किसी भी देश की व्यवस्था वहाँ की शासन प्रणाली पर निर्भर करती है। देश कैसे चलेगा, न्याय व्यवस्था कैसी होगी, कार्य प्रणाली कैसे काम करेगी, और प्रशासन की नियंत्रण प्रणाली कैसे काम करेगी, यह सब देश की तत्कालीन सरकार द्वारा तय किया जाता है। पहले राजा-महाराजा होते थे, जो इसी प्रक्रिया से शासन करते थे। लेकिन इतिहास में राजा का बेटा राजा बनता था। वर्तमान में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक प्रणाली से चुनाव कराकर देश को सुव्यवस्थित सरकार के हाथों में सौंपा जाता है। वही चुनी हुई सरकार संविधान के अनुसार सभी व्यवस्थाओं का संचालन करती है।
भारतीय शासन प्रणाली भी भारतीय संविधान के दायरे में रहकर काम करती है। भारतीय शासन को चलाने के लिए तीन स्तंभ बताए गए हैं:
- विधायिका
- कार्यपालिका
- न्यायपालिका
इन तीनों स्तंभों से भारतीय शासन व्यवस्था का संचालन किया जाता है। विधायिका कानून बनाने का काम करती है, कार्यपालिका प्रशासनिक व्यवस्था का संचालन करती है, और न्यायपालिका न्यायिक प्रक्रिया का संचालन करती है। इन तीनों व्यवस्थाओं के माध्यम से देश को विकसित किया जाता है।
भारतीय विधायिका क्या है ?
भारतीय विधायिका भारतीय संविधान के तहत स्थापित एक संस्था है, जो कानून बनाने की प्रक्रिया को संभालती है। यह संस्था केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है।
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भारतीय विधायिका में दो प्रमुख सदन हैं:
- लोकसभा: यह केंद्र सरकार का निम्न सदन है, जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं।
- राज्यसभा: यह केंद्र सरकार का उच्च सदन है, जिसमें राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं।
विधायिका के कार्य:
- विधेयक प्रस्तुत करना: विधायिका के सदस्य विधेयक प्रस्तुत करते हैं, जो कानून बनाने का प्रस्ताव होता है।
- विधेयक पर चर्चा करना: विधेयक पर चर्चा की जाती है, जिसमें सदस्य अपने विचार और सुझाव देते हैं।
- विधेयक पर मतदान करना: मतदान के माध्यम से विधेयक का निर्णय लिया जाता है।
- विधेयक को पारित करना: बहुमत के समर्थन से विधेयक पारित होता है।
- विधेयक को राष्ट्रपति/राज्यपाल के पास भेजना: पारित विधेयक को राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
- विधेयक को कानून बनाना: स्वीकृति मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है।
विधायिका के अन्य कार्य:
- सरकार को जवाबदेह ठहराना।
- सार्वजनिक नीतियों पर चर्चा करना।
- सार्वजनिक वित्त पर नियंत्रण रखना।
भारतीय कार्यपालिका क्या है ?
भारतीय कार्यपालिका देश की प्रशासनिक शाखा है, जो कानूनों को लागू करने और नीतियों को कार्यान्वित करने का काम करती है।
कार्यपालिका के घटक:
- राष्ट्रपति: कार्यपालिका के प्रमुख।
- प्रधानमंत्री: सरकार के मुखिया और मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष।
- मंत्रिपरिषद: विभिन्न विभागों के प्रभारी मंत्री।
- सिविल सेवा: प्रशासनिक कार्य संभालने वाली शाखा।
कार्य:
- कानूनों को लागू करना।
- नीतियों को कार्यान्वित करना।
- प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन।
संचालन की प्रक्रिया:
- राष्ट्रपति की भूमिका।
- प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की भूमिका।
- सिविल सेवाओं का योगदान।
- निर्णय प्रक्रिया और कार्य विभाजन।
भारतीय न्यायपालिका
भारतीय न्यायपालिका एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है, जो संविधान के तहत कार्य करती है।
संरचना:
- सर्वोच्च न्यायालय: देश का सर्वोच्च न्यायिक निकाय।
- उच्च न्यायालय: राज्य स्तर पर न्यायिक कार्य।
- जिला न्यायालय: जिला स्तर पर न्यायिक कार्य।
न्यायिक प्रक्रिया:
- मामलों की सुनवाई।
- सबूतों का मूल्यांकन।
- निर्णय देना।
अन्य कार्य:
- गरीब और वंचित वर्ग को कानूनी सहायता प्रदान करना।
- न्यायिक सुधार के लिए प्रयास।
भारतीय न्यायपालिका संविधान के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय प्रदान करती है।
विचारणीय प्रश्न
देश की शासन प्रणाली संविधान के आधार पर चलती है, लेकिन क्या सृष्टि का संचालन भी किसी उच्च शक्ति द्वारा किया जाता है? धर्मग्रंथों का अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि सृष्टि का संचालन परमात्मा के विधान के अनुसार होता है। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान यह बताता है कि सृष्टि का निर्माण और संचालन कबीर परमात्मा द्वारा होता है। वे इस ज्ञान को साखियों, पदों और दोहों के माध्यम से उजागर करते हैं। अधिक जानकारी के लिए https://www.jagatgururampalji.org पर विजिट करें।
FAQs: भारतीय शासन प्रणाली
प्रश्न: भारतीय शासन प्रणाली कैसे चलती है?
उत्तर: भारतीय संविधान से।
प्रश्न: भारतीय शासन प्रणाली के मुख्य स्तंभ क्या हैं?
उत्तर: विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका।
प्रश्न: विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्ति किससे है?
उत्तर: भारतीय संविधान से।
प्रश्न: सृष्टि का संचालन किसकी शक्ति से होता है?
उत्तर: परमात्मा के विधान अनुसार।