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Home » Record Breaker Sumit ki kahani: हिम्मत और दृढ़ता की मिसाल, जिसने पेरिस पैरालंपिक में जीता स्वर्ण पदक

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Record Breaker Sumit ki kahani: हिम्मत और दृढ़ता की मिसाल, जिसने पेरिस पैरालंपिक में जीता स्वर्ण पदक

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Last updated: September 4, 2024 12:25 pm
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Sumit ki kahani
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भारत के स्टार पैरा एथलीट सुमित अंतिल ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुष भाला फेंक एफ 64 वर्ग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर एक बार फिर देश का नाम रोशन किया। सुमित ने अपने दूसरे प्रयास में 70.59 मीटर का थ्रो कर पैरालंपिक में नया रिकॉर्ड बनाया और अपने खिताब का सफलतापूर्वक बचाव किया। उनकी इस जीत के पीछे एक लंबी और कठिन यात्रा छुपी है, जो उनके बुलंद हौसले और दृढ़ संकल्प की कहानी बयां करती है। इस लेख में जानेंगे उनकी संघर्ष से सफलता तक की कहानी।

Contents
Record breaker Sumit ki kahani: मुख्य बिंदुRecord breaker Sumit ki kahani: एक दर्दनाक हादसे से करियर की शुरुआतखेल में नये आयामपेरिस पैरालंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शनपरिवार के लिए प्रेरणा बने सुमितRecord breaker Sumit ki kahani: एक प्रेरणानिम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

Record breaker Sumit ki kahani: मुख्य बिंदु

  • सुमित अंतिल भारत के स्टार पैरा एथलीट हैं, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक में भाला फेंक एफ 64 वर्ग में जीता स्वर्ण पदक 
  • 2015 में एक सड़क हादसे में सुमित ने एक पैर गंवा दिया था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने खेल में करियर बनाने का फैसला किया
  • सुमित ने एशियन चैंपियनशिप (2018) में पांचवां स्थान प्राप्त किया था, जबकि वर्ल्ड चैंपियनशिप (2019) में रजत पदक और नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं
  • पेरिस पैरालंपिक 2024 में उन्होंने 70.59 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता और नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया
  • सुमित की कहानी इंसान के अदम्य साहस, हिम्मत, मेहनत और दृढ़ संकल्प का उदाहरण, जिसने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े मंच पर खड़ा किया है

Record breaker Sumit ki kahani: एक दर्दनाक हादसे से करियर की शुरुआत

7 जून 1998 को जन्मे सुमित अंतिल का सफ़र आसान नहीं रहा। जब वह सिर्फ़ सात साल के थे, तब भारतीय वायुसेना में कार्यरत उनके पिता रामकुमार का देहांत हो गया। पिता की अकाल मृत्यु के बाद सुमित की मां निर्मला देवी ने चारों बच्चों की परवरिश की ज़िम्मेदारी अकेले संभाली। साल 2015 में, एक सड़क हादसे ने सुमित की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। 

■ Also Read: तीरंदाज राकेश कुमार संघर्ष से स्वर्ण तक का सफर

12वीं कक्षा में पढ़ते हुए जब वह ट्यूशन से लौट रहे थे, तभी सीमेंट से भरे एक ट्रैक्टर-ट्रॉली ने उन्हें टक्कर मार दी। इस घटना के कारण सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। इस भयावह हादसे के बावजूद सुमित ने हार नहीं मानी। ’जो खुद पर विश्वास रखते हैं, वही अपनी किस्मत खुद बनाते हैं।’ अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए उन्होंने अपने भीतर की हिम्मत को और मजबूत किया। रिश्तेदारों और दोस्तों की प्रेरणा से सुमित ने खेलों की ओर ध्यान दिया। एशियन रजत पदक विजेता कोच वीरेंद्र धनखड़ के मार्गदर्शन में उन्होंने दिल्ली में द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो के गुर सीखे।                   

खेल में नये आयाम

       “गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, 

वो तिफ़्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले।”

सुमित ने वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया, जहाँ वह पांचवें स्थान पर रहे। साल 2019 में, उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीता और उसी साल नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी नायाब प्रतिभा का प्रदर्शन किया। टोक्यो पैरालंपिक में सुमित ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता, जो उनके तथा उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण रहा।

पेरिस पैरालंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन

पेरिस पैरालंपिक में सुमित अंतिल ने न केवल अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। पहले प्रयास में 69.11 मीटर का थ्रो कर उन्होंने नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद अपने दूसरे प्रयास में 70.59 मीटर का थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता। वहीं एफ 44 की श्रेणी में श्रीलंका के डुलान कोडिथुवाक्कू ने सिल्वर और ऑस्ट्रेलिया के मिचाल बुरियन कांस्य पदक जीत कर दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। 

■ Also Read: Paris Olympic: पहले प्रयास में फाइनल के लिए नीरज चोपड़ा क्वालिफाई, तो वहीं विनेश फोगाट ओवर वेट के कारण ओलंपिक से डिस्क्वालिफाई

परिवार के लिए प्रेरणा बने सुमित

सुमित की इस कामयाबी ने न सिर्फ़ उनके परिवार को बल्कि पूरे देश को गर्व का जामा पहनाया है। तीन बहनों के इकलौते भाई ने अपनी मां और बहनों की हर मुश्किल को आसान बना दिया। सुमित ने अपनी मां से वादा किया था कि वह उन्हें जीवन की हर खुशी देंगे और उन्होंने अपनी मेहनत और सफलता से इस वादे को सच कर दिखाया।

“जीवन एक संग्राम है, लड़ना सिखाता है, हर चुनौती को पार करना सिखाता है। जो हार से नहीं डरते, साहस से आगे बढ़ते, वही सच्चे वीर कहलाते।”

Record breaker Sumit ki kahani: एक प्रेरणा

सुमित अंतिल की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, हिम्मत और मेहनत से हर बाधा को पार किया जा सकता है। सुमित ने न केवल खुद को, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दिया है कि “हार मानने वालों की कभी जीत नहीं होती।” उनके बुलंद हौसले और समर्पण ने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े मंच पर खड़ा कर दिया है और वह सभी के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं। 

             “आये जिस जिसकी हिम्मत हो,

  एक हाथ में सृजन दूसरे में हम प्रलय लिये चलते हैं,

 सभी कीर्ति ज्वाला में जलते हम अंधियारे में जलते हैं।”

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