भारत-बांग्लादेश की सीमा पर भारी भीड़ एकट्ठा हो रही है। और इसका फायदा उठाकर रेडिकल ग्रुप भारत में घुसने के फिराक में हैं इसके मद्देनजर सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गयी है। बीएसएफ जवानों की ओर से सीमा की कड़ी निगरानी की जा रही है। बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के बाद कट्टरपंथी इस्लामिक शक्तियों की ताकत बढ़ी है जमात-ए-इस्लामी मुजाहिदीन बांग्लादेश के कैडर सीमा पर जमा हो रहे हैं। ये कट्टर आतंकी भीड़ की आड़ में भारतीय सुरक्षाबलों पर बड़ा हमला कर सकते हैं खुफिया एजेंसियों को इस पर अहम जानकारी मिले हैं, जिसके बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा एजेंसी को अलर्ट किया गया है। पढ़िए पूरी जानकारी-
मुख्य बिंदु
- भारत की सुरक्षा के लिए यह आन्दोलन बन सकता हैं खतरा।
- पूरी बंगाल की खाड़ी तक पड़ेगी असर।
- पश्चिम बंगाल बना सॉफ्ट टारगेट।
- कट्टरपंथी और हिंसा पर संत रामपाल जी महाराज जी के अध्यात्मिक विचार।
भारत की सुरक्षा के लिए यह आंदोलन बन सकता है खतरा
बांग्लादेश में हालिया हिंसा में 110 से अधिक लोग मारे गए और 4,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हालांकि, रविवार को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि सरकारी नौकरियों में 93 प्रतिशत पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए केवल 5 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी, जबकि शेष 2 प्रतिशत सीटें जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडरों, और विकलांगों को दी जाएंगी। भारत सरकार इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि बांग्लादेश में अशांति का प्रभाव पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत पर भी पड़ता है। बांग्लादेश के विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यदि स्थिति को समझदारी से नहीं संभाला गया, तो हसीना विरोधी आन्दोलन भारत विरोधी आंदोलन में बदल सकता है।
पूरी बंगाल की खाड़ी तक पड़ेगा असर
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार, प्रोफेसर प्रबीर डे कहते हैं कि दक्षिण एशिया में भारत-बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारी है। दोनों देश बिम्सटेक और सार्क जैसे क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से भागीदारी निभाते हैं। भारत के कई पूर्वोत्तर राज्य बांग्लादेश पर निर्भर हैं, और इसी तरह बांग्लादेश भी भारत पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि अस्थिर बांग्लादेश केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के लिए सुरक्षा का खतरा बन सकता है। इसलिए, यह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और सरकार भी इस पर नजर बनाए हुए है।
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पश्चिम बंगाल बना सॉफ्ट टारगेट
बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि बांग्लादेश में हिंसा से पीड़ित लोग, चाहे वे आवामी लीग के समर्थक हों या अल्पसंख्यक समुदाय के हिंदू हों, उनके लिए पश्चिम बंगाल एक सॉफ्ट टारगेट है। क्योंकि बांग्लादेश से लगभग 2000 किलोमीटर लंबी साझा सीमा में कई नदी वाले क्षेत्र हैं और कई इलाकों में तार की बाड़ नहीं है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में प्रवेश करना आसान हो जाता है।
कट्टरपंथी और हिंसा के प्रति संत रामपाल जी महाराज जी के विचार
संत रामपाल जी महाराज के विचारों में कट्टरपंथी सोच और हिंसा के प्रति सख्त विरोध है। उनके अनुसार, किसी भी धर्म, समुदाय, या समाज में कट्टरपंथी विचारधारा और हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। संत रामपाल जी मानते हैं कि सभी धर्मों का मुख्य उद्देश्य मानवता को प्रेम, शांति, और सद्भाव की राह पर ले जाना है।
वे यह भी कहते हैं कि कट्टरपंथी सोच और हिंसा से समाज में केवल दुःख, असमानता और अशांति फैलती है। उनके अनुसार, अगर लोग सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान को समझें और उसका पालन करें, तो कट्टरपंथी विचारधाराएँ स्वतः ही समाप्त हो जाएँगी। अधिक जानकारी के लिए visit करें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube channel