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Home » ‘टाइगर पेरेंटिंग’ बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक, ज़्यादा सख्ती से पड़ता है DNA पर असर

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‘टाइगर पेरेंटिंग’ बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक, ज़्यादा सख्ती से पड़ता है DNA पर असर

SA News
Last updated: December 22, 2025 12:21 pm
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‘टाइगर पेरेंटिंग’ बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक, ज़्यादा सख्ती से पड़ता है DNA पर असर
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Tiger parenting: सभी माता-पिता अपने बच्चों के पालन पोषण उनके जन्म से लेकर बड़े होने तक पूरे प्यार और ज़िम्मेदारी के साथ करते हैं। बचपन से ही वे बच्चों की हर छोटी-बड़ी ज़रूरत का ध्यान रखते हैं और बच्चे की दुनिया पेरेंट्स के आसपास ही सिमटी होती है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है और स्कूल जाना शुरू करता है, माता-पिता की उससे जुड़ी उम्मीदें भी बढ़ने लगती हैं। अक्सर बच्चे के थोड़ा बड़े होते ही उससे “कुछ बनने” की अपेक्षा की जाने लगती है और यह अपेक्षा धीरे-धीरे दबाव का रूप ले लेती है ।

Contents
  • टाइगर पेरेंटिंग से जुड़े मुख्य पहलू:
  • टाइगर पैरेंटिंग क्या है?
  • टाइगर पेरेंटिंग के क्या क्या फायदे होते हैं?
  • टाइगर पेरेंटिंग से क्या क्या नुकसान हो सकता है?
  • टाइगर पैरेंटिंग से बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ सकता है 
  • Tiger parenting से आत्मसम्मान कम होता है, लेकिन मानसिक नुकसान  ज़्यादा होता है 
  • स्कूल में बुलीइंग (Bullying) से बच्चों की मानसिक सेहत को बड़ा खतरा
  • टाइगर पैरेंटिंग से DNA में भी हो सकता है असर 
  • आध्यात्मिक ज्ञान से ही पैरेंट्स बच्चों को प्रेम और नैतिक शिक्षा दे सकते हैं 
  • टाइगर पैरेंटिंग से जुड़े मुख्य FAQs 

आजकल बहुत से माता-पिता अपने बच्चों से हर हाल में टॉप करने की उम्मीद रखते हैं। अच्छे नंबर, परफेक्ट करियर और दूसरों से आगे निकलने के चक्कर में वे बच्चों पर ज़रूरत से ज्यादा दबाव डालते हैं जब यह दबाव सीमा से अधिक बढ़ जाता है, तो बच्चे का आत्मविश्वास और मनोबल कमज़ोर होने लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि माता-पिता बच्चों की क्षमताओं, रुचियों और भावनाओं को समझें, उन्हें सहयोग और मार्गदर्शन दें, ताकि वे बिना डर और तनाव के अपने सपनों की ओर बढ़ सकें।

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टाइगर पेरेंटिंग से जुड़े मुख्य पहलू:

  • टाइगर पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखते हैं और सख्त अनुशासन लागू करते हैं।
  • इससे बच्चों में अनुशासन, मेहनत और लक्ष्य पर फोकस करने की आदत बन सकती है।
  • लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा दबाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • सख्ती के कारण बच्चों में तनाव, एंग्जायटी, डिप्रेशन और आत्मविश्वास की कमी देखी जा सकती है।
  • रिसर्च के मुताबिक, बहुत सख्त परवरिश का असर बच्चों के डीएनए स्तर तक पड़ सकता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, प्यार, संवाद और अनुशासन के बीच संतुलन ही हेल्दी पेरेंटिंग का सही तरीका है।

टाइगर पैरेंटिंग क्या है?

टाइगर पैरेंटिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखते हैं। वे चाहते हैं कि बच्चा पढ़ाई में टॉप करे, अच्छा करियर बनाए और हर काम में बेस्ट साबित हो। इसके लिए वे बच्चों पर सख्त नियम लगाते हैं और अनुशासन को कड़ाई से लागू करते हैं। इस तरह की पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों के समय, दिनचर्या और आदतों पर पूरा कंट्रोल रखते है, इसे टाइगर पेरेंटिंग कहते हैं।

टाइगर पेरेंटिंग के क्या क्या फायदे होते हैं?

  • बच्चों में अनुशासन और नियमों का पालन करने की आदत बनती है।
  • मेहनत करने और लक्ष्य पर फोकस रखने की सीख मिलती है।
  • पढ़ाई और करियर को लेकर गंभीरता विकसित होती है।
  • समय का सही उपयोग और डिसिप्लिन्ड लाइफस्टाइल अपनाने में मदद मिलती है।
  • कुछ बच्चों में बेहतर प्रदर्शन की प्रेरणा पैदा होती है।

Also Read: How to Raise a Resilient Child in a Challenging World

टाइगर पेरेंटिंग से क्या क्या नुकसान हो सकता है?

  • बच्चों पर अत्यधिक मानसिक दबाव पड़ता है।
  • तनाव, चिंता और डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है।
  • आत्मविश्वास की कमी और खुद को कमतर समझने की भावना पैदा हो सकती है।
  • माता-पिता और बच्चों के बीच भावनात्मक दूरी बढ़ जाती है।
  • कुछ बच्चे ज़िद्दी या बगावती स्वभाव के हो सकते हैं।
  • बच्चों की रचनात्मकता और स्वतंत्र सोच दब सकती है।

टाइगर पैरेंटिंग से बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा बढ़ सकता है 

एक हालिया स्टडी के मुताबिक, अत्यधिक सख्त और नियंत्रण वाली परवरिश बच्चों की मानसिक सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। रिसर्च में पाया गया कि ऐसे बच्चों को अपनी बात कहने, सवाल पूछने या गलती से सीखने के मौके कम मिलते हैं, जिससे वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं। इस अध्ययन में 10 से 18 वर्ष की उम्र के 583 स्कूली बच्चों से बातचीत की गई। बच्चों से उनके माता-पिता के व्यवहार और अपनी मानसिक स्थिति को लेकर सवाल पूछे गए।

स्टडी की प्रमुख लेखिका डॉ. अंजली भट्ट 

के अनुसार, जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को ‘ऑथोरिटेरियन’ यानी बहुत सख्त बताया, उनमें डिप्रेशन, एंग्जायटी और तनाव के लक्षण ज़्यादा पाए गए। वहीं, जिन बच्चों के माता-पिता सहयोगी थे, उनसे खुलकर बातचीत करते थे और समझदारी से नियम बनाते थे, उनमें मानसिक समस्याएं काफी कम देखी गईं।

Tiger parenting से आत्मसम्मान कम होता है, लेकिन मानसिक नुकसान  ज़्यादा होता है 

स्टडी में पाया गया कि सख्त परवरिश से बच्चों में आत्मसम्मान कुछ हद तक बढ़ सकता है। लेकिन लगातार दबाव और डर का माहौल उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है। ऐसे में बच्चे खुद को अकेला और असहाय महसूस करने लगते हैं।

स्कूल में बुलीइंग (Bullying) से बच्चों की मानसिक सेहत को बड़ा खतरा

रिसर्च में एक और अहम बात सामने आई कि स्कूल में बुलीइंग, यानी बच्चों को डराना-धमकाना, उनकी मानसिक सेहत पर गहरा असर डालता है। जिन बच्चों ने बुली होने की बात कही, उनमें डिप्रेशन और एंग्जायटी का खतरा दो से ढाई गुना ज़्यादा पाया गया। इससे साफ होता है कि बच्चों की मानसिक स्थिति पर सिर्फ घर का माहौल ही नहीं, बल्कि स्कूल और दोस्तों का व्यवहार भी बहुत असर डालता है।

टाइगर पैरेंटिंग से DNA में भी हो सकता है असर 

इतना ही नहीं, कुछ रिसर्च यह भी बताती हैं कि ज़रूरत से ज़्यादा सख्त पैरेंटिंग का असर बच्चों के DNA लेवल को भी कम कर सकता है। ब्रिटेन की एक स्टडी में सामने आया है कि बहुत सख्त परवरिश बच्चों के जीन में कुछ ऐसे बदलाव ला सकती है, जिससे बच्चों को तनाव से निपटने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है। यही पैटर्न बाद में डिप्रेशन से जूझ रहे वयस्कों में भी देखा गया है।

आध्यात्मिक ज्ञान से ही पैरेंट्स बच्चों को प्रेम और नैतिक शिक्षा दे सकते हैं 

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अनुसार माता पिता को अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन देने के लिए प्यार, संयम और नैतिक शिक्षा देना चाहिए, न कि डर और सख्ती। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संग में बताते हैं कि जब माता-पिता गुस्से, दबाव और ज़बरदस्ती से बच्चों को नियंत्रित करते हैं, तो इससे बच्चों का मन अशांत हो जाता है और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ता है, बच्चे डर से नहीं बल्कि प्यार से समझाने से बेहतर सीखते हैं। माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चों को अच्छे संस्कार दें, उनसे बातचीत करें और उन्हें उन्हीं की गलतियों से सीखने का भी अवसर दें। संत रामपाल जी महाराज जी यह भी बताते हैं कि अत्यधिक सख्ती बच्चों को भीतर से कमज़ोर बना देती है, जबकि जबकि Right way-of-living (You can download pdf and read the book) और आध्यात्मिक मूल्यों से बच्चे का मानसिक विकास होता है और वह संतुलित बनते हैं।

टाइगर पैरेंटिंग से जुड़े मुख्य FAQs 

Q1. टाइगर पैरेंटिंग क्या है?

टाइगर पैरेंटिंग पालन-पोषण का एक ऐसा तरीका है, जिसमें माता-पिता बच्चों से बहुत अधिक अपेक्षाएं रखते हैं और अनुशासन को सख्ती से लागू करते हैं, खासकर पढ़ाई और करियर को लेकर।

Q2. टाइगर पैरेंटिंग के क्या फायदे हैं?

यह बच्चों में अनुशासन, मेहनत, समय प्रबंधन और लक्ष्य के प्रति गंभीरता विकसित कर सकती है।

Q3. टाइगर पैरेंटिंग के क्या नुकसान हैं?

अत्यधिक सख्ती से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे माता-पिता से दूरी बना सकते हैं।

Q4. टाइगर पैरेंटिंग का बच्चों के व्यवहार पर क्या असर पड़ता है?

इससे कुछ बच्चे ज़िद्दी हो जाते हैं, जबकि कुछ में बगावती स्वभाव विकसित हो सकता है।

Q5. टाइगर पैरेंटिंग में संतुलन कैसे बनाया जा सकता है?

बच्चों की रुचियों को समझकर, उनसे संवाद बनाए रखकर और अनुशासन के साथ सहयोग व भावनात्मक समर्थन देकर संतुलन बनाया जा सकता है।

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