21 जून 2025 को पूरी दुनिया 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है — एक ऐसा वैश्विक उत्सव जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का प्रतीक है, बल्कि मानसिक और आत्मिक जागरूकता का संदेश भी देता है।
इसकी नींव 11 दिसंबर 2014 को रखी गई, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया।
इसके बाद 21 जून 2015 को इतिहास में पहली बार ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ (International Day of Yoga) के रूप में मनाया गया — और तब से यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य और शांति का प्रतीक बन गया है।
21 जून 2025 – योग केवल व्यायाम नहीं, एक आध्यात्मिक अभियान है
हर वर्ष 21 जून को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में एक ऐसा पर्व मनाती है जो अब सिर्फ शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं रहा। 2025 में हम इसका 11वां संस्करण मना रहे हैं, और अब समय आ गया है कि हम योग के वास्तविक उद्देश्य को पहचानें — तन की नहीं, आत्मा की शुद्धि के लिए योग।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने भारत द्वारा प्रस्तावित “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मान्यता दी। यह प्रस्ताव भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
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इसके बाद, 21 जून 2015 को पहली बार दुनिया भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया गया। तब से यह दिन हर साल योग के प्रचार-प्रसार और मानसिक-शारीरिक शांति के संदेश के रूप में मनाया जाता है।
2025 की थीम: “Yoga for One Earth, One Health”
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि मानव, पशु और पर्यावरण—सभी के स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। यह थीम योग को केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित न रखकर, उसे वैश्विक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय संतुलन और सतत जीवनशैली का माध्यम बनाकर प्रस्तुत करती है। यह भारत की प्राचीन योग परंपरा को वैश्विक मंच पर उजागर करती है और सभी को मिलकर स्वस्थ पृथ्वी के निर्माण के लिए प्रेरित करती है।
क्या प्राचीन भारत और आधुनिक भारत में योग का स्वरूप भिन्न है?
जी हाँ, प्राचीन और आधुनिक भारत में योग का उद्देश्य और स्वरूप दोनों में भारी अंतर है। प्राचीन काल में योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि आत्मा की परमात्मा से मिलन का मार्ग था। उस समय योगीजन सात्विक, शुद्ध वातावरण में रहते थे, जहां खान-पान, विचार और व्यवहार सब कुछ संयमित और सात्विक होता था। उनकी साधना का मूल उद्देश्य था — मोक्ष प्राप्ति और परमेश्वर की खोज।
लेकिन आज के आधुनिक युग में योग का प्रयोजन शरीर को फिट रखने तक सीमित हो गया है। लोग इसे एक फिटनेस एक्सरसाइज़ की तरह अपना रहे हैं और ईश्वर की खोज से दूर होते जा रहे हैं। जबकि यह शरीर भी परमात्मा की ही देन है, और इसे बनाए रखने का सर्वोत्तम मार्ग केवल वही बता सकता है जो इसका रचयिता है।
पुरातन भारत में योग का स्वरूप कैसा था?
योग का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्तियों में योगमुद्राओं के प्रमाण मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि योग 10,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है।
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ऋषभदेव, महावीर स्वामी, भगवान बुद्ध, गुरु गोरखनाथ, शंकराचार्य आदि ने हठयोग का अभ्यास किया — लेकिन उन्हें परमात्मा की प्राप्ति नहीं हुई।
भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु, नारद और हनुमान जी जैसे देवी-देवता भी योग में लीन रहते थे, लेकिन तत्वज्ञान के अभाव में वे भी पूर्ण परमात्मा को नहीं जान पाए। यही कारण है कि आज भी हठयोग या आसनों से केवल शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है, आत्मा की मुक्ति संभव नहीं।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है?
21 जून को योग दिवस मनाने का मुख्य कारण है — यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणें सबसे लंबे समय तक धरती पर पड़ती हैं। यह समय जीवन ऊर्जा (प्राणशक्ति) के संचार के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इसी विशेष दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया।
क्या केवल योग करने से सभी दुखों का अंत हो सकता है?
नहीं। केवल योगासन, प्राणायाम या ध्यान से सभी दुःखों का अंत संभव नहीं है। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार, केवल “सत्भक्ति” ही वह उपाय है जिससे संपूर्ण दुखों से मुक्ति मिल सकती है। उनके बताए सत्य ज्ञान और नामदीक्षा के माध्यम से लाखों लोग बिना कोई पैसा खर्च किए कैंसर जैसे असाध्य रोगों और जीवन के अन्य संकटों से छुटकारा पा चुके हैं। यह केवल योग से संभव नहीं।
क्या आज का योग अभ्यास हठयोग के समान है?
जी हां, आज जो योग किया जा रहा है वह हठयोग का ही आधुनिक रूप है — जिसमें केवल शारीरिक आसनों और श्वास-प्रश्वास पर ज़ोर दिया जाता है।
भगवद गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में कहा गया है:
“नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः।
न चातिस्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन॥”
अर्थात: जो न अधिक खाता है, न अधिक उपवास करता है, न अधिक सोता है, न अधिक जागता है — वही व्यक्ति सच्चा योगी हो सकता है।
सच्चा योग क्या है?
सच्चा योग है — आत्मा का परमात्मा से मिलन।
और यह केवल संभव है जब एक पूर्ण संत से तत्वज्ञान प्राप्त कर नामदीक्षा ली जाए।
हठयोग, तपस्या या ध्यान से नहीं, बल्कि सतभक्ति से ही परमात्मा प्राप्त होता है।
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर FAQs:
1. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम क्या है?
इस वर्ष की थीम है: “Yoga for One Earth, One Health” — जो मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को दर्शाती है।
2. 21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क्यों मनाया जाता है?
क्योंकि यह दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे योग के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
3. योग मानसिक स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभकारी है?
योग तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है और भावनात्मक संतुलन को सुधारता है।
4. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 में भाग कैसे लें?
आप स्थानीय योग कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं, ऑनलाइन सत्रों में शामिल हो सकते हैं, या अपने घर पर योग अभ्यास कर सकते हैं।
5. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तावित करने के बाद, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया।