नई दिल्ली, 13 सितंबर 2025 – वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि अब 15 सितंबर है। पहले यह समयसीमा 31 जुलाई तय की गई थी, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने मई में नोटिफिकेशन जारी कर इसे बढ़ा दिया था। वजह बताई गई थी नए ITR फॉर्म्स में बदलाव और यूटिलिटी की देरी से उपलब्धता। अब समय सीमा खत्म होने में केवल दो दिन बचे हैं, और लाखों करदाता पोर्टल की तकनीकी खामियों से जूझते हुए रिटर्न दाखिल करने की दौड़ में हैं।
पोर्टल की खामियों से परेशान करदाता
मई के आखिर में पोर्टल पर यूटिलिटी उपलब्ध कराई गईं, लेकिन तब से लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। सर्वर अनुत्तरदायी होना, फाइल अपलोड न होना और फॉर्म 26AS व AIS (Annual Information Statement) के बीच डेटा असंगति जैसी समस्याएं करदाताओं को परेशान कर रही हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार विदेशी संपत्तियों और बड़े लेनदेन की विस्तृत जानकारी अनिवार्य की गई है, जिसके कारण बैकएंड सिस्टम में बड़े बदलाव करने पड़े।
व्यापारिक संगठनों और सीए संस्थाओं की मांग
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी (BCAS) ने 1 सितंबर को CBDT को पत्र लिखकर कहा कि “लगातार तकनीकी दिक्कतें और अनुपालन का बढ़ता बोझ” करदाताओं को परेशानी में डाल रहा है। संस्था ने न केवल ITR बल्कि टैक्स ऑडिट और ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट्स की समयसीमा भी बढ़ाने की मांग की।
कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन, सूरत (CAAS) ने भी यही चिंता जताई। उनका कहना है कि ITR-3 और ITR-4 की एक्सेल यूटिलिटी देर से जारी हुई, जिससे पेशेवरों के सामने समय की तंगी खड़ी हो गई।
अब तक दाखिल हुए 5 करोड़ से ज्यादा रिटर्न
12 सितंबर तक 5 करोड़ से ज्यादा रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अंतिम क्षणों में और भारी भीड़ पोर्टल पर आ सकती है, जिससे तकनीकी दिक्कतें और बढ़ेंगी।
समयसीमा चूकने का मतलब भारी जुर्माना
यदि कोई करदाता 15 सितंबर तक रिटर्न दाखिल नहीं करता, तो आयकर अधिनियम के तहत कई दंड लागू हो जाते हैं।
धारा 234F: विलंब शुल्क अधिकतम ₹5,000 (₹5 लाख से कम आय पर ₹1,000)।
धारा 234A: बकाया टैक्स पर हर महीने 1% ब्याज, जो 1 अगस्त से गिना जाएगा।
हालांकि 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित रिटर्न दाखिल किया जा सकता है, लेकिन नुकसान यह होगा कि शेयर, संपत्ति या बिजनेस के घाटे आगे कैरी फॉरवर्ड नहीं किए जा सकेंगे।
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इससे भविष्य का टैक्स बोझ बढ़ सकता है। टैक्स सलाहकार प्रिया शर्मा (ClearTax) का कहना है, “रिफंड पाने वाले लोगों के लिए भी देरी घातक है। देर से फाइलिंग रिफंड प्रोसेस को महीनों पीछे धकेल सकती है और विभाग की जांच का खतरा भी बढ़ा देती है।”
नए प्रावधान और डिजिटल एसेट पर फोकस
इस बार क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर हुए लाभ की विस्तृत जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार का मकसद टैक्स चोरी रोकना और वैश्विक मानकों से तालमेल बैठाना है। ITR-1, ITR-2 और ITR-7 की ऑफलाइन यूटिलिटी अब पोर्टल से डाउनलोड की जा सकती है, ताकि ऑनलाइन गड़बड़ी के बावजूद काम चल सके।
करदाताओं की मदद के लिए कदम
इस हफ्ते आयकर विभाग की हेल्पलाइन (1800-103-0025) पर कॉल्स में 30% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। PIB ने 15 सितंबर को प्रेस नोट जारी कर taxpayers को सतर्क किया: “ITR Deadline: What Every Taxpayer Should Know”। इसमें बताया गया है कि आधार से लिंक्ड पैन पर प्री-फिल्ड फॉर्म्स उपलब्ध हैं, जिन्हें ध्यान से जांचना जरूरी है।
ऑडिट मामलों की अलग चुनौती
ऑडिट मामलों में समयसीमा 31 अक्टूबर तय है। रिपोर्ट एक महीने पहले ही जमा करनी होगी। जिन व्यवसायों में GST डेटा और ITR के बीच असंगति है, उनके लिए चुनौती और बड़ी है, क्योंकि आयकर विभाग अब GST नेटवर्क से लगातार डेटा साझा कर रहा है। FKCCI अध्यक्ष रवि कुमार ने कहा, “विस्तार करदाता-हितैषी कदम है, लेकिन तकनीकी समस्याओं ने भरोसे को चोट पहुंचाई है।”
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
अमेरिका में आयकर रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा 15 अप्रैल थी। वहां करदाता फॉर्म 4868 के जरिए 15 अक्टूबर तक विस्तार ले सकते हैं, लेकिन टैक्स का भुगतान अप्रैल तक करना ही पड़ता है। वहीं, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित राज्यों जैसे अर्कांसस और कैलिफोर्निया को क्रमशः 3 दिसंबर और 15 अक्टूबर तक की अतिरिक्त छूट दी गई है।
अंतिम क्षण में तैयारी खतरनाक
विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम समय तक इंतजार करना महंगा साबित हो सकता है। incometax.gov.in पर लॉगिन कर, प्री-फिल्ड डेटा की जांच करना और आधार ओटीपी से ई-वेरीफिकेशन करना सबसे तेज तरीका है। पोर्टल का इंटरैक्टिव टैक्स असिस्टेंट पुराने और नए टैक्स ढांचे में सही विकल्प चुनने में मदद करता है। प्रिया शर्मा के शब्दों में, “तैयारी की कमी से ज्यादा नुकसान टालमटोल करता है।”
निष्कर्ष
CBDT का जोर डिजिटल अनुपालन पर है, लेकिन बार-बार की तकनीकी दिक्कतें इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती हैं। 15 सितंबर की रात बारह बजे की सीमा अब करदाताओं की सहनशक्ति और देश की टैक्स व्यवस्था की मजबूती दोनों की परीक्षा बन गई है। करदाता ध्यान रखें—वित्तीय घड़ी किसी का इंतजार नहीं करती।