारी सभी बहनें सुरक्षित जीवन जी सकें।

निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करें

संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाए जा रहे दहेज मुक्त विवाह अभियान के बारे में विस्तार से जानने के लिए पवित्र पुस्तक “जीने की राह” अवश्य पढ़ें।

दहेज प्रथा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. दहेज प्रथा क्या है?
    • दहेज प्रथा वह सामाजिक कुप्रथा है, जिसमें विवाह के समय वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष से धन, संपत्ति या उपहार की मांग की जाती है।
  2. भारत में दहेज प्रथा क्यों फैली?
    • महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता खत्म होने, सामाजिक प्रतिष्ठा और विवाह व्यवस्था के कारण यह प्रथा मजबूत हुई।
  3. दहेज निषेध अधिनियम कब लागू हुआ?
    • 1961 में भारत सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम लागू किया, जिसके तहत दहेज लेना और देना कानूनी अपराध है।
  4. दहेज प्रथा से समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
    • इससे महिलाओं पर अत्याचार बढ़ता है, गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ पड़ता है, और बेटियों को बोझ समझा जाने लगता है।
  5. दहेज प्रथा को कैसे रोका जा सकता है?
    • कानूनी सख्ती, सामाजिक जागरूकता और मानसिकता में बदलाव लाकर इसे रोका जा सकता है।

आप क्या सोचते हैं?

  • क्या दहेज के खिलाफ कानून सख्त होने चाहिए?
  • क्या समाज में मानसिकता बदलने की जरूरत है?

नीचे कमेंट करें और अपने विचार साझा करें!

Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love2
Sad0
Happy1
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article Buzz Aldrin The Man Who Walked Among the Star Buzz Aldrin: The Man Who Walked Among the Stars
Next Article Quantum Computing and National Security Quantum Computing and National Security
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Sant-Rampal-Ji-App-ads

Popular Posts

Cabinet Approves Formation of 8th Pay Commission for Central Government Employees

The Union Cabinet, chaired by Prime Minister Narendra Modi, has officially approved the establishment of…

By
SA News

Business Continuity Planning: Ensuring Resilience in Uncertain Times

In today's rapidly evolving business environment, unforeseen disruptions—ranging from natural disasters, global pandemics, cyberattacks, and…

By
SA News

GRAP 4 Restrictions: STRICTER ANTI POLLUTION MEASURES GRAP-4 IMPOSED IN DELHI NCR

GRAP 4 Restrictions: The air quality in Delhi-NCR has hit a critical low, prompting authorities…

By
SA News

You Might Also Like

Himachal Pradesh Cloudburst हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से तबाही, राहत और बचाव कार्य जारी
Hindi News

Himachal Pradesh Cloudburst: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से तबाही, राहत और बचाव कार्य जारी

By
SA News
दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी रेखा गुप्ता
LocalHindi News

दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी रेखा गुप्ता

By
SA News
बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की बढ़ी ताकत, जानिए कैसे बना पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा खतरा 
Hindi News

बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की बढ़ी ताकत, जानिए कैसे बना पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा खतरा 

By
SA News
डिजिटल चरमपंथ का नया हथियार: खून खराबे, हिंसा के जाल में फंसाए जा रहे हैं मासूम बच्चे
Hindi News

डिजिटल चरमपंथ का नया हथियार: खून खराबे, हिंसा के जाल में फंसाए जा रहे हैं मासूम बच्चे

By
SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
600kLike
300kFollow
11.2kPin
151kFollow
523kSubscribe
2.1kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2025 | All rights reserved.