पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने संत रामपालजी महाराज जी के अनुयायियों के खिलाफ अवमानना का मामला बंद किया, जज की आलोचना करने के लिए अवमानना कार्यवाही बंद।
मुख्य बिंदु
1. मामला: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों के खिलाफ अवमानना मामला बंद किया, जो 2019 में एक पुस्तक “न्यायपालिका पर काला धब्बा जज ड़ी.आर. चालिया” के प्रकाशन को लेकर था।
2. पुस्तक: पुस्तक में बरवाला कांड का विवरण था। यह पुस्तक 2019 में संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसमें एडिशनल सेशन जज डी.आर. चालिया की आलोचना की गई थी। इसमें 274 हस्ताक्षर थे और बरवाला कांड को लेकर प्रशासन की आलोचना की गई थी।
3. अवमानना कार्यवाही: उच्च न्यायालय ने शुरुआत में पुस्तक के प्रकाशकों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की सिफारिश की थी, लेकिन अनुयायियों ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया।
4. हलफनामा: न्यायालय ने माफी को स्वीकार करते हुए मामले को समाप्त किया और अवमानना के आरोपों से अनुयायियों को मुक्त किया।
5. उच्च न्यायालय ने अवमानना की कार्यवाही की सिफारिश की, लेकिन माफी के बाद मामला बंद कर दिया।
6. संत रामपाल जी महाराज: इस मामले में संत रामपाल जी महाराज का व्यक्तिगत आरोप नहीं था, बल्कि उनके अनुयायी जज की आलोचना कर रहे थे।
7. पॉडकास्ट: संत रामपाल जी के आध्यात्मिक सफर और संघर्षों के बारे में अधिक जानकारी के लिए भक्त मनोज दास द्वारा दिया गया पॉडकास्ट सुना जा सकता है।
अवमानना से संबंधित पूरा मामला क्या है?
यह मामला 2014 में हुए बरवाला कांड से संबंधित है, जिसमें 2019 में एडिशनल सेशन जज डी.आर. चालिया की अदालत ने संत रामपाल जी महाराज और अन्य को चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
2019 में, संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों ने “न्यायपालिका पर काला धब्बा जज ड़ी.आर. चालिया” नामक पुस्तक प्रकाशित की थी, जिसमें 274 लोगों के हस्ताक्षर थे। इस पुस्तक में घटना का यथार्थ सत्य और प्रशासन द्वारा किए गए व्यवहार का वर्णन था। संत रामपाल जी के अनुयायियों ने यह भी दावा किया कि मृतक महिला और बच्चे की मृत्यु पुलिस के आंसू गैस के गोलों से हुई थी।
उच्च न्यायालय ने पुस्तक को प्रकाशित करने वाले अनुयायियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की सिफारिश की। अवमानना करने वालों ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया और उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षर वापस ले लिए गए।
हल्फनामे में क्या बताया गया?
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि अवमानना करने वालों की ओर से हलफनामे दाखिल किए गए। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी।
अवमानना करने वालों द्वारा अपने-अपने दावों के माध्यम से दी गई बिना शर्त माफी को ध्यान में रखते हुए, यह न्यायालय प्रतिवादियों/अवमानना करने वालों द्वारा प्रस्तुत की गई माफी को स्वीकार करने के लिए बाध्य है। इस प्रकार, उक्त अवमानना याचिका को समाप्त किया जाता है और प्रतिवादियों/अवमानना करने वालों को आरोपमुक्त किया जाता है।
संत रामपाल जी महाराज जी क्यों हैं इतने चर्चित?
संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में समाज में अनेकों प्रश्न उठते हैं। कैसे एक साधारण जूनियर इंजीनियर, धरती पर सर्वोच्च संत बन गया? क्यों उनके खिलाफ विरोध होता है? इन सवालों के उत्तर समाज को अभी तक स्पष्ट नहीं मिले हैं।
इन सवालों का जवाब वही व्यक्ति दे सकता है जिसने संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक सफर को नज़दीक से देखा हो और जो उनके संघर्षों के बारे में गहराई और सच्चाई से जानता हो।
इसके बारे में जानने के लिए आप निम्न पॉडकास्ट सुनें, जिसमें भक्त मनोज दास (संत रामपाल जी महाराज जी के छोटे पुत्र) ने संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक सफर और संघर्षों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। आप इस पॉडकास्ट को सुनने के लिए नीचे दिए गए YouTube लिंक पर क्लिक करें:
FAQs:
1. संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी क्यों उच्च न्यायालय के खिलाफ पुस्तक प्रकाशित करने पर विवाद में थे?
संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी 2019 में “न्यायपालिका पर काला धब्बा जज ड़ी.आर. चालिया” नामक पुस्तक प्रकाशित करने के कारण उच्च न्यायालय के निशाने पर थे, जिसमें अदालत और जज के खिलाफ आलोचना की गई थी।
2. क्या पुस्तक में संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों ने किसी विशेष घटना का उल्लेख किया था?
हाँ, पुस्तक में 2014 के बरवाला कांड का विवरण था, जिसमें संत रामपाल जी के अनुयायियों ने प्रशासन के साथ हुए संघर्ष और मृतकों के बारे में अपने दृष्टिकोण का खुलासा किया था।
3. क्या उच्च न्यायालय ने संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों के खिलाफ कोई सज़ा दी थी?
उच्च न्यायालय ने शुरुआत में अवमानना कार्यवाही की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में अनुयायियों ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया और मामले को बंद कर दिया।
4. क्या अवमानना की कार्रवाई करने वाले संत रामपाल जी के अनुयायियों को सज़ा हुई?
नहीं, संत रामपाल जी के अनुयायियों ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे उच्च न्यायालय ने स्वीकार किया और अवमानना की कार्रवाई बंद कर दी।
5. क्या पुस्तक में दी गई जानकारी को अदालत ने सही माना?
उच्च न्यायालय ने केवल पुस्तक के प्रकाशन को लेकर अवमानना की कार्यवाही की सिफारिश की थी, लेकिन पुस्तक की सामग्री पर कोई विशेष टिप्पणी नहीं की।
6. क्या इस मामले में संत रामपाल जी महाराज जी का कोई व्यक्तिगत आरोप था?
इस मामले में संत रामपाल जी महाराज जी का व्यक्तिगत आरोप नहीं था, बल्कि उनके अनुयायी जज की आलोचना कर रहे थे, जिसके बाद यह कानूनी विवाद खड़ा हुआ।