जयपुर: हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक विशाल फर्जी डिग्री घोटाले का खुलासा हुआ है, जो शिक्षा की शुद्धता पर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न कर रहा है। जयपुर पुलिस ने 17 अक्टूबर 2024 को एक ऐसे गिरोह को गिरफ्तार किया है, जो लगभग 2 वर्षों से नकली डिग्रियाँ तैयार कर उन्हें बेचने का कार्य कर रहा था।
राजस्थान फर्जी डिग्री घोटाला: शिक्षा के नाम पर कलंक
बीते कुछ दिनों में जयपुर पुलिस ने एक ई-मित्र केंद्र पर छापेमारी की, जहां छात्रों को बिना कॉलेज की कक्षाओं में गए नकली डिग्री, डिप्लोमा और माइग्रेशन प्रमाण पत्र बेचने का अवैध कारोबार चल रहा था। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने पिछले दो वर्षों में लगभग 700 फर्जी डिग्रियां बेचीं और 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित की। जयपुर के डीसीपी (पूर्व) तेजस्वनी गौतम के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हलचल पैदा कर दी है।
फर्जी डिग्री: घोटाले पर कैसे हुआ खुलासा?
डीसीपी तेजस्वनी गौतम के आदेश पर प्रतापनगर क्षेत्र में एक ई-मित्र केंद्र पर छापेमारी की गई। इस केंद्र पर छात्रों से 20 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की राशि वसूल कर डिग्रियां बेची जा रही थीं। छात्रों को बिना कॉलेज गए, सीधे घर पर बैठकर बैक डेट में डिग्री प्रदान की जा रही थी। इस छापे के दौरान जयपुर सहित अन्य राज्यों के 16 निजी विश्वविद्यालयों की नकली डिग्रियां और प्रमाण पत्र बरामद किए गए।
निजी विश्वविद्यालयों की मिलीभगत
जांच में सामने आया कि इस घोटाले में कई निजी विश्वविद्यालय शामिल थे। छात्रों से मोटी रकम लेकर नकली डिग्रियां बेची जाती थीं और ये राशि विश्वविद्यालय के बैंक खातों में जमा कराई जाती थी। इसके एवज में ई-मित्र संचालकों को मोटा कमीशन दिया जाता था। पुलिस के अनुसार, छापेमारी के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों के दस्तावेज और नकली डिग्री-पत्र मिले हैं। जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी, प्रताप यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सहित कई विश्वविद्यालय इस घोटाले में शामिल हैं।
गिरफ्तारियां और छापेमारी में बरामद दस्तावेज
इस कार्रवाई में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 750 से अधिक फर्जी डिग्री, डिप्लोमा और माइग्रेशन सर्टिफिकेट बरामद किए। पुलिस ने ई-मित्र संचालकों के कंप्यूटर, पेन ड्राइव, फर्जी किरायानामा, शपथ पत्र, बैंक पासबुक, डेबिट कार्ड, फर्जी चेक बुक सहित अन्य कई दस्तावेज भी जब्त किए।
एसआईटी जांच में सामने आए कई राजफाश
इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। एसआईटी की जांच में पता चला है कि कई निजी विश्वविद्यालय पुलिस को जानकारी देने से बच रहे हैं। एसआईटी टीम ने मेट्रो कोर्ट से सर्च वारंट लेकर इन विश्वविद्यालयों में छानबीन शुरू कर दी है।
चौंकाने वाले आंकड़े!
- डिग्रियों की संख्या: 700 फर्जी डिग्रियां बेची गईं।
- कई राज्यों में फैला नेटवर्क: राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना सहित 6 राज्यों के 16 विश्वविद्यालय शामिल हैं।
- फर्जी डिग्री गिरोह ने 10 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई। 3 आरोपी गिरफ्तार, जिनसे कई दस्तावेज और साक्ष्य मिले हैं।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
डीसीपी तेजस्वनी गौतम ने बताया कि यह मामला गंभीर है और शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार को उजागर करता है। जांच टीम ने सभी विश्वविद्यालयों से रिकॉर्ड मांगा है, और जैसे-जैसे रिकॉर्ड मिलेंगे, इस घोटाले में और भी नाम शामिल हो सकते हैं।
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, वास्तविक ज्ञान और आध्यात्मिक जागरूकता धोखाधड़ी से बचने में मददगार होते हैं। वास्तविक ज्ञान व्यक्ति को सत्य और असत्य के बीच का अंतर समझाता है, जबकि आध्यात्मिकता से व्यक्ति यह जानता है कि धोखाधड़ी से प्राप्त धन का आत्मा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वे ईमानदारी और अच्छे कार्यों को अपनाने पर बल देते हैं।