भारत ने रक्षा तकनीक में बड़ी सफलता हासिल करते हुए नया लेज़र हथियार बनाया है। DRDO द्वारा निर्मित यह 30 किलोवाट का अत्याधुनिक हथियार रविवार को सफलतापूर्वक परीक्षणित किया गया। इससे भारत अब रक्षा सुरक्षा के मामले में अमेरिका, चीन, रूस जैसे चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है।
मुख्य विशेषताएं
- 300 किलोवाट का ‘सूर्या लेज़र’ हथियार भी निर्माणाधीन
- 30KW हथियार 5 किलोमीटर तक के हवाई खतरों को खत्म करने में सक्षम
- ड्रोन, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को हवा में ही नष्ट कर सकता है
- 360 डिग्री सेंसर से लैस, सटीक लक्ष्यभेदन की क्षमता
- जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर तैनात किया जा सकता है
DRDO अध्यक्ष का बयान
DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा, “यह महज़ शुरुआत है। हमारी प्रयोगशाला ने अन्य संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर यह उपलब्धि हासिल की है। हम हाई-एनर्जी माइक्रोवेव और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसे अत्याधुनिक हथियारों पर भी कार्य कर रहे हैं, जो भविष्य में भारत को स्टार वॉर्स जैसी शक्ति देंगे।”
DRDO क्या करता है?
DRDO यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है देश के सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों का निर्माण और विकास करना। DRDO भारत को सैन्य रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर है।
DRDO की अगली तैयारी: ‘सूर्या लेज़र’
30 किलोवाट की सफलता के बाद अब DRDO 300 किलोवाट क्षमता वाले ‘सूर्या लेज़र’ पर कार्य कर रहा है। यह 20 किलोमीटर की दूरी तक हवाई खतरों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम होगा। यह हथियार भारत की रक्षा प्रणाली को पूरी तरह से डिजिटल और आधुनिक बनाएगा।
Laser Weapon DRDO: FAQs
1. DRDO द्वारा निर्मित नया लेज़र हथियार कितने किलोवाट का है?
यह 30 किलोवाट का है और 5 किलोमीटर तक ड्रोन व मिसाइल को मार गिरा सकता है।
2. सूर्या लेज़र हथियार की मारक क्षमता कितनी है?
सूर्या लेज़र 300 किलोवाट क्षमता का होगा और 20 किलोमीटर दूर तक के हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर सकेगा।
3. DRDO का पूरा नाम क्या है?
Defence Research and Development Organisation (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन)।
4. यह हथियार किस माध्यम से काम करता है?
यह उच्च शक्ति वाले लेज़र बीम का उपयोग करता है, जो लक्ष्य पर सीधी ऊर्जा से हमला करता है।
5. DRDO का यह लेज़र हथियार किस तकनीक पर आधारित है?
यह Directed Energy Weapon (DEW) तकनीक पर आधारित है, जो बिना पारंपरिक गोला-बारूद के काम करती है।
6. क्या यह लेज़र हथियार रडार को चकमा देने में सक्षम है?
हाँ, इसकी तेज़ी और सटीकता इसे रडार-प्रूफ हमले करने योग्य बनाती है।
7. क्या यह हथियार नागरिक क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है?
नहीं, यह केवल सैन्य उद्देश्यों और सीमित क्षेत्रों में उपयोग के लिए विकसित किया गया है।
8. सूर्या लेज़र कब तक तैयार हो सकता है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, DRDO इसे आगामी 2–3 वर्षों में तैयार करने की योजना पर काम कर रहा है।
9. क्या भारत लेज़र हथियार तकनीक में आत्मनिर्भर बन चुका है?
30KW हथियार की सफलता और 300KW के निर्माण से यह स्पष्ट है कि भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।