भारत सरकार महिलाओं को लेकर सदा से ही जागरूक रही है। भारत सरकार ने भारतीय संविधान के माध्यम से भी महिलाओं को अनेकों अधिकार मुहैया कराए है। फिर चाहे वो यौन उत्पीड़न के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज करने का हक हो या फिर पुरुषों के समान वेतन प्राप्त करने का अधिकार हो। भारत सरकार किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के अधिकारों को लेकर पीछे नहीं रही है। इसके साथ ही दूसरे कई अधिकार महिलाओं को सशक्त करने के लिए भारत सरकार ने दिए हुए हैं।
भारतीय न्याय प्रणाली देती है महिलाओं को विशेष अधिकार
भारतीय न्याय प्रणाली महिलाओं को विशेष अधिकार उपलब्ध कराती है। आईए विस्तार से जानते हैं क्या है ये विशेष अधिकार ?
- पुरुषों के बराबर समान वेतन प्राप्त करने का अधिकार: भारतीय संविधान एक्ट के अनुसार, जब भी बात वेतन की हो,तब सरकार ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त करवाया गया है।
- गौरव और शिष्टाचार का अधिकार: भारतीय संविधान ने महिलाओं को गौरव तथा शिष्टाचारपूर्वक जीवन जीने का अधिकार दिया हुआ है। किसी भी कारणवश, अगर महिला अपराधी साबित होती है, तो उसकी जांच पड़ताल किसी अन्य महिला के मौजूदगी मे करवाई जाती है।
- किसी के भी दफ्तर में, कार्यस्थल पर या अन्य जगहों पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा: भारतीय संविधान के तहत अगर किसी महिला के साथ ऑफिस में, या कार्य स्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो वह अपराधी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार रखती है। इस कानून के अंतर्गत 3 महीने के भीतर महिला आई सी सी ऑफिस को लिखित शिकायत कर सकती है।
- घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार: भारतीय कानून के हिसाब से धारा 498 के तहत पत्नी या किसी भी अन्य महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अर्थात आवाज उठाने का संपूर्ण अधिकार दिया हुआ है। किसी भी घर में पति या अन्य रिश्तेदार किसी भी महिला के साथ यौन शोषण या मारपीट हिंसा, आर्थिक परेशानी, मानसिक दबाव, भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल आदि नहीं कर सकते। इसके लिए आरोपी को तीन साल की गैर जमानती सजा और जुर्माना भरना पड़ता है।
- पहचान जाहिर न करने का अधिकार: किसी भी महिला को हमारे कानून में निजी जानकारी के लिए गोपनीयता का अधिकार दिया गया है। उसके लिए वह अपना बयान किसी महिला पुलिस की मौजूदगी में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने दे सकती है।
- मुफ्त कानूनी सहायता लेने का अधिकार (Free legal help): LCA एक्ट के मुताबिक महिला को यौन हिंसा के खिलाफ मुफ्त सलाह लेने का अधिकार दिया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिला को सुरक्षा भी प्रदान की जाती है।
- रात को नहीं कर सकते औरत को गिरफ्तार: किसी भी महिला को सूर्यास्त के पहले या बाद गिरफ्तार करने का प्रावधान नहीं है। कानून का कहना है कि अगर किसी के घर में जाकर तलाशी और पूछताछ करनी हो तो महिला पुलिस की मौजूदगी में परिवार के सभी सदस्यों के समक्ष ही पुलिस महिला से पूछताछ कर सकती है।
- वर्चुअल तरीके से शिकायत दर्ज करने का अधिकार: कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत रजिस्टर पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिए भेज सकती है। तदुपरांत एसएचओ महिला पुलिस को उसके घर पर भेजेगा और बयान दर्ज करवाएं जाएंगे।
- महिला के सामने अशोभनीय भाषा का प्रयोग न करने का अधिकार : किसी भी महिला के रंग रूप तथा अंग के विषय में अभद्र टिप्पणी करना अपराध है। किसी भी महिला को नीचा दिखाना, उसके साथ अपमानजनक व्यवहार करना, उसकी सार्वजनिक नैतिकता को भ्रष्ट करना दंडनीय अपराध सिद्ध होता है।
- महिला का गलत तरीके से पीछा न करने का अधिकार: आईपीसी की धारा 354 D के अंतर्गत जो भी व्यक्ति महिला का पीछा करता है, बार-बार मना करने के बावजूद भी संपर्क करने की कोशिश करता है या ईमेल के जरिया मॉनिटर करता है ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
- जीरो एफआईआर का अधिकार: भारतीय संविधान के अनुसार महिला को एक विशेष अधिकार प्राप्त है। कोई भी महिला किसी भी अन्य स्थान स्वयं के साथ घटित हुई घटना (यौन शोषण, हिंसा इत्यादि) की एफआईआर कंप्लेन किसी भी थाने में दर्ज करवा सकती है।
महिला सशक्तिकरण: 21वीं सदी का एक गंभीर मुद्दा
मित्रों हमने अभी आपको महिलाओं के अधिकार के बारे में बताया। आईए अब जानते है महिला सशक्तिकरण के विषय में। महिला सशक्तिकरण का उल्लेख हमारे भारतीय संविधान में भी किया गया है। महिलाओं को भारतीय कानून के अंतर्गत अधिकार दिए हुए हैं। आईए जानते है कैसे अधिकारों के माध्यम से महिला को सशक्त किया जा सकता है?
आखिर क्या है महिला सशक्तिकरण?
आम शब्दों में कहे तो महिला को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, पारंपरिक, आध्यात्मिक तथा राजनीतिक स्थानों पर स्वतंत्रता प्रदान करवाना और पुरुष के समकक्ष खड़ा रहने के लिए शक्तिशाली बनाना ही महिला सशक्तिकरण का मूल अर्थ है। महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य है महिला को उसके पूर्ण अधिकार प्रदान करना, जिससे वह अपने व्यावहारिक सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन में फैसला ले सके ताकि वह समाज में अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति से परिवर्तन कर सके।
अगर भारत की जनसंख्या की दृष्टि से देखा जाए तो महिलाओं की संख्या भारत देश की 50 प्रतिशत है। देश की आधी आबादी महिलाओं को माना जाता है। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के लोग रोजगार के लिए भारत देश में आते हैं और वहां की महिला खेती और अन्य घरेलू काम में सहयोग करती है। महिलाओं की यह श्रमिक क्रिया की वजह से इन देशों की प्रगति होती है इसीलिए महिलाओं को देश की नींव माना जाता है। नींव के बिना इमारत नहीं बन सकती, वैसे ही महिलाओं के सहयोग के बिना देश की प्रगति नहीं हो सकती।
दुर्भाग्य की बात तो यह है कि दिन प्रतिदिन हमारे देश की महिलाओं का श्रमिक दर घटता जा रहा है। यह बड़े ही चिंता का विषय है फिर भी महिला रोजगार को अलग श्रेणी में नहीं रखा गया है। नेशनल सर्वे के मुताबिक महिला सहभागिता दर 21वीं सदी के अनुसार 25 % जिसमें ग्रामीण विस्तार 24 % और शहरी विस्तार मात्र 14 % था। भारतीय सकल घरेलू उत्पादन में महिलाओं का योगदान बहुत कम है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार क्रिसटीन लगार्डे ने बताया कि अगर GDP को बढ़ाना है तो पुरुष की मात्रा में महिलाओं को अधिक से अधिक सहभागीदार बनाना होगा। ऐसा करने से GDP दर बहुत तेजी से बढ़ सकता है।
देश को प्रगति की ओर ले जाती है साक्षर महिलाएं
महिलाओं का सशक्त बनाने के लिए हमारे देश में साक्षरता का दर बढ़ाना बहुत ही जरूरी है। आज टेक्नोलॉजी का जमाना है। अनेक भारतीय महिलाएं जैसे कि रानी लक्ष्मीबाई, इंदिरा गांधी, मैडम भीखाईजी कामा, सरोजिनी नायडू, कल्पना चावला, किरण बेदी और रमाबाई के आज उदाहरण मिलते है जिन्होंने अपने देश के विकास में अत्यधिक योगदान दिया। साथ ही इन महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया। महिलाओं के शिक्षित होने से हमारे देश को एक नया रास्ता ओर नई दिशा मिल सकती है।
मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना
मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। यह योजना कठिन परिस्थितियों से जूझ रही महिलाओं के लिए है। इस योजना के तहत महिलाओं को निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी:
- कौशल विकास
- रोजगार प्रशिक्षण
- कानूनी सहायता
- पुनर्वास की सुविधाएँ
इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं को सिर्फ आधार कार्ड, राशन कार्ड, और शैक्षणिक प्रमाणपत्र देना होगा।
सतलोक: एक ऐसा स्थान जहां नहीं है कोई भेदभाव
संत रामपाल जी महाराज जी बताते है कि सतलोक में पुरुष और नारी, बड़े ओर छोटे, ऊंचे तथा नीचे कुल और रूप तथा कुरूप जैसे कोई भेदभाव नहीं है। सतलोक में केवल एक परमात्मा सत्पुरुष कबीर साहेब जी है, जो असंख्य ब्रह्मांडो के मालिक है। सतलोक में सभी जीव आत्माओं को एक समान सुख सुविधा प्राप्त है।