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Home » नागासाकी पर फैट मैन का कहर: 40000 लोगों की मौत, 6.7 वर्ग KM तक तबाही का मंजर

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नागासाकी पर फैट मैन का कहर: 40000 लोगों की मौत, 6.7 वर्ग KM तक तबाही का मंजर

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Last updated: August 9, 2024 4:22 pm
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नागासाकी पर फैट मैन का कहर 40000 लोगों की मौत, 6.7 वर्ग KM तक तबाही का मंजर
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नागासाकी पर परमाणु हमले की कहानी दुनिया के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। 9 अगस्त 1945 को, अमेरिका ने जापान के नागासाकी शहर पर “फैट मैन” नामक परमाणु बम गिराया। इस बमबारी का उद्देश्य जापान को द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना था। 

Contents
फैट का प्रकोप: पल भर में हुई हज़ारों मौतेहिरोशिमा और नागासाकी के भयानक कहर की वजहक्या था ऑपरेशन डाउनफॉल?क्या फैट मैन ही था जापान के पीछे हटने की वजह?तबाही के 76 साल बाद भी आज कैसे हैं हिरोशिमा और नागासाकी?जानिए अभी किस विवाद पर हो रहा है बवाल?क्या है इन युद्धों का कारण? कैसे हो इनसे समापन?FAQsहिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी कब हुई थी?हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने का कारण क्या था?वर्तमान में इन घटनाओं की स्मृति कैसे मनाई जाती है?

जब “फैट मैन” नागासाकी पर गिरा, तो शहर में पलक झपकते ही हजारों लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। 

यह हमला मानवता के लिए एक बड़ी चेतावनी थी, जो युद्ध की भयावहता और शांति की आवश्यकता को उजागर करता है। नागासाकी ने इस तबाही के बाद पुनर्निर्माण और शांति की दिशा में कदम बढ़ाए।

वहां के पीस पार्क और नागासाकी एटॉमिक बॉम्ब म्यूजियम, इस घटना की याद दिलाते हैं और शांति का संदेश देते हैं। 

फैट का प्रकोप: पल भर में हुई हज़ारों मौते

9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर गिराए गए इस परमाणु बम ने एक पूरी आबादी को तहस – नहस कर दिया। 

जापान के आत्म समर्पण न करने के कारण 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा शहर पर लिटिल बॉय नामक बम गिराया गया। तथा इस बम से कुछ ही सेकेंड्स में 80 हजार के करीब लोग मौत की नींद सो गए। इतना भयानक खामियाज़ा भुगतने के बाद भी जापान झुकने के लिए तैयार नहीं था, इसके ठीक तीन दिन बाद अमेरिका द्वारा 9 अगस्त 1945 के दिन सुबह के 11 बजे जापान के नागासाकी शहर पर Boeing B-29 विमान से “फैटमैन” नामक परमाणु बम गिराया।

यह बम लिटिल बॉय बम के मुकाबले काफी ज्यादा शक्तिशाली था। इस बम से कुछ ही सेकंड में 40,000 लोग मारे जाते हैं और लगभग  6.7 वर्ग किलोमीटर तक शहर बर्बाद हो जाता है। हालांकि नागासाकी पर गिराया गया एटम बम और भी ज्यादा पॉवरफुल था, लेकिन इस बार कम हिरोशिमा के मुकाबले कम नुकसान का सामना करना पड़ा, इसके कई कारण हैं:

  • हिरोशिमा की खबर बाकी शहरों तक पैंपलेट पहुंच चुके थे कि ऐसा कुछ आपके शहर में हो सकता है, इसलिए सतर्क रहे ।
  • जिससे लोग पहले से ही ज्यादा अगाह थे तथा वह शहर के सेंटर से दूर बाहरी इलाके में चले गए। इसके अलावा शहर के आस – पास पहाड़ियाँ थी। पहाड़ियों की वजह से बॉम्ब के धमाके का असर हिरोशिमा के मुकाबले कम देखा गया।
  • जापान पर किए गए इन दोनों हमलों में लगभग लाखों की तादात में लोग मारे गए, जिनमें 95 फीसदी आम जापानी नागरिक शामिल थे। इस भयानक हमलों के काफी ज्यादा दुष्परिणाम देखने को मिले। 

हिरोशिमा और नागासाकी के भयानक कहर की वजह

साल 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध को छह साल हो चुके थे, लेकिन इसका अंत नज़र नहीं आ रहा था। जापान उस समय एक शक्तिशाली देश था और लगातार हमले कर रहा था। युद्ध की विभीषिका से दुनिया को बचाने के लिए अमेरिका ने कठोर निर्णय लिया।

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6 अगस्त 1945 को, अमेरिका ने हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम गिराया। यह बम गिरने के साथ ही शहर में विनाश हुआ और हजारों लोग मारे गए। इसके तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को, अमेरिका ने नागासाकी पर ‘फैट मैन’ नामक दूसरा परमाणु बम गिराया, जिससे वहां भी भारी तबाही मची।

क्या था ऑपरेशन डाउनफॉल?

ऑपरेशन डाउनफॉल द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान जापान पर आक्रमण करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा तैयार किया गया एक व्यापक सैन्य योजना। यह योजना जापान पर बड़े पैमाने पर जमीनी आक्रमण करने के लिए बनाई गई। 

9 अगस्त को नागासाकी पर टूटा एटम बम का कहर…न्यूक्लियर अटैक सर्वाइवर की आपबीती..देखिए चमत्कार की अनसुनी कहानियां #GNTSpecial #WorldNagasakiDay2023 @shwetajhaanchor #NagasakiDay pic.twitter.com/7ldGEY1cem

— GNTTV (@GoodNewsToday) August 9, 2023

ऑपरेशन डाउनफॉल में जापानी नागरिकों का काफी ज्यादा ब्रेन वॉश किया जाता था, लोगों को बताया जाता था कि जो राजा (Emperor) है, वो भगवान की देन है, लोग इन्हें भगवान के समान मानते थे। जो भी वो कहते थे आम नागरिक उस पर अंधाधुंध विश्वाश करते थे, उन्हें कहा जाता था कि अगर विश्वास नहीं करोगे  तो तुम हमारे देश के विरुद्ध हो। तथा लोगों को काफी ज्यादा Manipulate भी किया जाता था। 

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मानसिकता कर दी गयी थी कि वो अपने राजा के लिए जान भी दे सकते थे। Organise Suicide Attacks करने के लिए यूनिटी बनाई गई, जिसे कामिकाजा कहा गया। जिनका मकसद था कि वे फाइटर जैट्स में बैठेंगे और फिर दुश्मनों की वॉर शिपस् पर क्रैश कर देंगे, जिसे साधारण शब्दों में Suicide Bomb कहा जा सकता था। 

इतना ही नहीं साथ ही बच्चों को ट्रेनिंग भी दी जाती थी कि वे अपने साथ बॉम्ब Explosive लेके चलें और  टैंक के नीचे वे अपनी जान दे दें और साथ में टैंक भी नष्ट हो जाए। 

इसी मानसिकता का प्रमाण ऑपरेशन डाउनफॉल में देखा गया, अमेरिका ने सोचा अब एक ही रास्ता  

बचता है Full Scale Invention किया जाए । जापान पर, तथा Onground Japanese Emperor को Overthrow करें। इसलिए अमेरिका प्लेन करता है ऑपरेशन डाउनफॉल। 

यह अमेरिका और जापान के बीच आखिरी बड़ी लड़ाई लड़ी जाती है जिसे “The Battle Of Okinawa” के नाम से जाना जाता है। 

यह 1 अप्रैल 1945 – 22 जून 1945 के बीच तक चलता रहा जिसमें एक छोटे से जमीन के टुकड़े के लिए लगभग 12 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई और 50,000 से अधिक लोग भारी मात्रा में घायल हो गए। दूसरी तरफ 1,10000 से ज्यादा जापानी सैनिक भी मारे गए। 

Okinawa Island पर जो रहने वाले लोग थे उन्हें Okinawans कहा जाता है, 1 ल में करीब 1 लाख से ज्यादा Okinawans मारे गए। इन सभी परिस्थितियों के बाद आखिरकार अमेरिकी जीत जाते हैं परंतु उन्हें भारी मात्रा में नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

क्या फैट मैन ही था जापान के पीछे हटने की वजह?

इन दो बम विस्फोटों के बाद आखिरकार Japanese Supreme Council की बैठक होती है और उसमें आत्मसमर्पण के विचार – विमर्श करने के लिए। परंतु अभी भी कुछ अधिकारी आत्मसमर्पण के लिए तैयार नहीं थे , लेकिन इतने भयंकर विस्फोटों से मची इतनी तबाही और सोवियत संघ द्वारा जापान पर हमला किए जाने के बाद जापान को घुटनों पर ला दिया और उसे आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया गया। आखिरकार जापान के राजा हीरो हीटो आत्मसमर्पण करने का फैसला लेते हैं। इन बम विस्फोटों का प्रभाव इतना गहरा था कि इसके बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ।

तबाही के 76 साल बाद भी आज कैसे हैं हिरोशिमा और नागासाकी?

यह इतनी दिल दहलाने वाली घटना थी कि तबाही के 76 साल बाद भी इन भयंकर विस्फोटों के दुष्प्रभाव आज भी वहाँ देखने को मिलते हैं। 

इस घटना में लोगों की त्वचा उतरने लगी और तत्काल 70,000 से 80,000 लोगों की मृत्यु हो गई। शहर के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया गया।

जो लोग बच गए, वे गंभीर जलन, शारीरिक चोटों, और जीवन-भर की समस्याओं से जूझते रहे। आज भी उस रेडिएशन के दुष्परिणाम से संबंधित बीमारियाँ,जैसे कि ल्यूकेमिया, थायरॉइड कैंसर,और अन्य प्रकार के कैंसर, वर्तमान में सामान्य हैं। तथा इसका परिणाम इतना भयानक था कि आज भी बच्चों में विकलांगता देखने को मिलती है।

वर्तमान समय में हीरोशिमा और नागासाकी में 1945 में परमाणु बम हमलों की याद में हर साल कई कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य पीड़ितों को श्रद्धांजलि देना, उनके प्रति शोक जताना और परमाणु हथियारों के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। लेकीन क्या केवल शोक मनाने तथा श्रद्धांजलि देने से उन मासूम लोगों का दर्द कम किया जा सकता है? क्या इन लम्हों को भुलाया जा सकता है? आखिर क्या हासिल हुआ इन भयंकर युद्धों से।

जानिए अभी किस विवाद पर हो रहा है बवाल?

जापान के नागासाकी में परमाणु बम विस्फोट की याद में बनाए गए स्मारक पर हर साल आयोजित होने वाला समारोह इस बार राजनीति का शिकार हो गया है। दरअसल नागासाकी के मेयर ने पश्चिम एशिया में जारी हिंसा के चलते इस्राइल को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया है। इस बात से अमेरिका नाराज हो गया है और यही वजह है कि जापान में अमेरिका के राजदूत रहम इमैनुएल ने नागासाकी स्मारक सेवा समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। 

क्या है इन युद्धों का कारण? कैसे हो इनसे समापन?

इन सब युद्धों का कारण वास्तविक अध्यात्मिक ज्ञान की पूर्ण जानकारी न होना है,जिसके कारण आज भी युद्ध हो रहें हैं, जिसका साफ मतलब है पूर्ण अध्यात्मिक ज्ञान का अभाव, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की वर्तमान समय में संपूर्ण अध्यात्म की जानकारी तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मौजूद हैं। विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही एक मात्र ऐसे तत्वदर्शी संत हैं जो इन होने वाले युद्धों को अपने तत्त्वज्ञान यानि कि पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान से टाल सकते हैं जिनके बारें में प्रसिद्ध महान भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां भी हैं।

FAQs

हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी कब हुई थी?

उत्तर: हिरोशिमा पर 6 अगस्त 1945 और नागासाकी पर 9 अगस्त 1945 को बमबारी की गई थी।

हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने का कारण क्या था?

 उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के अंत की दिशा में जापान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से ये बम गिराए गए थे।

वर्तमान में इन घटनाओं की स्मृति कैसे मनाई जाती है?

उत्तर : हर साल 6 और 9 अगस्त को शांति दिवस के रूप में स्मृति दिवस मनाया जाता है, और वैश्विक शांति और परमाणु हथियारों की समाप्ति के प्रयासों पर चर्चा की जाती है।

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