स्विस बैंकों ( Swiss Banks) में भारतीयों के जमा धन को लेकर एक बार फिर हलचल मच गई है। स्विस नेशनल बैंक (SNB) द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारतीयों और भारतीय कंपनियों की जमा राशि में रिकॉर्ड स्तर की बढ़ोतरी हुई है। यह राशि 2023 के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक रही और बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपये) तक पहुँच गई। यह 2021 के बाद से सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है।
- 2023 में भारी गिरावट, 2024 में बड़ा बदलाव
- सीधे भारतीय खातों में केवल 3,675 करोड़ रुपये
- आंकड़ों से साफ तस्वीर: किस रूप में रखा गया पैसा?
- क्या यह सारा पैसा काला धन है?
- भारत-स्विट्ज़रलैंड के बीच टैक्स चोरी रोकने का समझौता
- वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति
- ऐतिहासिक झलक: 2006 में रिकॉर्ड स्तर
- BIS के आंकड़े और विश्वसनीयता
- क्या संदेश देती है यह बढ़ोतरी?
- भारतीय निवेशकों का स्विस बैंकों पर भरोसा कायम
- तत्वज्ञान से समाज को मिल रही नई दिशा
- स्विस बैंकों में भारतीय धन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
2023 में भारी गिरावट, 2024 में बड़ा बदलाव
साल 2023 भारतीय जमा राशि के लिए सबसे निचले स्तर वाला साल साबित हुआ था। उस समय भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन 1.04 अरब स्विस फ्रैंक (करीब 11,000 करोड़ रुपये) था, जो पिछले कई वर्षों का सबसे कम आंकड़ा था। लेकिन 2024 में हालात पूरी तरह बदल गए और यह राशि अचानक तीन गुना उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुँची।
सीधे भारतीय खातों में केवल 3,675 करोड़ रुपये
हालांकि कुल 37,600 करोड़ रुपये में से सीधे भारतीय ग्राहकों के खातों में सिर्फ 346 मिलियन स्विस फ्रैंक (करीब 3,675 करोड़ रुपये) ही जमा हैं। यानी यह कुल राशि का केवल दसवां हिस्सा है। शेष धनराशि ज्यादातर बैंकों, वित्तीय संस्थानों, बॉन्ड्स और सिक्योरिटीज के जरिए जमा की गई है।
आंकड़ों से साफ तस्वीर: किस रूप में रखा गया पैसा?
स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विस बैंकों की कुल देनदारियां CHF 3,545.54 मिलियन हैं। इसमें –
- अन्य बैंकों के माध्यम से रखे गए CHF 3.02 बिलियन,
- ग्राहक खातों में CHF 346 मिलियन,
- ट्रस्ट या न्यासों के जरिए CHF 41 मिलियन,
- बॉन्ड और प्रतिभूतियों जैसे साधनों में CHF 135 मिलियन शामिल हैं।
क्या यह सारा पैसा काला धन है?
इस सवाल पर हमेशा बहस होती रही है, लेकिन स्विस और भारतीय दोनों ही अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि स्विस बैंकों में जमा सारा पैसा काला धन नहीं होता। ये आंकड़े केवल बैंकों की देनदारी (Liabilities) को दर्शाते हैं। इसमें वह पैसा शामिल नहीं होता जो भारतीयों या अनिवासी भारतीयों (NRI) ने किसी तीसरे देश की कंपनियों या संस्थाओं के नाम पर जमा किया हो।
भारत-स्विट्ज़रलैंड के बीच टैक्स चोरी रोकने का समझौता
भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच 2018 से सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान (Automatic Exchange of Information) लागू है। इसके तहत स्विस बैंक हर साल भारतीय निवासियों के खातों का वित्तीय डेटा भारतीय अधिकारियों के साथ साझा करते हैं। पहला डेटा ट्रांसफर 2019 में हुआ था और तब से यह सिलसिला हर साल जारी है। इस व्यवस्था से टैक्स चोरी और संदिग्ध फंडिंग की निगरानी आसान हो गई है।
वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति
स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत की रैंकिंग में भी सुधार दर्ज किया गया है। 2023 में भारत 67वें स्थान पर था, जबकि 2024 में यह 48वें स्थान पर पहुँच गया। हालांकि, यह 2022 के 46वें स्थान से थोड़ा नीचे है। इसके बावजूद, इतनी तेज़ वृद्धि ने भारत को एक बार फिर वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है।
ऐतिहासिक झलक: 2006 में रिकॉर्ड स्तर
अगर पिछले वर्षों पर नज़र डालें तो 2006 में भारतीय जमा राशि रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी, जब यह 6.5 अरब स्विस फ्रैंक तक पहुँची थी। उसके बाद 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 को छोड़कर ज्यादातर वर्षों में इसमें गिरावट ही देखी गई। 2021 में यह फिर से उछलकर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक हो गई थी, जो 14 वर्षों का सबसे बड़ा स्तर था।
BIS के आंकड़े और विश्वसनीयता
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) ने भी 2024 में भारतीय जमा में करीब 6 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है। BIS के स्थानीय बैंकिंग आंकड़े कई बार भारतीय और स्विस अधिकारियों द्वारा अधिक विश्वसनीय माने जाते हैं क्योंकि इसमें स्विस-निवासी बैंकों के भारतीय ग्राहकों की जमा राशि और ऋण दोनों को शामिल किया जाता है।
क्या संदेश देती है यह बढ़ोतरी?
इस तरह की बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय कंपनियों और संस्थानों के लिए अभी भी स्विस बैंक एक भरोसेमंद ठिकाना बने हुए हैं। हालांकि, सख्त अंतरराष्ट्रीय नियमों और भारत-स्विट्ज़रलैंड के बीच डेटा एक्सचेंज समझौते ने पारदर्शिता बढ़ाई है। अब यह कहा जा सकता है कि स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन पर पहले जैसी रहस्यमयी परतें नहीं हैं।
भारतीय निवेशकों का स्विस बैंकों पर भरोसा कायम
2024 में स्विस बैंकों में भारतीयों का धन तीन गुना बढ़कर 37,600 करोड़ रुपये तक पहुँचना भारतीय कंपनियों और संस्थानों की वित्तीय गतिविधियों का संकेत है। हालांकि इसमें से व्यक्तिगत खातों की हिस्सेदारी बेहद कम है, लेकिन कुल मिलाकर यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फंड्स की मौजूदगी मज़बूत हो रही है। सबसे अहम बात यह है कि इसे काला धन मानना उचित नहीं होगा, क्योंकि स्विस और भारतीय सरकारें मिलकर टैक्स चोरी और अवैध फंडिंग के खिलाफ सख्त कदम उठा रही हैं। पारदर्शिता बढ़ने से अब इन आंकड़ों को एक आर्थिक वास्तविकता के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि केवल शक की नज़र से।
तत्वज्ञान से समाज को मिल रही नई दिशा
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स्विस बैंकों में भारतीय धन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. 2024 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि कितनी है?
2024 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि 3.5 अरब स्विस फ्रैंक यानी लगभग 37,600 करोड़ रुपये रही, जो 2023 की तुलना में तीन गुना ज्यादा है।
Q2. क्या स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का सारा पैसा काला धन है?
नहीं, स्विस और भारतीय अधिकारियों ने साफ किया है कि इस जमा राशि को काला धन नहीं माना जा सकता। यह रकम बैंकों की देनदारी के आंकड़ों पर आधारित है।
Q3. सीधे भारतीय ग्राहकों के खातों में कितनी राशि जमा है?
कुल 37,600 करोड़ रुपये में से केवल लगभग 3,675 करोड़ रुपये सीधे भारतीय ग्राहकों के खातों में जमा हैं। बाकी धन वित्तीय संस्थानों, बैंकों और सिक्योरिटीज के जरिए रखा गया है।
Q4. भारत और स्विट्जरलैंड के बीच टैक्स चोरी रोकने के लिए क्या व्यवस्था है?
2018 से दोनों देशों के बीच ऑटोमैटिक डेटा एक्सचेंज लागू है। इसके तहत हर साल भारतीय निवासियों के खातों की जानकारी भारत सरकार को साझा की जाती है।
Q5. स्विस बैंकों में भारतीय धन के मामले में भारत की रैंकिंग क्या है?
2024 में भारत वैश्विक स्तर पर 48वें स्थान पर रहा। 2023 में यह 67वें स्थान पर था, जबकि 2022 में भारत की रैंकिंग 46वीं थी।