दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित विदेश मंत्रालय की आवासीय सोसायटी में शुक्रवार सुबह भारतीय विदेश सेवा (IFS) के वरिष्ठ अधिकारी जितेंद्र रावत ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपनी रिहायशी इमारत से छलांग लगा दी, जिससे घटनास्थल पर हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने गिरने की तेज आवाज सुनी और उन्हें गंभीर हालत में पाया। तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
डिप्रेशन से जूझ रहे थे अधिकारी
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि अधिकारी लंबे समय से मानसिक तनाव और डिप्रेशन का सामना कर रहे थे। बताया जा रहा है कि उनका इलाज भी चल रहा था। हालांकि, पुलिस को अब तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या के पीछे के वास्तविक कारणों का पता चल सके।
परिवार सदमे में, जांच जारी
घटना के समय घर पर केवल उनकी मां मौजूद थीं, जबकि पत्नी और बच्चे देहरादून में रहते हैं। इस घटना से पूरा परिवार गहरे सदमे में है। पुलिस परिवार और करीबी लोगों से पूछताछ कर रही है ताकि अधिकारी की मानसिक स्थिति और परिस्थितियों को बेहतर समझा जा सके।
पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी है। अधिकारी के मोबाइल फोन, लैपटॉप और दस्तावेजों की जांच की जा रही है। साथ ही, उनके सहकर्मियों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों से बातचीत कर आत्महत्या के संभावित कारणों की जानकारी जुटाई जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य पर फिर उठा सवाल
यह घटना मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च पदों पर काम करने वाले अधिकारियों पर भारी कार्यभार और दबाव के कारण मानसिक तनाव बढ़ता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार तनाव, अकेलापन, चिड़चिड़ापन महसूस कर रहा हो या आत्महत्या के विचार आने लगें, तो उसे तुरंत पेशेवर सहायता लेनी चाहिए।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने की जरूरत है। इससे तनाव कम करने और आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
आध्यात्मिक ज्ञान से समाधान संभव
आज समाज में मानसिक तनाव, अवसाद और आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका एक बड़ा कारण आध्यात्मिक ज्ञान की कमी है। संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, जीवन का सही उद्देश्य परमेश्वर की भक्ति और मोक्ष प्राप्त करना है, न कि समस्याओं से हार मानकर आत्महत्या करना।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग से यह स्पष्ट होता है कि केवल सच्ची भक्ति ही मानसिक शांति और जीवन की सही दिशा दे सकती है। गीता अध्याय 16, श्लोक 23-24 में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति शास्त्र विरुद्ध आचरण करता है, वह न तो सुख प्राप्त करता है और न ही मोक्ष को। इसलिए, हर व्यक्ति को सही आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर परमेश्वर की विधि से भक्ति करनी चाहिए ताकि जीवन की समस्याओं का समाधान मिल सके और आत्महत्या जैसे कदम उठाने की नौबत ही न आए।