अगर सिर्फ हंसने से बीमारियां टल जातीं, तो राजू श्रीवास्तव जी को हार्ट अटैक नहीं आता। अगर हॉबी फॉलो कर लेने से बीमारियां रुक जातीं, तो मशहूर गायक के.के. को हार्ट अटैक नहीं आता। और भी न जाने कितनी हस्तियां, खासकर युवा, जैसे कि बिग बॉस जीतने वाले सिद्धार्थ शुक्ला, हार्ट अटैक का शिकार हुए। जब इतने हंसमुख और फिटनेस फ्रीक लोगों को हार्ट अटैक आ सकता है, तो फिर हमें कुछ और पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है। विस्तार से पढ़िए, कैसे बचा जा सकता है इस लाइलाज बीमारी से।
आखिर दिल का दौरा पड़ता कैसे है?
चलिए, आपको सीधी सरल भाषा में समझाते हैं। इंसानी दिल में बहुत तरह की नसें (वाहिकाएं) होती हैं, जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में धमनियों के नाम से जाना जाता है। आप ऐसे समझिए, जैसे आपका दिल एक गाड़ी के समान है।
जैसे कई बार आपके गाड़ी की पेट्रोल टैंक में कचरा आ जाता है और वो कचरा ईंधन को इंजन तक ले जाने वाली नलियों में फंस जाता है, जिससे आपकी गाड़ी धीरे-धीरे रुक जाती है।
इसी तरह आप समझ सकते हैं कि आपके दिल को धड़कने के लिए जिस ऊर्जा की जरूरत होती है, वो यहां पेट्रोल से नहीं बल्कि ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से मिलती है।
कोरोनरी आर्टरीज (Coronary Arteries): दिल की अपनी रक्त वाहिकाएं (कोरोनरी धमनियां) होती हैं, जो ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से युक्त रक्त को दिल की मांसपेशियों तक पहुंचाती हैं। ये धमनियां दिल की सतह पर फैली होती हैं और लगातार दिल को पोषण देती हैं।
दिल तक खून पहुँचाने वाली इन्हीं कोरोनरी आर्टरीज में वसा (फैट), कोलेस्ट्रॉल, और अन्य पदार्थ (जैसे गाड़ी की पेट्रोल ले जाने वाली नलियों में कचरा) जमा हो जाते हैं, जिसे प्लाक (Plaque) कहा जाता है। प्लाक की यह परत धीरे-धीरे धमनियों को संकरा कर देती है, जिससे खून का प्रवाह बाधित होने लगता है। और हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहा जाता है।
मुख्य कारण और उपाय एक साथ पढ़िए
देखा जाए तो इस बीमारी का कारण आपने खुद पैदा कर रखा है। आपका दैनिक जीवन ही इसका सबसे बड़ा कारण है। खैर, हम आपको थोड़ा विस्तार से समझाते हैं। आप भी तनिक सोचिए:
क्या इस तनाव भरी जिंदगी और कभी न खत्म होने वाली पैसे (माया) की इस दौड़ में आपके पास अपने लिए जरा सा वक्त भी नहीं? तनिक ठहरिए और निम्न बिंदुओं को पढ़कर विचार कीजिए।
1. बढ़ता तनाव और मानसिक स्वास्थ्य
व्यवसायिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन के बीच असंतुलन से तनाव बढ़ता है। काम का दबाव हो या फिर करियर की प्रतिस्पर्धा, अधिकतर युवा इसी तनाव से गुजर रहे हैं। इसी कश्मकश में अधिकतर युवा अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना भूल जाते हैं। विपरीत इसके, वो व्यसनों का सहारा लेते हैं और अपने बचाव में कहते हैं कि इससे तनाव कम होता है। जबकि ये मात्र एक ढकोसला है।
और अगर होता भी है, तो ये क्षणिक शांति किस काम की, क्योंकि वो तनाव तो वैसा का वैसा ही रहने वाला है। यही सब चीजें कुछ समय बाद दिल, फेफड़ों और गुर्दों को ऐसा नुकसान पहुंचाती हैं, जिनका इलाज करना भी नामुमकिन होता है। धीरे-धीरे कोरोनरी आर्टरीज में प्लाक (Plaque) जमा होता रहता है और इंसान बस उसके फटने का इंतजार करता रहता है।
2. खानपान की आदतें
आजकल लोग अधिकतर जंक फूड, तले-भुने और फैटी खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। इन खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो धमनियों में प्लाक जमा होने का प्रमुख कारण बनता है। इंसान की उम्र के अनुसार एथेरोस्क्लेरोसिस होने में समय भी लग सकता है या फिर बहुत जल्दी भी हो सकता है।
3. एक्सरसाइज न करना
शारीरिक गतिविधियां यानी व्यायाम आदि की कमी शरीर को एक ऐसी अवस्था में डाल देती है, जिसमें आपके मोटापे के बढ़ने के ही आसार होते हैं, घटने के नहीं। मोटापा अन्य 100 बीमारियों की जड़ होता है। ये बात साबित करने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। धीरे-धीरे आपका फैट बढ़ता रहता है और एथेरोस्क्लेरोसिस की स्थिति आ जाती है।
4. भौतिकता की दौड़ में पीछे छूटती आध्यात्मिकता
सबसे प्रमुख कारण यही है। आज की इस वंदे भारत की गति से भागती दौड़ती जिंदगी में हम कुछ पीछे छोड़ रहे हैं। आध्यात्मिकता, जी हां, जो हमारी सब परेशानियों का रामबाण इलाज हो सकती है, उसे भूलकर हम कहीं और ही शांति तलाश रहे हैं, जहां हमें सिर्फ निराशा और तनाव मिल रहा है।
ज्यादातर युवा ही क्यों हो रहे हैं दिल की बीमारियों के शिकार?
भारतीयों में दिल की बीमारियों के प्रति आनुवंशिक (जेनेटिक) संवेदनशीलता अधिक होती है, जो हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाती है। इसके अलावा, आज की तेज रफ्तार जीवनशैली भी दिल की सेहत पर भारी पड़ रही है। टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का तेजी से बढ़ना इस समस्या को और गंभीर बना रहा है।
खासकर युवाओं में, काम का अत्यधिक तनाव और दिनचर्या में असंतुलन इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं। खुद का ख्याल न रखना, पर्याप्त नींद न लेना, और धूम्रपान या शराब जैसी आदतें भी दिल की बीमारियों को न्यौता देती हैं। जब आप अत्यधिक तनाव में होते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल (Cortisol) नामक तनाव हार्मोन उत्पन्न होता है। यह हार्मोन शरीर के रक्त प्रवाह को धीमा कर देता है, जिससे दिल को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती है।
याद रखें, तनाव धीमे जहर की तरह होता है, जो धीरे-धीरे आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। इसे अपनी जिंदगी पर हावी न होने दें और हमेशा मानसिक शांति को प्राथमिकता दें।
अपने हार्ट अटैक आने के Chances को जीरो कैसे करें?
जी हां, ऐसा हो सकता है कि आपको हार्ट अटैक आए ही न। एक ऐसा ही उपाय आज हम आपको बताने जा रहे हैं और न सिर्फ बताने जा रहे हैं, आपको कुछ ऐसे लोगों के इंटरव्यू भी दिखाते हैं, जिन्हें हार्ट अटैक आया था और इस उपाय के करने से उनकी दिल की बीमारी हमेशा-हमेशा के लिए ठीक हो गई।
उपाय है सतभक्ति।
सही पढ़ा आपने, भगवान की भक्ति करने से ये सारे रोग दूर हो जाते हैं। अब आप सोचेंगे कि हम भक्ति तो करते हैं। इसीलिए ऊपर सतभक्ति शब्द का इस्तेमाल किया गया था। सतभक्ति और भक्ति में इतना सा अंतर समझिए कि सतभक्ति शास्त्रों के आधार पर की जाती है और पारंपरिक भक्ति का कोई आधार नहीं होता है। कहने को ये अंतर मामूली सा है, लेकिन सारा खेल ही यही है। जब तक आपकी भक्ति साधना शास्त्रों के विपरीत है, आपको वो लाभ नहीं मिल सकते जो सतभक्ति से अपेक्षित होते हैं।
आज के दिन संत रामपाल जी महाराज ही वो पूर्ण संत हैं, जो सतभक्ति प्रदान करके मानव को सुखी करने का महापरोपकार कर रहे हैं। उन्होंने सभी धर्मों के सभी पवित्र शास्त्रों को खोलकर उनमें निहित भक्ति साधना को जनता के सामने उजागर किया है, जो हमसे छुपी हुई थी।
इसीलिए अब सभी तनाव और चिंताओं का ये उपाय हमें आजमाकर जरूर देखना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग रोजाना शाम 7:30 से 8:30 साधना चैनल पर देखे जा सकते हैं।
यूट्यूब पर जाकर भी उनके सत्संगों को सुना जा सकता है।
उनसे दीक्षा लेकर जिन लोगों को हार्ट अटैक और कैंसर जैसी बीमारियों से छुटकारा मिला है, उनमें से कुछ के साक्षात्कार (Interviews) यहां मौजूद हैं, आप उन्हें भी सुन सकते हैं।