US Air Strikes on Yaman: हूती गुट ने इस घातक हमले को ‘युद्ध अपराध’ करार दिया है, हालांकि अमेरिका की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। यह हमला ऐसे दौर में हुआ जब रेड सी क्षेत्र पहले से ही जंग का मैदान बना हुआ है। इस हमले से न सिर्फ यमन, बल्कि पूरे मिडल ईस्ट की स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या यह महज़ एक जवाबी कार्रवाई है, या किसी बड़े संघर्ष की शुरुआती चाल? जवाब अभी साफ नहीं है, लेकिन यमन के आसमान पर मंडराते खतरे अब और भी गहरे हो गए हैं।
US Air Strikes on Yaman: हूती-अमेरिका टकराव चरम पर: यमन में खून, सवाल और साज़िश
USA Vs Yaman: हूती समूह द्वारा संचालित समाचार चैनल ‘अल-मसीरा’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह हमला बिना किसी पूर्व चेतावनी के किया गया, जब अधिकांश श्रमिक बंदरगाह पर अपने काम में लगे थे। रिपोर्ट में कहा गया कि यह न सिर्फ यमन की संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि सीधे तौर पर आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है। हूती प्रवक्ता याह्या सारी ने हमले को “अमेरिका की आक्रामक सैन्य नीति” करार देते हुए कहा, “हम इस हमले का बदला ज़रूर लेंगे।”
US Air Strikes on Yaman: तेल के लिए युद्ध? यमन में अमेरिका का हमला और पीछे की रणनीति
अमेरिका की ओर से अब तक इस हमले को लेकर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि हाल के सप्ताहों में अमेरिका ने रेड सी और उसके आसपास के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय नौवहन मार्गों की रक्षा के लिए कई “सर्जिकल ऑपरेशन” अंजाम दिए हैं। लेकिन उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि रास ईसा पर हमला उन्हीं अभियानों का हिस्सा था या नहीं।
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US Air Strikes on Yaman: विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की रणनीति केवल सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह हूती विद्रोहियों की आर्थिक क्षमता को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहा है, ताकि उनकी सैन्य गतिविधियों को रोका जा सके।
US Air Strikes on Yaman: मिडल ईस्ट में नई जंग की आहट: यमन बना संघर्ष का केंद्र
यमन पहले ही एक भयानक मानवीय त्रासदी का सामना कर रहा है। साल 2015 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से अब तक लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों की जान जा चुकी है। खाद्य संकट, चिकित्सा संसाधनों की कमी और बेरोजगारी चरम पर है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन की लगभग 80% आबादी को किसी न किसी रूप में सहायता की जरूरत है।
रास ईसा बंदरगाह यमन की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा जैसा है। यहां से न केवल तेल निर्यात होता है, बल्कि कई आवश्यक वस्तुएं देश के भीतरी हिस्सों तक पहुँचाई जाती हैं। अगर यह बंदरगाह लंबे समय तक ठप रहा, तो ईंधन और खाद्य पदार्थों की किल्लत और भी बढ़ जाएगी।
US Air Strikes on Yaman: यमन पर अमेरिकी वार: हूती बोले – ‘युद्ध अपराध’, दुनिया खामोश क्यों?
यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार, जो राजधानी अदन से कार्य करती है, ने अभी तक इस हमले पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन कुछ स्थानीय नेताओं ने इसे “यमन की अर्थव्यवस्था और संप्रभुता पर एक सीधा आक्रमण” बताया है।
हूती प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुस्सलाम ने एक बयान में कहा, “अगर अमेरिका इस तरह के हमले दोहराता है, तो हम उसके सैन्य अड्डों और जहाजों को निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। हम अपने देश और लोगों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।”
US Air Strikes on Yaman: तेल बंदरगाह पर तबाही: अमेरिका का यमन में बड़ा हमला, हूती गुट भड़का
यमन के हूती विद्रोहियों ने कहा कि तेल बंदरगाह रास इस्सा पर अमेरिकी हवाई हमले में करीब 12 लोगों की मौत हूई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। अमेरिकी सेंट्रल कमांड की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि उसने ईरान समर्थित आतंकवादी समूह के लिए ईंधन और राजस्व की आपूर्ति रोकने के लिए यह हमला किया है।
निष्कर्ष
यमन के रास ईसा तेल बंदरगाह पर अमेरिकी हवाई हमले में न केवल 12 से अधिक लोगों की जान गयी, बल्कि पूरे मिडल ईस्ट क्षेत्र में तनाव को और भड़क गया है। हूती विद्रोहियों ने इस हमले को ‘युद्ध अपराध’ करार देते हुए बदले की चेतावनी दी है, जबकि अमेरिका की ओर से स्पष्ट बयान न आना स्थिति को और संवेदनशील बना रहा है। विशेषज्ञ इस हमले को अमेरिका की एक रणनीतिक चाल मान रहे हैं, जिसका उद्देश्य हूतियों की आर्थिक और सैन्य क्षमता को कमजोर करना है।