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Isaac Newton Biography In Hindi: विज्ञान के क्रांतिकारी वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन की कहानी

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Last updated: October 2, 2024 1:47 pm
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Isaac Newton Biography In Hindi: विज्ञान के क्रांतिकारी वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन की कहानी
Isaac Newton Biography In Hindi: विज्ञान के क्रांतिकारी वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन की कहानी
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आइज़क न्यूटन का नाम विज्ञान की दुनिया में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है। उनके योगदान ने भौतिकी, गणित और खगोलशास्त्र के क्षेत्र में क्रांति ला दी। 

Contents
Isaac Newton Biography In Hindi: मुख बिंदुIsaac Newton Biography In Hindi: आइज़क न्यूटन का जीवन परिचयशिक्षा के क्षेत्र में न्यूटन का कदमआइज़क न्यूटन का वैज्ञानिक योगदानगुरुत्वाकर्षण का नियमगति के नियमप्रकाश और रंगकैलकुलस का विकासIsaac Newton Biography In Hindi: विज्ञान पर उनका प्रभावकौन है जो सबकुछ जानता है?ब्रह्माण्ड के रचयिता कौन है?

“कोई भी चीज सीधी दिशा में तब तक गतिमान रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लग जाए।”

आइए जानें इस लेख में उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं और उनके अद्वितीय योगदान के बारे में।

Isaac Newton Biography In Hindi: मुख बिंदु

  • न्यूटन का जन्म 25 दिसंबर सन् 1642 में इंग्लैंड में हुआ था।
  • उन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम, गति के तीन नियम, सफेद प्रकाश के विभिन्न रंगों का संयोजन होने का सिद्धांत और कई सिद्धांत दिए है।
  • आइज़क न्यूटन की ख़ोज सैकड़ों वर्षों तक विज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और गणितज्ञों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनी रहेंगी। 
  • न्यूटन का धैर्य और आत्मनिर्भरता उनके सफलता का मूल तत्व था, जो उन्हें संघर्षों के बावजूद अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद करता था।

Isaac Newton Biography In Hindi: आइज़क न्यूटन का जीवन परिचय

आइज़क न्यूटन का जन्म 25 दिसंबर 1642 को इंग्लैंड के लिंकनशायर काउंटी के वूल्सथॉर्प गांव में हुआ। उनके पिता जी का नाम भी आइज़क न्यूटन था और माता जी का नाम हन्ना ऐसकोघ था। न्यूटन के पिता जी एक समृद्ध किसान थे। 

उनके जन्म से तीन माह पूर्व उनके पिता का निधन हो गया था। जन्म के तीन साल बाद उनकी मां ने उन्हें नानी के यहां देखभाल के लिए छोड़कर रेवरंड बर्नाबुस स्मिथ के साथ दूसरी शादी कर ली और उनके साथ रहने चली गई थी। दूसरी शादी करने के कारण न्यूटन अपनी मां से दुश्मनी का भाव रखते थे और अपने सौतेले पिता को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे।

शिक्षा के क्षेत्र में न्यूटन का कदम

आइज़क न्यूटन ने 12 वर्ष के उम्र में प्रारंभिक शिक्षा के लिए ‘द किंग्स स्कूल, ग्रान्थम’ में दाखिला लिया। जब वे 17 वर्ष के हुए, उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया गया और वो अपने मां के साथ रहने के लिए वूल्स्थोर्पे-बाय-कोल्स्तेर्वोर्थ आ गए। उनकी मां ने उन्हें किसान बनने की सलाह दी लेकिन वे खेती से नफ़रत करते थे।

वर्ष 1661 में उन्हें ‘ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज’ में दाखिला मिला। उन्होंने वर्ष 1665 ‘सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय’ की खोज की। 1665 में उन्होंने अपनी डिग्री प्राप्त कर ली और उसके ठीक बाद प्लेग महामारी फैली जिसके कारण विश्वविद्यालय बंद हो गया। 

उसके पश्चात दो वर्ष तक उन्होंने घर में रहकर अध्ययन किया और कलन, और गुरुत्वाकर्षण के नियमों पर अपने सिद्धांतों का विकास उन्होंने किया।

“मैं आकाशीय पिंडों की गति की गणना कर सकता हूँ, लेकिन लोगों के पागलपन की नहीं।”

आइज़क न्यूटन का वैज्ञानिक योगदान

गुरुत्वाकर्षण का नियम

वर्ष 1687 में न्यूटन ने सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया, जिसके अनुसार सभी वस्तुएं, चाहे वे पृथ्वी पर हों या आकाश में, एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं। यह बल वस्तुओं के मास और उनके बीच की दूरी पर निर्भर करता है। इस सिद्धांत ने ब्रह्मांड की समझ को नया आयाम दिया और खगोलशास्त्र में क्रांति ला दी।

“गुरुत्वाकर्षण ग्रहों की गति को समझाता है, लेकिन यह नहीं बता सकता कि कौन ग्रहों को गति में लाता है।”

गति के नियम

आइज़क न्यूटन ने गति के तीन नियम को 1687 में पहली बार अपनी पुस्तक ‘फिलोसोफी नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका’ में प्रकाशित किया, जो वस्तुओं की गति और बल के संबंध को समझाते है:

  • पहला नियम (जड़ता का नियम): कोई वस्तु तब तक स्थिर रहती है या सीधी रेखा में समान वेग से चलती रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं करता।
  • दूसरा नियम (बल और गति का नियम): किसी वस्तु की गति में परिवर्तन उसके द्रव्यमान और उस पर लगे बल के अनुपात में होता है।
  • तीसरा नियम (क्रिया और प्रतिक्रिया का नियम): हर क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

प्रकाश और रंग

वर्ष 1665 में उन्होंने प्रिज्म और सूर्य के प्रकाश पर प्रयोग करते हुए प्रकाश स्पेक्ट्रम की खोज की थी। उन्होंने बताया कि सफेद प्रकाश वास्तव में विभिन्न रंगों का संयोजन है, जिसे प्रिज्म के माध्यम से विभाजित किया जा सकता है। इस खोज ने प्रकाश की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

कैलकुलस का विकास

आइज़क न्यूटन ने 1665-1666 में गणित में कैलकुलस का विकास शुरू किया, जो गणितीय विश्लेषण के लिए एक नई विधि थी। हालांकि, इस क्षेत्र में उनका विवाद भी रहा, विशेषकर गोस्स के साथ, जिन्होंने समान सिद्धांतों पर काम किया था। इसके अलावा भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण खोज की है।

Isaac Newton Biography In Hindi: विज्ञान पर उनका प्रभाव

आइज़ैक न्यूटन का प्रभाव उनके जीवन के बाद भी विज्ञान और गणित की दुनिया में बना हुआ है। उनके द्वारा स्थापित सिद्धांत और शोध आज भी विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होते हैं। आधुनिक विज्ञान की कई शाखाओं की नींव उनके योगदान पर आधारित है। उनकी प्रेरणादायक कहानी, कड़ी मेहनत, समर्पण और जिज्ञासा का प्रतीक है।

न्यूटन की खोजें भले ही 17वीं शताब्दी में की गई थीं, लेकिन उनका प्रभाव आने वाले सैकड़ों वर्षों तक वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और गणितज्ञों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बना रहेगा। उनकी जीवन यात्रा यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आएं, लेकिन सही दृष्टिकोण और निरंतर प्रयास से दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।

“जो हम जानते हैं वह एक बूंद है, और जो हम नहीं जानते वह एक महासागर है।”

कौन है जो सबकुछ जानता है?

आइज़क न्यूटन की ख़ोज ने विज्ञान कि दुनिया में क्रांति ला दी। लेकिन फिर भी उन्होंने बताया है, “जो हम जानते हैं वह एक बूंद है, और जो हम नहीं जानते वह एक महासागर है।” अर्थात ब्रह्माण्ड और उसके रचनाहार को जानना हमारे लिए असंभव है। 

लेकिन इस ब्रह्माण्ड को बनाने वाला रचनाहार सबकुछ जानता है। सबकुछ जानने वाला कोई और नहीं बल्कि भक्ति काल के सुप्रसिद्ध कवि परमेश्वर कबीर साहेब जी है। 

कबीर साहेब जी अपनी वाणी कहते है,

“कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।

जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।” 

अर्थात ज्ञानी कहलाने वाले व्यक्तियों का ज्ञान कबीर साहेब जी के ज्ञान के सामने कुछ भी नहीं है। 

ब्रह्माण्ड के रचयिता कौन है?

संत रामपाल जी महाराज ने सभी सद्ग्रंथों से यह प्रमाणित किया है कि ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्माण्ड को जानने वाला परमेश्वर कबीर साहेब जी ही है। उन्होंने कायनात को अपने शब्द से रचा है। सम्पूर्ण सृष्टि रचना को जानने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करके अवश्य देखिए पुरा विडियो। 

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