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Home » संयुक्त परिवार से एकल परिवार तक: संस्कृति और सभ्यता का ह्रास

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संयुक्त परिवार से एकल परिवार तक: संस्कृति और सभ्यता का ह्रास

SA News
Last updated: April 9, 2025 12:31 pm
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संयुक्त परिवार से एकल परिवार तक संस्कृति और सभ्यता का ह्रास
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आज का समय आधुनिकता का युग कहा जाता है और अपनी पढ़ाई-लिखाई, बड़े मकान बनाना, कार खरीदना, नौकरी पा लेना और अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लेना—इन्हीं चीज़ों को आज आधुनिकता माना जाने लगा है। लेकिन इसी दौड़ में हम भूलते जा रहे हैं अपनी पुरानी पुश्तैनी परंपरा, संयुक्त परिवार की वह भावना जहाँ सभी सदस्य एक साथ रहते, निर्णय मिलकर लेते और बड़ों का सम्मान सर्वोपरि होता।

Contents
संयुक्त परिवार: परंपरा की वह नींव जिसे भुला दिया गयाएकल परिवार की ओर बढ़ता समाजआधुनिकता के नाम पर आत्मकेंद्रिततासंयुक्त परिवार के लाभभौतिक जीवन में संतुलन के लिए संयुक्त परिवार आवश्यक है, और आत्मिक उन्नति के लिए एक सच्चे सतगुरु का मार्गदर्शन जरूरीFAQs: संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार: परंपरा की वह नींव जिसे भुला दिया गया

पुराने ज़माने में गांवों में संयुक्त परिवार की व्यवस्था होती थी। परिवार का मुखिया सभी निर्णय लेता था और सभी उसका सम्मान करते थे। रिश्तों में मर्यादा, जीवन में शालीनता और संस्कार थे।

यह भी पढ़ें: ACP Pradyuman Death: क्या CID 2 में ACP प्रद्युमन का किरदार खत्म हो रहा है? जानें पूरी जानकारी

एकल परिवार की ओर बढ़ता समाज

आज लोग संयुक्त परिवार को छोड़कर एकल परिवार की ओर जा रहे हैं। इससे न केवल रिश्ते टूट रहे हैं, बल्कि सभ्यता, संस्कृति और मानवता भी समाप्त हो रही है। छोटे-बड़े का मान-सम्मान समाप्त हो रहा है।

आधुनिकता के नाम पर आत्मकेंद्रितता

अब लोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचाने से नहीं हिचकिचाते। मानवता का पतन हो रहा है। अप्रिय घटनाओं में आज लोग किसी की मदद करने के बजाय घटनाओं का वीडियो बनाना अधिक पसंद करते हैं।

संयुक्त परिवार के लाभ

• आपसी सहयोग और सामाजिक सुरक्षा

• स्वस्थ व पारंपरिक भोजन प्रणाली

• बड़ों का सम्मान, अनुशासन

• बच्चों को सामाजिक कौशल सीखने और भावनात्मक समर्थन प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

• आर्थिक और भावनात्मक स्थिरता

एकल परिवार की हानियाँ

• सामाजिक अलगाव और तनाव

• आर्थिक असुरक्षा

• बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

• पुरानी परंपराओं का अंत

भौतिक जीवन में संतुलन के लिए संयुक्त परिवार आवश्यक है, और आत्मिक उन्नति के लिए एक सच्चे सतगुरु का मार्गदर्शन जरूरी

जैसे संयुक्त परिवार हमारे भौतिक जीवन में सामूहिकता, प्रेम और सहयोग की शिक्षा देता है, वैसे ही आत्मिक जीवन के लिए भी हमें एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है।

संत रामपाल जी महाराज सतज्ञान के माध्यम से बता रहे हैं कि जिस प्रकार परिवार का मुखिया दिशा देता है, उसी प्रकार तत्वदर्शी संत आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाता है।

गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में भी कहा गया है कि तत्वदर्शी संत की शरण लेकर परमधाम की खोज करनी चाहिए।

संयुक्त परिवार हमें समाज से जोड़ता है, और सतज्ञान हमें परमात्मा से।

FAQs: संयुक्त परिवार

Q1. संयुक्त परिवार क्या होता है?

संयुक्त परिवार वह होता है जिसमें एक ही घर में माता-पिता, उनके बच्चे, बहुएं, पोते-पोतियां आदि एक साथ रहते हैं और निर्णय परिवार का मुखिया लेता है।

Q2. संयुक्त परिवार के क्या फायदे हैं?

इससे सामाजिक सहयोग, आर्थिक सुरक्षा, भावनात्मक समर्थन, और बच्चों के बेहतर विकास की संभावना रहती है।

Q3. एकल परिवार से क्या नुकसान हो सकते हैं?

एकल परिवार में सामाजिक अलगाव, आर्थिक बोझ, बच्चों में अनुशासन की कमी और संस्कृति का ह्रास होता है।

Q4. क्या संयुक्त परिवार प्रणाली फिर से अपनाई जा सकती है?

हां, यदि लोग आधुनिकता के साथ संतुलन बनाकर पुरानी परंपराओं का सम्मान करें तो संयुक्त परिवार को फिर से जीवित किया जा सकता है।

Q5. संयुक्त परिवार और सतगुरु का क्या संबंध है?जैसे संयुक्त परिवार में एक मार्गदर्शक होता है, वैसे ही आत्मा के जीवन में तत्वदर्शी संत का मार्गदर्शन ज़रूरी है।

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