SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » Mirabai Jayanti 2024: मीराबाई की अनसुनी कहानी: जानिए वो पहलू और तथ्य जो आज भी आपसे छिपे हैं

Spirituality

Mirabai Jayanti 2024: मीराबाई की अनसुनी कहानी: जानिए वो पहलू और तथ्य जो आज भी आपसे छिपे हैं

SA News
Last updated: October 17, 2024 1:53 pm
SA News
Share
Mirabai Jayanti 2024 मीराबाई की अनसुनी कहानी जानिए वो पहलू और तथ्य जो आज भी आपसे छिपे हैं
SHARE

ऐसे ही कुछ भजन जो मीराबाई जी से संबंधित है ये दर्शाते है कि मीराबाई जी प्रभु प्रेम में कितनी गहराई से विलीन थीं। जी हाँ, आज हम आपको उस महान भक्त की लगभग 526वीं जयंती के अवसर पर उनके सच्चे मोक्षदायक मार्ग के बारे में बताएंगे और उनकी भक्ति का वास्तविक स्वरूप समझाएंगे। उनकी भक्ति की प्रेरणा से कैसे रचा गया वह अद्भुत सफ़र , जो ना केवल उनके लिए ,बल्कि पूरी मानवता के लिए एक मिसाल बन गया? आइए जाने उस महान भगत की गाथा। 

Contents
मीराबाई जी का जन्म कब हुआ और उनका जन्म स्थान क्या था? मीराबाई जयंती 2024 से जुड़ी विशेष जानकारीमीराबाई जयंती का महत्त्वमीराबाई की भक्ति यात्रा का प्रारंभमीराबाई की ज़िंदगी का निर्णायक मोड़: मीराबाई और कबीर साहेब का आध्यात्मिक संवादमीराबाई जी ने संत रविदास जी को ही गुरु क्यों चुना? “मीरा के लागी लगन , मीरा हो गई मगन , वो तो गली – गली हरि गुण गाने लगी” — जाने किस हरि की भक्ति मीराबाई ने कीसच्चे मार्गदर्शक की खोज: मोक्ष की दिशा में कदममीराबाई जयंती से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs1.मीराबाई का जन्म कब और कहां हुआ था?2.मीराबाई जयंती 2024 कब मनाई जाएगी?3.मीराबाई का जीवन किस प्रकार का था?4.मीराबाई की भक्ति का क्या संदेश है?5.वर्तमान में नामदीक्षा के लिए कौन-से संत से जुड़ सकते हैं?निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

“वस्तु अमोलिक दी मेरे सत्गुरु , कृपा कर अपनायो, पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ”

मीराबाई जी का जन्म कब हुआ और उनका जन्म स्थान क्या था? 

मीराबाई का जन्म 1498 के आसपास राजस्थान के कुड़की गांव, जो मारवाड़ रियासत के अंतर्गत मेड़ता में स्थित है, में हुआ था। मीराबाई मेड़ता के महाराज के छोटे भाई रतन सिंह की एकमात्र संतान थीं। मीराबाई एक राजकुमारी थीं, लेकिन उन्होंने भक्ति और प्रेम के मार्ग को अपनाया और भगवान की अनन्य भक्त बन गईं। 

मीराबाई जयंती 2024 से जुड़ी विशेष जानकारी

साल 2024 में मीराबाई जयंती 526वीं बार मनाई जाएगी। यह विशेष अवसर 17 अक्टूबर 2024, बृहस्पतिवार के दिन है।

•पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 16 अक्टूबर 2024 को शाम 08:40 बजे से शुरू होगा।

•वहीं, यह तिथि 17 अक्टूबर 2024 को दोपहर 04:55 बजे समाप्त होगी।

मीराबाई की जयंती पर भक्त उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो भक्ति और प्रेम का एक अद्भुत उदाहरण है।

मीराबाई जयंती का महत्त्व

मीराबाई जयंती का महत्व उनके भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। मीराबाई ने जीवनभर भक्ति की, उनके जीवन में भक्ति की राह में उन्होंने अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि समाज की रुकावटों के बावजूद, भी उन्होंने अपने आराध्य के प्रति प्रेम और श्रद्धा बनाए रखी। उनके लिखे भजन और कविताएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, जिनमें प्रेम, त्याग और भक्ति की भावना झलकती है। यह जयंती हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम और भक्ति हर मुश्किल से ऊपर होते हैं और समाज को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करती है | 

मीराबाई की भक्ति यात्रा का प्रारंभ

मीराबाई पिछले जन्मों की पुण्य कर्मी आत्मा थी । मीराबाई  का जन्म ठाकुर परिवार में हुआ। उनकी माँ बहुत धार्मिक महिला थी। बचपन में ही मीराबाई की श्री कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति आस्था थी। यह भी कहा जाता है की एक बार जब उनके पड़ोस में बारात आई,तो मीराबाई ने अपनी माता से पूछा कि उनका दूल्हा कौन है।तब उनकी माता ने कृष्ण की मूर्ति की ओर इशारा किया, और यह बात मीराबाई के मन में गहराई तक समा गई। और उन्हें अपने इष्ट रूप में पूजने लगी।

■ Also Read: हिमालय पर्वत: भूगोल, जैव विविधता और आध्यात्मिक धरोहर का संगम

जब मीराबाई का विवाह करने लगे तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि मैं दुबारा ब्याह नहीं कराऊँगी, मैंने भगवान श्री कृष्ण से ब्याह कर लिया है। परंतु समाज के दबाव के कारण उनका विवाह करा दिया गया। उनकी शादी महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुई। जो बहुत ही ही नेक राजा थे।

उस समय ठाकुर समाज में लड़कियों को बाहर जाना निषेध था। परंतु मीराबाई जी के पति ने उनके भक्ति भाव को देखते हुए उन्हें  दो चार नौकरानी के साथ मंदिर जाने की अनुमति दे दी। विवाह के 4 साल के बाद उनके पति की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद, उनके परिवार ने उनकी भक्ति को स्वीकार नहीं किया और उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

मीराबाई की ज़िंदगी का निर्णायक मोड़: मीराबाई और कबीर साहेब का आध्यात्मिक संवाद

पति की मृत्यु के उपरांत मीराबाई जी के ससुराल वालो को उनका घर से बाहर जाकर भक्ति करना नापसंद था।, उन्होंने कई बार उन पर रोक लगाने की कोशिश की परंतु मीराबाई जी ने उनकी बात नहीं मानी । 

एक बार वह अपनी नौकरानियो के साथ मंदिर जा रही थी तो उन्होंने देखा कि रास्ते में कोई संत प्रवचन कर रहे है । उन्होंने सोचा कि मंदिर से आते वक़्त उन महापुरुष के सत्संग सुनेगी। जब वह मंदिर से वापस लौट रही थी तब वह सत्संग सुनने कि लिए वहाँ बैठ गयी। वहाँ कबीर साहेब जी प्रवचन कर रहे थे । कबीर साहेब जी ने अपने प्रवचन में बताया की — कबीर , तीन देव की जो करते भक्ति , उनकी कभी ना होवे मुक्ति । इस बारे में कबीर साहेब ने विस्तार से बताया । 

मीराबाई जी श्रीकृष्ण जी की परम भक्त थी , उन्हें कबीर साहेब जी के यह प्रवचन अच्छे नहीं लगे और उन्होंने कबीर साहेब से कहा कि महाराज जी हमने तो कभी ये वचन सुने नहीं जो आप बता रहे है । तब कबीर साहेब ने उन्हें समझाया कि तीन देव ( ब्रह्मा – विष्णु – महेश ) की भक्ति से मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता , मोक्ष पूर्ण परमात्मा की भक्ति से संभव है । 

मीराबाई जी ने कहा कि श्रीकृष्ण जी उन्हें स्वयं दर्शन देते है और वह उनसे इस बारे में पूछेंगीं। जब अगली बार उन्हें श्रीकृष्ण जी ने दर्शन दिए तब उन्होंने श्रीकृष्ण जी से प्रश्न किया कि क्या उनसे भी ऊपर कोई शक्ति है । तब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया  कि उनसे भी ऊपर एक परमशक्ति है। यह सुनकर मीराबाई आश्चर्यचकित रह गई।

मीराबाई जी ने संत रविदास जी को ही गुरु क्यों चुना? 

मीराबाई जी के संत रविदास जी को गुरु धारण करने के पीछे का रहस्य काफ़ी रोचक है ।आइये इस रहस्य का खुलासा करते है :-

  • श्रीकृष्ण जी द्वारा उनसे ऊपर परमशक्ति होने की बात स्वीकारने के पश्चात मीराबाई जी दुबारा कबीर साहेब जी के सत्संग में गई और उनसे नामदीक्षा लेने की आकांक्षा व्यक्त की । उस समय पर जात पात का भेदभाव बहुत ज़्यादा था । 
  • कबीर साहेब ये देखना चाहते थे कि ये ठाकुरों की लड़की है और इसमें भगवान की कितनी चाह है ? ये परमात्मा को प्रमुख मानती है या समाज को ? 
  • कबीर साहेब जी ने पहले ही अपने शिष्य रविदास जी को कह दिया था कि मीराबाई की परीक्षा के लिए मैं इसे आपके पास नामदीक्षा के लिये भेजूँगा और आप इसे प्रथम मंत्रा देना । सिर्फ़ मीराबाई को ही नामदीक्षा देना और किसी को नामदीक्षा देने का आदेश नहीं दिया था । 
  • मीराबाई जी ने जब कबीर साहेब से नाम दीक्षा लेने की प्रार्थना की तब कबीर साहेब ने उन्हें रविदास जी से नामदीक्षा लेने को कहा । 
  • इसके पश्चात् जब मीराबाई जी ने रविदास जी से नामदीक्षा लेने  व्यक्त की तो रविदास जी ने उन्हें कहा कि मैं चमार जाति से हूँ , लोग आपको बहुत  ग़लत बोलेंगे की चमार से नामदीक्षा ले ली । परंतु मीराबाई जी ने समाज की नहीं सोची और अपने आत्मकल्याण के बारे में सोचा और रविदास जी से नामदीक्षा प्राप्त की । 

 “गुरु मिलिया रैदास, दीन्ही ज्ञान की गुटकी ”

“मीरा के लागी लगन , मीरा हो गई मगन , वो तो गली – गली हरि गुण गाने लगी” — जाने किस हरि की भक्ति मीराबाई ने की

मीराबाई जी ने प्रथम नाम उपदेश संत रविदास जी से प्राप्त किया और सतभक्ति प्रारंभ की । इसके पश्चात कुछ समय उपरांत कबीर साहेब जी ने मीराबाई को सतनाम प्रदान किया । 

मीराबाई जी ने सतज्ञान से परिचित होकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति प्रारंभ की ।जिनका वेद शास्त्रों में भी प्रमाण है । यही परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीन युगों में नामान्तर करके आते हैं, जो उनकी वाणी प्रमाणित करती है  , त्रोतायुग में मुनिन्द्र, द्वापर युग में करुणामय तथा कलियुग नाम कबीर धाराया”

कलयुग में कबीर देव (कविर्देव)। उस पूर्ण ब्रह्म का वास्तविक नाम कविर् देव ही है। जो सृष्टि रचना से पहले भी अनामी लोक में विद्यमान थे।

सच्चे मार्गदर्शक की खोज: मोक्ष की दिशा में कदम

मनुष्य के  अनमोल मानव जीवन में सतगुरु एक अहम भूमिका अदा करते हैं । जो उनके आध्यात्मिक जीवन का सही मार्गदर्शक होते हैं। इतना  ही नहीं सतगुरु ही वो एक मात्र ऐसे महापुरुष है जो मानव को अनमोल मनुष्य जीवन के मुख्य उद्देश्य से अवगत कराते हैं। जिस प्रकार मीराबाई को कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा मिले तथा संत रविदास जी से नाम दीक्षा लेने को कहा क्योंकि संत रविदास जी खुद कबीर परमात्मा की भक्ति किया करते थे, उन्होंने कबीर साहेब जी के आदेशानुसार मीरा बाई को प्रथम मंत्र दिया। 

■ यह भी पढ़ें: मीरा बाई (Meera Bai) ने श्री कृष्ण जी की भक्ति करनी क्यों छोड़ी और किस भक्ति से वे मूर्ति में समाई?

जिसकी मीराबाई ने भक्ति साधना की तथा कबीर साहेब जी स्वयं उनके मार्गदर्शक बने। और रविदास जी ने उनके जीवन में एक सतगुरु की भूमिका निभाई। इसी प्रकार वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत हैं जो अपने अनुयाइयों को सतभक्ति का सही मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं और उन्हें हर प्रकार के बुरे कर्मों से दूर कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज एक पूर्ण अध्यात्मिक गुरु हैं, जो मोक्ष का सशक्त मार्ग प्रदान कर रहे हैं और हर तथ्य को प्रमाण सहित प्रस्तुत कर रहे हैं। वे हमारे अनमोल मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए पूर्णत: प्रयासरत रहे हैं।

संत गरीबदास जी महाराज ने अपनी अमृत वाणी में कहा है:-

गरीब सतगुरु के लक्षण कहूँ, मधुरे बैन बिनोद। 

चार वेद , षट शास्त्र , कहे अठारा बोध।। 

सतगुरु गरीबदास जी महाराज ने अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा है कि सतगुरु वह होता है जिसे चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों की पूर्ण जानकारी होगी।अर्थात् वह उनका सार निकाल कर भक्त  समाज को विस्तार से बताएगा।

यहां से ये भी पूर्ण रूप से स्पष्ट है वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही वो महापुरुष है जो इस पूरे विश्व में एक मात्र ऐसे संत है जो सभी धार्मिक सतग्रंथों से प्रमाणित ज्ञान भक्त समाज को प्रदान कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज ही वो सतगुरु अर्थात पूर्ण संत है जिनके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में उल्लेख किया गया है,

अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन बाकी डार। 

तीनों देवा शाखा है, पात रूप संसार।। 

जो संसार रूपी उलटे लटके हुए वृक्ष को भली-भांति जानता है वहीं पूर्ण संत है। वे सम्पूर्ण मानव समाज को सतभक्ति देकर मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से मनुष्य का जन्म-मरण का रोग सदा के लिए समाप्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करके परम धाम सतलोक में जा सकता है जहाँ पूर्ण परमात्मा निवास करते हैं, किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है तथा जहां जाने के बाद मनुष्य का जन्म- मरण का दीर्घ रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।

मीराबाई जयंती से जुड़े महत्वपूर्ण FAQs

1.मीराबाई का जन्म कब और कहां हुआ था?

मीराबाई का जन्म 1498 में राजस्थान के कुड़की गांव (मेड़ता) में हुआ था।

2.मीराबाई जयंती 2024 कब मनाई जाएगी?

मीराबाई जयंती 17 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।

3.मीराबाई का जीवन किस प्रकार का था?

मीराबाई ने समाज के बंधनों को तोड़ते हुए भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

4.मीराबाई की भक्ति का क्या संदेश है?

उनकी भक्ति प्रेम, त्याग और समर्पण की मिसाल है, जो समाज को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करती है।

5.वर्तमान में नामदीक्षा के लिए कौन-से संत से जुड़ सकते हैं?

वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ली जा सकती है, जो संत ग़रीबदास जी की परंपरा से जुड़े हैं।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow
Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article Weather In Bengaluru Worsens Amid Heavy Rains IMD Issues Orange Alert  Weather In Bengaluru Worsens Amid Heavy Rains: IMD Issues Orange Alert 
Next Article Trends of Automobile Industries in India Trends of Automobile Industries in India
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Sant-Rampal-Ji-App-ads

Popular Posts

National Consumer Day 2024: जानिए महत्त्व, उद्देश्य और सुझाव

National Consumer Day in Hindi :हर साल 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस…

By SA News

राजस्थान बजट 2025-26: विकास की नई उड़ान

राजस्थान सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपना बजट पेश किया है, जो राज्य…

By SA News

वायु प्रदूषण से दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र 12 साल तक कम हो रही है

दिल्ली, भारत की राजधानी, एक बार फिर से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण चर्चा में…

By SA News

You Might Also Like

आध्यात्मिक जन्म जीवन के मूल उद्देश्य से अवगत होना 
Spirituality

आध्यात्मिक जन्म: जीवन के मूल उद्देश्य से अवगत होना 

By SA News
वैष्णो देवी मंदिर में भूस्खलन, दो श्रद्धालुओं की मौत
Spirituality

वैष्णो देवी मंदिर में भूस्खलन, दो श्रद्धालुओं की मौत

By SA News
Dahi Handi 2024 । दही हांडी: श्रीकृष्ण की माखन चोरी की परंपरा और उत्सव का रहस्यमय सच
Spirituality

Dahi Handi 2024 । दही हांडी: श्रीकृष्ण की माखन चोरी की परंपरा और उत्सव का रहस्यमय सच

By SA News
Kailash Mansarovar Yatra 2025 Kailash Mansarovar Yatra Returns in 2025 Is Lord Shiva The Supreme God
Spirituality

Kailash Mansarovar Yatra 2025: Kailash Mansarovar Yatra Returns in 2025: Is Lord Shiva The Supreme God?

By SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
600kLike
300kFollow
11.2kPin
151kFollow
523kSubscribe
2.1kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2024 | All rights reserved.