भारत में हर साल 26 नवंबर को “राष्ट्रीय दुग्ध दिवस” मनाया जाता है। यह दिन “श्वेत क्रांति” के जनक और भारतीय डेयरी उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने वाले डॉक्टर वर्गीज कुरियन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दूध और डेयरी उत्पादों के महत्व को उजागर करना, डेयरी उद्योग के विकास पर ध्यान केंद्रित करना, और भारत के किसानों व डेयरी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के योगदान को सम्मान देना है।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने की शुरुआत 2014 में हुई थी। यह निर्णय भारतीय डेयरी संघ (IDA) ने लिया था, जो डॉक्टर वर्गीज कुरियन की पाई हुई उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए किया गया। डॉक्टर कुरियन ने भारत में दुग्ध उत्पादन को नई दिशा दी और भारत को “दूध के मामले में आत्मनिर्भर” देश बनाने में अहम भूमिका निभाई।
डॉक्टर वर्गीज कुरियन: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
डॉक्टर वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को हुआ था। उन्होंने अपने जीवन को भारतीय डेयरी उद्योग को सशक्त बनाने के लिए समर्पित किया। उन्हें “श्वेत क्रांति” का जनक कहा जाता है। उनके नेतृत्व में शुरू की गई “ऑपरेशन फ्लड” योजना ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना दिया।
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भारत में “श्वेत क्रांति” की शुरुआत डॉक्टर वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में हुई। 1970 में शुरू की गई “ऑपरेशन फ्लड” योजना का उद्देश्य देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना था। इस योजना के तहत सहकारी समितियों की स्थापना की गई और दुग्ध उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाया गया।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य
इसका मुख्य उद्देश्य दूध और डेयरी उत्पादों के महत्व को लोगों तक पहुँचाना है। इसके अलावा, इस दिन पर:
- डेयरी उद्योग में योगदान देने वाले किसानों और कर्मचारियों को सम्मान दिया जाता है।
- डेयरी उद्योग में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा की जाती है।
- समाज में पोषण और स्वास्थ्य के लिए दूध की भूमिका को समझाया जाता है।
दूध और स्वास्थ्य का संबंध
दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है,क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, और अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे कि:
- दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाते हैं।
- दूध में मौजूद पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
- दूध ऊर्जा प्रदान करता है और थकान को दूर करता है।
राष्ट्रीय दूध दिवस 2024 की थीम
भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का विषय “AI और IT के साथ डेयरी उद्योग को बदलना” है। यह थीम पर राष्ट्रीय दूध दिवस मनाया जाएगा।
डेयरी उद्योग की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के माध्यम से इस क्षेत्र में हुए विकास को दर्शाने और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की जाती है।
डेयरी उद्योग की चुनौतियां
- दुग्ध उत्पादन में गुणवत्ता बनाए रखना।
- छोटे किसानों को बाजार तक पहुँचाना।
- डेयरी उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा।
डेयरी क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएँ
डिजिटल तकनीकों और आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से डेयरी उद्योग को और अधिक विकसित किया जा सकता है। “राष्ट्रीय दुग्ध दिवस” इस दिशा में नए विचारों और योजनाओं को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसी लिए इस दिन दूध उत्पादन के जुड़े मुद्दों पर विशेष चर्चा की जाती है।
सतलोक: वह स्थान जहां दूध की नदियां बहती हैं
सत्संग से हमें उस स्थान की जानकारी होती है यहां जाने के बाद मनुष्य की कभी जन्म मृत्यु नहीं होती, वहां सदाबहार वृक्ष हैं ,जो वर्ष भर फल देते है और वहां दूध की नदियां बहती हैं। सतगुरु की सेवा तथा उनके बताए मार्ग पर चल कर हम उस अविनाशी लोक तक पहुंच सकते हैं। वर्तमान में सद्गुरु केवल एकमात्र सच्चे गुरु केवल संत रामपाल महाराज जी हैं, जो उस स्थान तक पहुंचाने के एक मार्ग अधिकारी है तथा उनकी बताई भक्ति करने से ही साधक का मोक्ष संभव हैं।अधिक जानकारी हेतु विजिट करें यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज