इतालवी वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रकाश को सुपरसॉलिड की तरह व्यवहार करने का तरीका खोज लिया है, जो पदार्थ की एक विरल स्थिति है। पदार्थ के क्वांटम चरणों को समझने के लिए 5 मार्च को नेचर जर्नल में प्रकाशित उनके निष्कर्षों ने नए रास्ते खोले है। आगे हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि वैज्ञानिकों ने प्रकाश को ठोस अवस्था में कैसे बनाया? सुपरसॉलिड क्या है? और उसके क्या उपयोग है?
वैज्ञानिकों ने प्रकाश को ठोस अवस्था में कैसे बनाया
वैज्ञानिकों ने प्रकाश को ठोस अवस्था में लाने के लिए क्वांटम तकनीक का उपयोग करके प्रकाश में एक सुपरसॉलिडिटी अवस्था बनाई। जिसमें तरल को ठोस पदार्थ में बदलने के लिए तापमान को कम करना शामिल है। उन्होनें एल्युमीनियम गैलियम आर्सेनाइड से बने एक फोटोनिक सेमीकंडक्टर प्लेटफॉर्म पर काम किया। जिसमें फोटाॅनों में हेरफेर करके वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया कि प्रकाश भी इस व्यवहार को प्रदर्शित कर सकता है।
पहली बार वैज्ञानिकों ने सुपरसॉलिड तरीके से प्रकाश को ठोस बनाने में सफलता पायी है। इस उपलब्धि में एक महत्वपूर्ण क्वांटम भौतिकी में पत्थर का मील माना जा रहा है। जैसे-जैसे फोटॉनों की संख्या बढ़ी, वैज्ञानिकों ने देखा कि ये कण एक खास तरीके से एकजुट हो रहे थे, जिससे सुपरसॉलिडिटी का संकेत मिल रहा था।
क्या है सुपरसॉलिड
अबतक सुपरसॉलिडिटी को केवल बोस – आइंस्टीन कंडेन्सेट्स में देखा गया था। लेकिन वैज्ञानिको की खोज ने सिद्ध कर दिया कि प्रकाश भी इस तरह का अजीब और असामान्य व्यवहार दिखा सकता है। सुपरसॉलिड, यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें पदार्थ ठोस की तरह कठोर होता है। जब किसी पदार्थ को बहुत ठंडा किया जाता है, जिससे उसके परमाणु एक साथ ही क्वांटम अवस्था में पहुँच जाते है।
जिसे प्राप्त करना बहुत ही कठिन माना जाता था। वैज्ञानिकों ने सुपरसॉलिड को पहले केवल अत्यधिक ठंडे तापमान पर संभव पाया था। लेकिन अब वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए शोध में बताया गया कि अब सामान्य परिस्थितियों में भी यह अवस्था बनाई जा सकती है।
सुपरसॉलिड प्रकाश के उपयोग
सुपरसॉलिड प्रकाश में दो प्रकार की विशेषता पाई जाती है-
पहला – यह सुपरफ्लुइड की तरह अत्यंत कम तापमान पर बिना किसी घर्षण के बहती है।
दुसरा – यह एक ठोस के रूप में मजबुत है।
क्वांटम कंप्यूटरों के लिए स्थिर क्युबिट्स बनाने में सुपरसॉलिड प्रकाश का उपयोग किया जा सकता है। इसका परिणाम है कि कंप्यूटर की प्रोसेसिंग क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इसके अतिरिक्त यह फोटोनिक सर्किट्स, ऑप्टिकल डिवाइसेस और फंडामेंटल क्वांटम मैकेनिक अनुसंधान में भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है। आने वाले समय में वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक को और परिष्कृत किया जाएगा। जिससे बेहतर ढंग से सुपरसॉलिड लाइट को व्यवस्थित किया जाएगा।
FAQs
1.यह अनुसंधान किस साइंस फील्ड से संबंधित है?
Ans- भौतिक विज्ञान
2.इसकी खोज कब हुई?
Ans- 2025
3.इसकी खोज किसने की?
Ans- इतालवी वैज्ञानिकों की टीम ने।