पंजाब में 30 दिसंबर 2024 को किसानों के समर्थन में एक राज्यव्यापी बंद आयोजित किया गया। यह बंद सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक चला और इसका नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने किया। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल का समर्थन करना था, जो 13 प्रमुख मांगों को लेकर एक महीने से अनशन पर हैं। इन मांगों में सबसे अहम फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी है।
क्यों की गई हड़ताल
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए पत्रों का जवाब न मिलने के कारण पंजाब बंद का निर्णय लिया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य के अलग-अलग इलाकों में किसान नेताओं की ड्यूटी लगाई और सभी किसानों से इस बंद को सफल बनाने की अपील की।
किन सेवाओं पर पड़ा प्रभाव
पंजाब बंद का प्रभाव पूरे पंजाब में देखने को मिला, जिसमें:
- बंद का सबसे अधिक असर परिवहन पर पड़ा। राज्यभर में 280 से अधिक जगहों पर रास्ते बंद किए गए।
- इसमें लगभग 150 से अधिक ट्रेनें रद्द की गईं और 13 ट्रेनों का समय बदला गया।
- PRTC ने सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक अपनी सेवाएं रोक दीं। निजी बस ऑपरेटरों ने सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बसें बंद रखीं।
- मुख्य बाजार और अनाज मंडियां पूरी तरह बंद रहीं। हालांकि, कुछ स्थानों पर व्यवसाय सामान्य रहे।
- दूध, फल और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हुई। कई व्यापार संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया।
लेकिन आपातकालीन सेवाएं जैसे कि चिकित्सा सेवाओं,हवाई अड्डे की यात्रा, दूल्हा-दुल्हन की गाड़ी, छात्रों को बंद से छूट दी गई।
क्या रही जनता की प्रतिक्रिया
पंजाब बंद को समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन मिला। व्यापारियों, परिवहन कर्मचारियों, कर्मचारी यूनियनों, मजदूर संगठनों, पूर्व सैनिकों, सरपंचों और शिक्षकों की यूनियनों ने इसमें भाग लिया। किसानों ने लंगर लगाकर सड़कों पर यात्रा कर रहे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की।
सरकार और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह यानि कि राजा वड़िंग ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं का हल निकालना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
मुख्य मांगे और आंदोलन की पृष्ठभूमि
सूत्रों की मानें तो यह आंदोलन 13 फरवरी 2024 से संगरूर जिले के खनौरी बॉर्डर पर चल रहा है। कहा जा रहा है कि किसानों की मुख्य मांगे हैं कि:
- MSP की कानूनी गारंटी: फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप से सुनिश्चित करना।
- कर्ज माफी और पेंशन: किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए कर्ज माफी और पेंशन की मांग रखी।p
- बिजली दरों का विरोध: बिजली के बढ़ते दामों को रोकना।
- भूमि अधिग्रहण कानून: 2013 के कानून को फिर से लागू करना।
- न्याय की मांग: लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग रखी।
30 दिसंबर का पंजाब बंद किसानों की समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास था। हालांकि, इसने राज्य में परिवहन और बाजार सेवाओं को प्रभावित किया। लेकिन समाज के विभिन्न वर्गों ने किसानों का समर्थन किया। यह बंद कृषि और किसानों के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
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