यूं तो मीडिया को स्वतंत्रता का चौथा स्तंभ कहा जाता है। अपितु वर्तमान में भारतीय मीडिया की क्या भूमिका रह गई है, यह हम सभी जानते है।
किसी भी देश के मीडिया का प्रथम और मूल कर्तव्य सच्ची खबर प्रकाशित करना, जन साधारण को जनहित के विषयों के प्रति जागरूक करना, भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना, सरकार पर तार्किक नियंत्रण करना व देश के विकास के विषयों पर चर्चा करना होता है।
देश हित और समाज हित के कार्यों में संलग्न रहना मीडिया के मूलभूत कर्तव्य है।
चाहे देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चे हो, वयस्क हो, महिलाएं हो या फिर वृद्ध वर्ग हो मीडिया का कर्तव्य सभी के अनुकूल खबरें व विज्ञापन प्रकाशित करना है। वर्तमान भारतीय मीडिया में चलने वाले विज्ञापन, अश्लीलता की सारी हदें पार कर चुके है। इन मीडिया चैनल्स का उद्देश्य केवल पैसे कमाने तक सीमित रह गया है, देशहित व समाज सुधार से इनका कोई तालुक़ात नहीं दिखाई पड़ता।
वर्तमान भारतीय मीडिया का स्वरूप, मीडिया के मूलरूप के विपरीत दिखाई पड़ता है। वर्तमान भारतीय मीडिया अपने मूलभूत कर्तव्यों को भूल चुकी है। देशहित की खबरे प्रकाशित करने के बजाए, भारतीय मीडिया के नामी गिरामी न्यूज चैनलों ने पक्षपात की सारी सीमाएं पार कर रहे है। भारतीय मीडिया पूर्णतः बिकाऊ हो चुका है। मीडिया सिर्फ वही खबरें प्रकाशित करता है, जिसमें उन्हें मोटी रकम मिलती है।
वर्तमान भारतीय मीडिया में क्या खबर छापी जा रही है, उसकी जांच की जा रही है या नहीं, इससे मीडिया चैनल्स को कुछ लेना देना नहीं है। बेबुनियाद खबरें छापना इन मीडिया चैनल्स का फैशन हो गया है। भारतीय मीडिया का मुख्य उद्देश्य टी आर पी बढ़ाना हो गया है। यही कारण है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारतीय मीडिया का स्थान 2024 में 159वें स्थान पर पहुंच गया है। इस रैंकिंग से साफ नज़र आता है कि भारतीय मीडिया कितनी पक्षपाती और भ्रष्टाचारी हो गई है।