इंडोनेशिया का स्वतंत्रता दिवस। यह दिन, 17 अगस्त, 1945 को इंडोनेशिया द्वारा डच उपनिवेशी शासन से स्वतंत्रता की घोषणा के दिन के रूप में याद किया जाता है। यह केवल एक देश के स्वतंत्रता की कहानी नहीं बल्कि संघर्ष, साहस, और एकजुटता का एक प्रेरणादायक इतिहास है।
इंडोनेशिया के स्वतंत्रता दिवस पर वहाँ के लोगों की वीरता और संघर्ष की सराहना की जाती है। उन्होंने कठिन समय में एकजुट होकर अपने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। आज के दिन उनकी कुर्बानियों को याद किया जाता है, और उनके आदर्शों को सम्मानित किया जाता है। साथ ही देशभक्ति और एकजुटता की भावना को पुनः प्रबल किया जाता है।
ये दिन याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और उसके लिए खड़ा होना केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि हर दिन की जिम्मेदारी है।
इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का इतिहास, 1949 तक इंडोनेशिया पर किसका नियंत्रण था?(History of indonesia independence day)
इंडोनेशिया का इतिहास 20वीं सदी के मध्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर रहा है। 1945 तक इंडोनेशिया नीदरलैंड के औपनिवेशिक शासन के अधीन था। डच शासन के दौरान, इंडोनेशिया की विविध सांस्कृतिक और भौगोलिक संपदा पर डचों का नियंत्रण रहा है, और यह उपनिवेशिक प्रशासन स्थानीय जनसंख्या पर कठोर और अन्यायपूर्ण था।
17 अगस्त 1945 को, जापान के युद्ध में हार के बाद इंडोनेशियाई नेताओं ने स्वतंत्रता की घोषणा की। सुकर्णो और मोहम्मद हत्ता द्वारा की गई इस घोषणा ने एक नई राजनीतिक यथार्थता को जन्म दिया। हालांकि, यह स्वतंत्रता घोषणा एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के रूप में साबित हुई। डच सरकार द्वारा इस स्वतंत्रता की घोषणा को मान्यता देने में संकोच जाहिर किया गया और इंडोनेशिया पर पुनः नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया गया।
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इस संघर्ष के दौरान, इंडोनेशिया ने अपनी स्वतंत्रता के लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया। यह संघर्ष एक लंबी और कठिन प्रक्रिया थी। जिसमें सशस्त्र संघर्ष, राजनीतिक वार्ताएँ, और अंतर्राष्ट्रीय दबाव शामिल थे। अंततः 27 दिसंबर 1949 को नीदरलैंड और इंडोनेशिया के बीच समझौते के बाद इंडोनेशिया को औपचारिक रूप से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
प्रबोवो की जीत: इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति के पहले संदेश की झलक”(present president of indonesia)
इंडोनेशिया में 14 फरवरी 2024 को हुए राष्ट्रपति चुनाव के शुरुआती परिणामों के मुताबिक, स्वतंत्र सर्वेक्षणकर्ताओं की मतगणना से पता चला कि प्रबोवो ने जीत हासिल की है। उन्हें लगभग 58 प्रतिशत वोट मिले, जो राष्ट्रपति चुने जाने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया। मतदान के तुरंत बाद इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति प्रबोवो ने जकार्ता के एक स्टेडियम में जीत का दावा किया, जहाँ उन्होंने अपने समर्थकों से कहा, “हमें अहंकारी नहीं होना चाहिए, हमें गर्व नहीं करना चाहिए, हमें उत्साह में नहीं आना चाहिए। हमें अभी भी विनम्र होना चाहिए। ये जीत सभी इंडोनेशियाई लोगों की जीत होनी चाहिए।”
इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का जश्न: सांस्कृतिक उत्सव और परंपराओं का अद्वितीय संगम”(Indonesia Independence day Celebration)
-“ध्वज फहराना: एक सम्मानजनक उत्तरदायित्व”
इंडोनेशियाई संविधान के अनुसार, हर नागरिक, व्यवसाय, और सार्वजनिक संस्थान के लिए (विदेशी दूतावासों को भी शामिल करते हुए) अपने घरों और इमारतों पर एक दिन के लिए इंडोनेशियाई झंडा फहराना अनिवार्य है। हालांकि, सरकार लोगों को पूरे अगस्त महीने (1 से 31 तारीख तक) सार्वजनिक स्थानों पर झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि स्वतंत्रता के महत्व को बढ़ावा दिया जा सके।
– राष्ट्रीय ध्वजारोहण समारोह
स्वतंत्रता दिवस पर इंडोनेशिया में ध्वजारोहण के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सबसे बड़ा समारोह जकार्ता के मर्डेका पैलेस में होता है, जहां राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 1945 की तरह स्वतंत्रता की घोषणा दोहराते हैं। यह कार्यक्रम स्थानीय टीवी और यूट्यूब पर प्रसारित किया जाता है, जिसमें सुबह 9 बजे सैन्य बैंड और गार्ड ऑफ ऑनर की प्रस्तुति होती है।
मुख्य समारोह सुबह 10 बजे शुरू होता है, जिसमें 17 तोपों की सलामी दी जाती है, और एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि के रूप में रखा जाता है। इसके बाद, हाई स्कूल के छात्र राष्ट्रगान के दौरान झंडा फहराते हैं, और वायु सेना फ्लाईपास्ट पेश करती है। उसके बाद, अन्य समारोह होते हैं और शाम 5 बजे ध्वज उतारने के साथ ही कार्यक्रम समाप्त हो जाता है।
– अंतर्राष्ट्रीय समारोह
दुनिया भर में सभी इंडोनेशियाई दूतावास और राजनयिक मिशन अपने-अपने स्थानीय समय के अनुसार ध्वजारोहण और संबंधित समारोह आयोजित करते हैं। वे उत्सव भी मनाते हैं और इंडोनेशियाई प्रवासियों और स्थानीय प्रमुख व्यक्तियों को इस जश्न में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।
– स्वतंत्रता दिवस जश्न
इस दिन विभिन्न खेल आयोजित होते हैं और पूरे अगस्त महीने के दौरान कई गतिविधियाँ जारी रहती हैं:-
– पंजत पिनांग (ग्रीस्ड पोल क्लाइम्बिंग)
– गेराक जालान (सामुदायिक मार्च)
– क्रुपुक खाने की दौड़
– सेपेडा (साइकिल सजाना)
इसके अलावा इस अवसर पर नारंगी नृत्य, गुब्बारा फोड़ना, बोरी दौड़, बोतल मछली पकड़ना, मोजा दौड़, संगीत कुर्सियां, तकिया लड़ाई, झंडा दौड़, रस्साकशी, अंडा और चम्मच दौड़, तथा अन्य विभिन्न गतिविधियां भी होती हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर भव्य परेड का आयोजन (Indonesia Independence Day)
इस दिन के उत्सव के लिए परेड और कार्निवल का आयोजन एक सामान्य परंपरा है। हालांकि, ये आयोजन आमतौर पर 17 तारीख को नहीं होते, जब तक कि यह सप्ताहांत के दिन पर न आ रहा हो। सामान्यत: ये आयोजन स्वतंत्रता दिवस के बाद शनिवार या रविवार को किए जाते हैं और स्थानीय समुदाय द्वारा आयोजित होते हैं।इन आयोजनों में लोग अपने पारंपरिक जातीय परिधानों या देशभक्तिपूर्ण वेशभूषा में सजते हैं। परेडों में मार्चिंग बैंड, सजावटी झांकियां, और अन्य विविधताएं देखी जा सकती हैं।
एक विशेष राष्ट्रीय कार्निवल भी होता है, जो पहले जकार्ता, मध्य जावा में आयोजित होता था, लेकिन अब हर साल एक अलग क्षेत्र में मनाया जाता है। इस वर्ष के आयोजन स्थल की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। यह कार्निवल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले कार्निवलों में सबसे बड़ा और रोमांचक होता है।
वास्तविक आज़ादी का जश्न
अब तक हम गुलामी के संघर्ष और आज़ादी के जश्न की, लेकिन क्या इस आज़ादी के बाद हमारे दुख समाप्त हो गए हैं? क्या स्वतंत्रता दिवस का यह उत्सव हमें सभी दुखों से मुक्ति की ओर संकेत करता है?
नहीं! हम केवल सांसारिक सुख-सुविधाओं को ही महत्वपूर्ण मानते आएं हैं, जबकि जन्म और मृत्यु की भयानक कष्ट की बेड़ियों से हम अब भी अनजान हैं। सच्ची आज़ादी का जश्न तभी मना सकते हैं, जब इन बेड़ियों से पूर्णत: आज़ादी मिल जाए। आखिर कहाँ मिलेगी पूर्ण शांति? क्या है कोई ऐसा स्थान जिसकी अक्सर मानव कल्पना करता है? एक अमर लोक जो सुख का सागर हो।
जहाँ किसी प्रकार का कोई दुख या किसी चीज का अभाव न हो। गरीबी, बेरोजगारी, बुढ़ापा, और जन्म – मृत्यु का चक्र आदि जैसे भयानक कष्ट न हो। जहाँ कोई काम न करना पड़े और सारी मनोकामनाएं पूर्ण हों। ऐसा ही एक स्थान है सतलोक, जिसे शाश्वत स्थान भी कहा जाता है, जहाँ पूर्ण परमात्मा निवास करते हैं। सतलोक जहाँ जाने के बाद कभी जन्म – मृत्यु नहीं होती। यही है वो स्थान जहाँ जाकर वास्तविक आज़ादी का जश्न मना सकते हैं। तो कैसे जाएं सतलोक? सतलोक जाने के लिए पूर्ण संत से नामदीक्षा लेकर आजीवन मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना आवश्यक है।
पूर्ण संत की शरण: मोक्ष प्राप्ति का सच्चा मार्ग
वह वास्तविक आज़ादी यानी की मोक्ष केवल सत् भक्ति के माध्यम से ही संभव है, जिसे केवल तत्वदर्शी संत यानी पूर्ण संत ही बता सकते हैं।
जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत हैं, जिनके बारे में गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में उल्लेख किया गया है,
अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन बाकी डार।
तीनों देवा शाखा है, पात रूप संसार।।
जो संसार रूपी उलटे लटके हुए वृक्ष को भली-भांति जानता है वही पूर्ण संत है । वे सम्पूर्ण मानव समाज को सतभक्ति का सही मार्ग दिखाकर मोक्ष का रास्ता प्रदान कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से मनुष्य जन्म-मरण की कैद से सदा के लिए आज़ादी प्राप्त कर सकता है तथा वास्तविक जश्न मना सकता है और परम धाम सतलोक में जा सकता है जहाँ पूर्ण परमात्मा निवास करते हैं।
परमपिता भगवान की पहचान: जानिए कौन है वो वास्तविक मुक्ति दाता
अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है, वो कुल के सिरजनहार।।
कबीर साहेब जी ही वो पूर्ण परमात्मा है जो हमारे सभी दुखों का निवारण कर सकते हैं और जन्म – मृत्यु के चक्र से छुड़वाकर पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सकते हैं। जिसका प्रमाण :-
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5
परमात्मा साकार है मानव सदृश है, वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 85, मंत्र 9
वो कबीर परमात्मा कविर्देव द्युलोक के प्रकाशक नक्षत्रों को प्रकाश करता है वह परमात्मा विविध पदार्थों का दृष्टा है। शक्तिशाली है। द्युलोक को आश्रित करके स्थिर है। यानि द्युलोक ( तीसरे मुक्ति धाम) में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निमरूतः गणेन।
कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्राम् अत्येति रेभन्।।17।।
भावार्थ – वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात कबीर वाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा सम्बोधन करके अर्थात उच्चारण करके वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
उशिगसी = (सम्पूर्ण शांति दायक) कविरंघारिसि = (कविर्) कबिर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर (असि) है।
यानी कबीर परमात्मा पापों का शत्रु अर्थात पाप नाशक और बंधनों के शत्रु हैं अर्थात जन्म-मृत्यु के बंधन से जीव को मुक्त कर सतलोक की प्राप्ति कराते हैं, जहां जाने के पश्चात जीव को परम शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही, यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 यह स्पष्ट करता है कि परमात्मा घोर से भी घोर पाप को समाप्त कर देता है।
ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163, मंत्र 1
अक्षीभ्यां ते नासिकाभ्यां कर्णाभ्यां छुबुकादधि ।
यक्ष्मं शीर्षण्यं मस्तिष्काज्जिह्वाया वि वृहामि ते ॥१॥
परमात्मा पाप कर्म से हमारा नाश करने वाले हर कष्ट को दूर कर विषाक्त रोग को काटकर हमारे नाक, कान, मुख, जिव्हा, शीर्ष, मस्तिष्क सभी अंग-प्रत्यंगों की रक्षा कर सकते हैं।
कबीर परमात्मा ही हैं जो हमारे सभी कष्टों को समाप्त कर सकते हैं और हमें शाश्वत स्थल अर्थात् सतलोक में ले जा सकते हैं।
इंडोनेशिया स्वतन्त्रता दिवस के बारे में पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
1. इंडोनेशिया स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?
– इंडोनेशिया स्वतंत्रता दिवस 17 अगस्त को मनाया जाता है, जो 1945 में स्वतंत्रता की घोषणा की तारीख है।
2. स्वतंत्रता दिवस पर कौन-कौन से प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं?
– स्वतंत्रता दिवस पर प्रमुख कार्यक्रमों में ध्वजारोहण, परेड, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और शहीदों को श्रद्धांजलि देना शामिल है।
3. क्या स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी सभी इंडोनेशियाई लोगों के लिए होती है?
– हां, स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्रीय अवकाश है और सभी इंडोनेशियाई नागरिकों के लिए छुट्टी होती है।
4. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर क्या विशेष खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं?
– स्वतंत्रता दिवस पर विशेष खाद्य पदार्थों में क्रुपुक (स्थानीय स्नैक), नासी उduk (कोकोनट राइस), और अन्य पारंपरिक इंडोनेशियाई व्यंजन शामिल होते हैं।
5. क्या स्वतंत्रता दिवस की उत्सव में विदेशी लोग भी शामिल हो सकते हैं?
– हां, स्वतंत्रता दिवस के उत्सव में विदेशी लोग भी आमंत्रित हो सकते हैं, विशेषकर यदि वे इंडोनेशिया में रह रहे हैं या यात्रा कर रहे हैं।