खबरों के मुताबिक, विशेषज्ञों ने इस दुर्घटना का कारण एक ग्लेशियल झील विस्फोट (Glacial Lake Outburst Flood – GLOF) को बताया है, जो चीन के तिब्बती हिस्से में स्थित एक निम्न ग्लेशियर से अचानक बड़े पैमाने पर पानी बहने के कारण हुआ। इससे भोटेकोशी नदी का जल स्तर अचानक बढ़ गया, जिससे आसपास के इलाकों में तबाही का मंजर देखने को मिला।
नेपाल सरकार ने तत्काल बचाव कार्य के लिए टीमें तैनात कर दी हैं। राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (NDRRMA) के महानिदेशक दिनेश भट्ट ने बताया कि बचाव कार्य अभी भी जारी है और लापता लोगों की तलाश की जा रही है। अब तक 55 लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है, जबकि 13–14 नेपाली नागरिक और 6 चीनी नागरिक अब भी लापता हैं।
अचानक आई बाढ़ से भारी जान–माल का नुकसान
जानकारी के मुताबिक, नेपाल के उत्तर-पूर्व में स्थित रसुवा ज़िले में मंगलवार तड़के 3:15 बजे भोटेकोशी नदी में आई बाढ़ के कारण मैत्री पुल (सिनो–नेपाल फ्रेंडशिप ब्रिज) बह गया। साथ ही, नेपाल–चीन सीमा पर स्थित ‘ड्राई पोर्ट’ के कई हिस्से भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के तेज बहाव में कई ट्रक, 20 मालवाहक कंटेनर और कई इलेक्ट्रिक वाहन बह गए।
इस बाढ़ के कारण रसुवागढ़ी की जलविद्युत परियोजना सहित कुल चार जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा है, जिससे राष्ट्रीय बिजली ग्रिड को लगभग 200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति बाधित हुई है। नेपाल सरकार ने चीन के साथ समन्वय स्थापित किया है और दोनों देश मिलकर राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं।
सरकार और बचाव दल का राहत कार्य
नेपाल सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। खाने के पैकेट, पानी और अन्य आवश्यक सामग्री प्रभावित लोगों तक पहुंचाई जा रही है। बाढ़ हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। नेपाल सरकार और सेना की संयुक्त टीम राहत और बचाव कार्य में लगातार जुटी हुई है। उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी और प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी।
इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं को भी अलर्ट पर रखा गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बनाई है। इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो नुकसान का आकलन करेगी और पुनर्निर्माण कार्य में सहायता करेगी।
पृथ्वी लोक की नाशवानता और परमेश्वर की शरण
पृथ्वी लोक एक नाशवान लोक है, जहां हर प्रकार की आपदाएं मनुष्य पर आती रहती हैं। कभी बाढ़ आ जाता है, तो कभी भूकंप, अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाएं मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। यहां मौत का तांडव हमेशा रहता है और कोई भी इंसान पूरी तरह से सुखी नहीं है। ऐसे दुखदाई लोक से हमेशा के लिए आजादी दिलाने के लिए परमेश्वर धरती पर आते हैं या अपना कृपापात्र संत धरती पर भेजते हैं।
“संत शरण में आने से, आई टले बला।
जे मस्तिक में सूली हो, वो कांटे में टल जावे।।”
संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों का मानना है कि परमेश्वर की शरण में जाकर सच्ची भक्ति करने से जीवन में आने वाली सभी आपदाओं से बचा जा सकता है। शास्त्रानुकूल भक्ति करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में आने वाली विपत्तियों से भी मुक्ति मिलती है। परमेश्वर की कृपा से जीव आत्माएं काल के जाल से मुक्त होकर अपने निज घर सतलोक में जा सकती हैं। इस प्रकार, परमेश्वर की शरण में जाना और सच्ची भक्ति करना ही पृथ्वी लोक के दुखों से मुक्ति का मार्ग है। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें हमारी वेबसाइट www.jagatgururampalji.org