US Tariff on India: अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 26% टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 20-40 आधार अंकों की कमी आ सकती है।
क्या है टैरिफ?
टैरिफ एक तरह का टैक्स है, जो वस्तुओं के आयात पर लगाया जाता है। इसे आयात शुल्क भी कहते हैं। वस्तुओं का आयात करने वाले को यह टैक्स सरकार को देना पड़ता है।
अमेरिका ने टैरिफ की घोषणा क्यों की है?
अमेरिकी सरकार का दावा है कि टैरिफ से अमेरिका में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ोतरी मिलेगी और व्यापार घाटा कम होगा। अमेरिका कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार असमानता का सामना कर रहा है। खासकर चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी अधिक है। वस्तुओं में व्यापार में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 2023-2024 में 35.31 अरब डॉलर रहा था।
फेयर एंड रेसिप्रोकल टैरिफ नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका को फिर से महान बनाने की बात कहते हुए फेयर एंड रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू करने की घोषणा की। उसी के तहत राष्ट्रपति ट्रंप ने रोज गार्डन के भाषण में कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की, जिसमें भारत भी शामिल है।
US Tariff on India: अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया है, जिसे राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘डिस्काउंटेड’ कहा है क्योंकि यह भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए औसत 52% टैरिफ का आधा है। यह टैरिफ 9 अप्रैल 2025 से लागू होगा, जबकि अन्य सभी देशों पर 5 अप्रैल 2025 से 10% बेसलाइन टैरिफ लागू कर दिया गया है।
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 26% टैरिफ
पूंजीवादी नीति को दर्शाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘मेक अमेरिका वेल्थी अगेन’ कार्यक्रम में भारत के साथ दुनिया के अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की। ट्रंप ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी-अभी मिलकर गए हैं, जो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन भारत हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा है। वह हमसे 52% शुल्क वसूलते हैं और हम उनसे लगभग कुछ भी नहीं लेते।
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अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया है, जिसे ट्रंप ने ‘डिस्काउंटेड’ कहा क्योंकि यह भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए औसत 52% टैरिफ का आधा है। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत, अमेरिकी सामानों जैसे मोटरसाइकिल पर 70%, ऑटोमोबाइल पर 52% तक का टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर औसतन 2.4% का टैरिफ लगाया जाता है।
इसी असमानता को कम करने के लिए फेयर एंड रेसिप्रोकल टैरिफ नीति की घोषणा की गई। इस नीति को भारत पर 9 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव
रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल, ज्वेलरी, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और उद्योग, नौकरियों, और व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ेगा। ऐसा अनुमान भी जताया जा रहा है कि इससे अमेरिकी निर्यात में 2 से 7 अरब डॉलर की कमी आ सकती है।
टैरिफ का असर
टैरिफ का असर | विवरण |
~ निर्यात में कमी | अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे, बिक्री घटेगी। |
~ उद्योगों पर असर | कम बिक्री से कंपनियों की कमाई घटेगी, उत्पादन भी कम होगा। |
~ नौकरियों पर असर | कंपनियों को नुकसान होने की स्थिति में कर्मचारियों की नौकरियाँ जा सकती हैं। |
~ रुपया कमजोर हो सकता है | डॉलर कम आयेंगे तो रुपया कमजोर हो सकता है। |
~ नए बाजारों की खोज | भारत को यूरोप व एशिया के देशों में व्यापार के नए बाजार खोजने होंगे। |
अन्य देशों पर टैरिफ का असर
• चीन पर 34% टैरिफ, पहले से मौजूद 20% टैरिफ के अतिरिक्त, कुल प्रभाव और गहरा होगा।
• वियतनाम पर 46% टैरिफ, निर्यात पर भारी असर होगा।
• कंबोडिया पर 49% टैरिफ, सबसे ज़्यादा टैरिफ वाला देश।
• श्रीलंका पर 44% टैरिफ, टेक्सटाइल और कृषि पर प्रभाव होगा।
• जापान पर 24% का टैरिफ, जिससे ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स पर असर पड़ सकता है।
• यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगाए जाने से ऑटोमोबाइल व फार्मा इंडस्ट्री प्रभावित होगी।
• अन्य देश जैसे सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड, ब्राज़ील, यूनाइटेड किंगडम, थाईलैंड के साथ दक्षिण कोरिया पर भी आयात शुल्क में वृद्धि की गई है।
अमेरिका द्वारा देशों पर बढ़ाए गए टैरिफ मुख्य रूप से अपने आर्थिक हितों की रक्षा, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और वैश्विक व्यापार नीतियों में संतुलन लाने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। हालांकि टैरिफ वृद्धि अक्सर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों में तनाव पैदा करते हैं और जवाबी टैरिफ का कारण बनते हैं। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और राजनीतिक संबंध प्रभावित होते हैं।
कर प्रणाली की यह विकृत अवस्था
कौटिल्य अर्थशास्त्र में कर (Tax) को राज्य की आत्मा कहा है। बिना कर के कोई भी राज्य चल नहीं सकता। उस समय कर व्यवस्था पर कुछ सीमाएं और अनुशासन थे, लेकिन आज के समय में, जब कलियुग अपने चरम पर है, तब चारों ओर माया (पैसे) की भूख दिखाई देती है। राजनेता केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति में लगे हैं और जनता के हितों की अनदेखी होती जा रही है। वर्तमान में स्थिति यह है कि जीवन की प्रत्येक वस्तु — चाहे वह आवश्यकता की हो या सामान्य उपयोग की — कर के दायरे में आ चुकी है।
कर प्रणाली की यह विकृत अवस्था न केवल आर्थिक असमानता को जन्म देती है, बल्कि सामाजिक संतुलन को भी प्रभावित करती है। जब कर नीति जनकल्याण के बजाय केवल राजस्व वृद्धि का माध्यम बन जाए, तब राज्य की आत्मा कमजोर हो जाती है। ऐसी स्थिति में नीतियों की पुनः समीक्षा और संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिससे नागरिकों को राहत मिल सके और राष्ट्र का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।
सतज्ञान: जीवन में संतुलन और स्थायित्व की आध्यात्मिक नीति
अमेरिका ने अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए टैरिफ नीति लागू की है, वैसे ही हमें अपने जीवन में आने वाले संकटों से बचाव के लिए आध्यात्मिक नीतियों की आवश्यकता है। सतज्ञान के अनुसार, जब तक मनुष्य केवल भौतिक लाभों के पीछे भागता रहेगा, तब तक जीवन में असंतुलन बना रहेगा।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिए गए सत्संगों में बताया गया है कि सच्चा सुख केवल सांसारिक व्यापार या नीति से नहीं, बल्कि उस पूर्ण परमात्मा की शरण में जाकर ही संभव है जो हर परिस्थिति में वास्तविक सुरक्षा और समाधान प्रदान करता है। जिस प्रकार देश अपनी अर्थव्यवस्था के लिए नीति बदलता है, वैसे ही आत्मा को भी मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सतज्ञान अपनाना चाहिए।
FAQs: US टैरिफ और भारत पर प्रभाव
प्र.1: अमेरिका ने भारत पर कितना टैरिफ लगाया है?
उ: अमेरिका ने भारत के कुछ निर्यात उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
प्र.2: इस टैरिफ का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ेगा?
उ: इससे निर्यात घट सकता है, उद्योगों की आय प्रभावित हो सकती है और नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है।
प्र.3: किन-किन सेक्टरों पर सबसे ज़्यादा प्रभाव होगा?
उ: ऑटोमोबाइल, ज्वेलरी, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख निर्यात सेक्टर प्रभावित होंगे।
प्र.4: अमेरिका ने यह टैरिफ क्यों लगाया है?
उ: अमेरिका का दावा है कि यह ‘फेयर एंड रेसिप्रोकल टैरिफ नीति’ के तहत घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और व्यापार घाटा कम करने के लिए किया गया है।
प्र.5: भारत इस स्थिति से कैसे निपट सकता है?
उ: भारत को नए निर्यात बाजार खोजने, व्यापार रणनीति सुधारने और घरेलू उत्पादन बढ़ाने की ज़रूरत है।