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Home » ओणम 2024: असुर राजा बलि की पूजा का रहस्य—क्या है इसके पीछे की असली वजह?

Festivals

ओणम 2024: असुर राजा बलि की पूजा का रहस्य—क्या है इसके पीछे की असली वजह?

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Last updated: September 14, 2024 7:56 pm
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ओणम 2024: असुर राजा बलि की पूजा का रहस्य—क्या है इसके पीछे की असली वजह?
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केरल एक बार फिर ओणम के रंगीन उत्सव में डूब गया है। इस त्योहार की रंग-बिरंगी सजावट, पारंपरिक नृत्य, और भव्य भोज इसे एक सांस्कृतिक पर्व बनाते हैं जो दुनिया भर के लाखों मलयालियों को एक साथ लाता है। इस साल ओणम 6 से 15 सितंबर तक मनाया जाएगा, और माना जाता है कि यह केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक एकता को एक नया जीवन देता है।

Contents
  • महाबली की कथा: ओणम पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
  • ओणम 2024: सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों का उत्सव
  • ओणम 2024: पारंपरिक भोज, स्थिरता, और वैश्विक पहल का संगम
  • ओणम के पर्व का उत्सव और उसकी आध्यात्मिक सच्चाई
  • ओणम 2024: वामन अवतार का रहस्य
  • संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सच्ची भक्ति
  • ओणम 2024 : FAQ’s
    • 1. ओणम क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?
    • 2. ओणम के दौरान कौन-कौन सी सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं?
    • 3. ओणम का पारंपरिक भोज क्या खास बनाता है?
    • 4. वामन अवतार के पीछे का गहरा रहस्य क्या है?
    • 5. संत रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि क्यों महत्वपूर्ण है?
  • निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

महाबली की कथा: ओणम पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

ओणम का उत्सव महान राजा महाबली की याद में मनाया जाता है, जिनके शासनकाल को केरल का स्वर्ण युग माना जाता है, जोकि शांति, समृद्धि और समानता से परिपूर्ण था। मान्यता के अनुसार, महाबली, (राजा बलि)  अपने न्यायप्रिय और उदार शासन के लिए अपनी प्रजा के बीच अत्यधिक प्रिय थे। हालांकि देवताओं ने, विष्णु भगवान के नेतृत्व में, उनकी बढ़ती शक्ति से भयभीत होकर हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। विष्णु ने वामन, एक बौने ब्राह्मण, का रूप धारण किया और महाबली के पास पहुंचे। 

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एक योजना के तहत, उन्होंने तीन पग भूमि की मांग की। जब महाबली ने वामन की इच्छा पूरी करने का वचन दिया, तब वामन ने अपना आकार बढ़ा लिया और अपने पहले पग में पूरी पृथ्वी को नाप लिया। दूसरे पग में उन्होंने आकाश (स्वर्ग लोक) को नाप लिया। जब वामन ने तीसरे पग के लिए कोई स्थान नहीं पाया, तो महाबली ने अपनी विनम्रता दिखाते हुए अपना सिर आगे कर दिया।

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वामन ने अपने तीसरे पग को महाबली के सिर पर रखकर आकाश, पृथ्वी और पाताल लोक को माप लिया। उनके इस समर्पण से प्रसन्न होकर, मान्यता है कि विष्णु ने महाबली को वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी, जिसे ओणम के रूप में मनाया जाता है।

ओणम 2024: सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों का उत्सव

इस वर्ष की शुरुआत “अथम” के दिन से हुई, जब पारंपरिक फूलों की रंगोली “पुक्कलम” बनाकर ओणम की तैयारी की जाती है। प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे पुलिकली (बाघ नृत्य), कथकली और वल्लमकली (नाव दौड़) ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पर्यटकों का भी खास ध्यान आकर्षित किया है।

ओणम 2024: पारंपरिक भोज, स्थिरता, और वैश्विक पहल का संगम

इस वर्ष ओणम के पारंपरिक सध्या भोज को खास तरीके से तैयार किया गया है, जिसमें 24-26 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन शामिल हैं। साथ ही, केरल पर्यटन विभाग ने ओणम को वैश्विक स्तर पर फैलाने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाई हैं। विशेष रूप से, स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है—सजावट में प्लास्टिक के प्रयोग को न्यूनतम किया गया है और पारंपरिक, पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों का चयन किया गया है। इसके साथ ही, आभासी कार्यक्रमों और ऑनलाइन प्रतियोगिताओं ने ओणम के उत्सव को दुनिया भर में प्रमुखता से पेश किया है।

ओणम के पर्व का उत्सव और उसकी आध्यात्मिक सच्चाई

ओणम के पर्व की धूमधाम और सांस्कृतिक भव्यता केरल में हर वर्ष एक खास उत्सव का हिस्सा बनती है। हालांकि, इस पर्व के दौरान की जाने वाली साधनाएं और पूजा विधियाँ शास्त्रों के अनुसार सही नहीं हैं। शास्त्रों के अनुसार, सच्ची भक्ति केवल एक पूर्ण संत के मार्गदर्शन में की जा सकती है, जो शास्त्रों की विधि से परमात्मा की आराधना करवा सके। आज, संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र संत हैं जो शास्त्रों के अनुसार सही भक्ति का मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

ओणम 2024: वामन अवतार का रहस्य

यह समझना जरूरी है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा है। दरअसल, यह अवतार परमात्मा कबीर साहेब ने लिया था। कबीर साहेब, जो पूर्ण परमात्मा हैं और जिनकी भक्ति ब्रह्मा, विष्णु, और महेश जैसे त्रिदेव भी करते हैं, देवताओं से भी श्रेष्ठ माने जाते हैं।

उनकी भक्ति से ही सच्चा सुख और मोक्ष प्राप्त होता है। इस रहस्य का प्रमाण स्पष्ट रूप से , हमें सूक्ष्मवेद में मिलता है, जो उनकी वास्तविक पहचान और भक्ति की गहराई को उजागर करता है।  इस अनकही सच्चाई को गहराई से समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन अवश्य सुनें।

संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में सच्ची भक्ति

संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में की जाने वाली साधना शास्त्रों के अनुसार है, जिसमें परमात्मा कबीर साहेब की आराधना की जाती है। यह भक्ति विधि वेद, गीता, और पुराणों में प्रमाणित है। शास्त्रों के अनुसार, केवल एक पूर्ण संत के बताए मार्ग पर चलकर ही आत्मा मोक्ष और सच्चे सुख की प्राप्ति कर सकती है।

इसलिए, अब समय आ गया है कि हम अपनी पारंपरिक मान्यताओं पर पुनः विचार करें। शास्त्रों से प्रमाणित इस सच्ची साधना को अपनाकर हम जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा पा सकते हैं और अनंत सुख की प्राप्ति का सही मार्ग खोज सकते हैं। इस अनमोल भक्ति विधि की गहराई को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज के प्रेरक प्रवचन सुनना न भूलें।

ओणम 2024 : FAQ’s

1. ओणम क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

ओणम केरल का एक प्रमुख उत्सव है जो राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। यह पर्व केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक एकता का प्रतीक है, और इसे धूमधाम से पारंपरिक नृत्य, रंग-बिरंगी सजावट, और भव्य भोज के साथ मनाया जाता है।

2. ओणम के दौरान कौन-कौन सी सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं?

ओणम के अवसर पर कई रंगीन सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जैसे पुलिकली (बाघ नृत्य), कथकली (पारंपरिक नृत्य नाटक), और वल्लमकली (नाव दौड़)। इन गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय और पर्यटक दोनों ही उत्सव की जीवंतता का अनुभव करते हैं।

3. ओणम का पारंपरिक भोज क्या खास बनाता है?

ओणम के पारंपरिक भोज, जिसे ‘सध्या’ कहा जाता है, विशेष रूप से लजीज और विविधतापूर्ण होता है। इसमें 24-26 विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, और इस बार स्थिरता को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक का उपयोग कम किया गया है और पारंपरिक सामग्री को प्रोत्साहित किया गया है।

4. वामन अवतार के पीछे का गहरा रहस्य क्या है?

वामन अवतार का असली रहस्य यह है कि यह परमात्मा कबीर साहेब द्वारा लिया गया था, जो पूर्ण परमात्मा हैं। यह तथ्य सूक्ष्मवेद में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है और यह दर्शाता है कि ब्रह्मा, विष्णु, और महेश भी उनकी भक्ति करते हैं। इस रहस्य को जानने से भक्ति की वास्तविकता उजागर होती है।

5. संत रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि क्यों महत्वपूर्ण है?

संत रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि शास्त्रों के अनुसार है, जिसमें परमात्मा कबीर साहेब की आराधना की जाती है। यह विधि वेद, गीता, और पुराणों में प्रमाणित है, और केवल इसी मार्ग पर चलकर आत्मा को सच्चा सुख और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।

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