नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025 – रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ़ Enforcement Directorate (ED) ने कड़ा रुख अपनाते हुए गुरुवार को lookout circular (LOC) जारी किया है। यह फैसला ₹3,000 करोड़ के कथित लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में लिया गया है। 1 अगस्त 2025 को जारी इस नोटिस के तहत 66 वर्षीय उद्योगपति को बिना कोर्ट की अनुमति के देश छोड़ने से रोक दिया गया है।
जांच एजेंसी का सख्त कदम
ED ने Anil Dhirubhai Ambani Group (ADAG) की वित्तीय अनियमितताओं की जांच को तेज़ करते हुए अनिल अंबानी को 5 अगस्त को अपने दिल्ली मुख्यालय में पेश होने का समन भेजा है। Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज किया जाएगा। यह कार्रवाई उस चल रही जांच का हिस्सा है जो उनके बिज़नेस कॉन्ग्लोमरेट की वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर की जा रही है।
मामले की पृष्ठभूमि: Yes Bank कनेक्शन
ED की कार्रवाई उन आरोपों पर आधारित है जिनमें 2017 से 2019 के बीच Yes Bank द्वारा रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को लगभग ₹3,000 करोड़ के लोन दिए गए थे। एजेंसी के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि सार्वजनिक धन को गलत दिशा में मोड़ने और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने की एक सुनियोजित स्कीम थी। सूत्रों के अनुसार, लोन की मंजूरी से ठीक पहले Yes Bank के प्रमोटरों से जुड़ी कंपनियों में फंड ट्रांसफर किए गए थे, जो संभावित रिश्वतखोरी का संकेत देता है।
जांच में यह भी सामने आया है कि Yes Bank की लोन अप्रूवल प्रक्रिया में गंभीर उल्लंघन हुए थे, जिसमें बैक-डेटेड Credit Approval Memoranda (CAMs), बिना उचित जांच के निवेश, और बैंक की क्रेडिट नीतियों के विपरीत फैसले शामिल हैं।
व्यापक लोन डायवर्जन का खुलासा
जांच का दायरा अब ₹17,000 करोड़ से अधिक के सामूहिक लोन डायवर्जन तक फैल गया है, जिसमें Reliance Infrastructure (R Infra) सहित कई ADAG कंपनियां शामिल हैं। Securities and Exchange Board of India (SEBI) की रिपोर्ट से पता चला है कि R Infra ने कथित तौर पर CLE नामक कंपनी के जरिए inter-corporate deposits (ICDs) के रूप में छुपाकर फंड्स को फनल किया था।
हालांकि, Reliance Infrastructure ने इन दावों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि यह मुद्दा एक दशक से अधिक पुराना है और इसमें ₹6,500 करोड़ का एक्सपोज़र था, जो एक सेवानिवृत्त Supreme Court के जज की देखरेख में मध्यस्थता के जरिए पूरी तरह वसूल किया गया था। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से इसके बोर्ड में नहीं हैं।
व्यापक छापेमारी और नए सुराग
24 जुलाई 2025 को ED ने अंबानी ग्रुप से जुड़े 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के 35 ठिकानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया था। मुंबई, दिल्ली, भुवनेश्वर और कोलकाता में तीन दिन तक चली इस छापेमारी में संदिग्ध वित्तीय लेन-देन और फर्जी बैंक गारंटी रैकेट के सबूत मिले हैं।
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विशेष रूप से, ED भुवनेश्वर स्थित Biswal Tradelink द्वारा Reliance NU BESS Ltd और Maharashtra Energy Generation Ltd की ओर से Solar Energy Corporation of India (SECI) को जारी की गई ₹68.2 करोड़ की कथित फर्जी बैंक गारंटी की जांच कर रहा है। यह गारंटी State Bank of India के समान दिखने वाले स्पूफ्ड डोमेन का उपयोग करके जारी की गई थी।
छुपे हुए बैंक खाते और संदिग्ध गतिविधियां
ED ने कई करोड़ रुपये के लेन-देन वाले अघोषित बैंक खातों की पहचान की है और सबूत मिले हैं कि मुख्य व्यक्ति “disappearing messages” सुविधा के साथ Telegram ऐप का उपयोग कर रहे थे, जो संचार को छुपाने के प्रयासों का संकेत देता है। एजेंसी के मामले को Central Bureau of Investigation (CBI), National Housing Bank, SEBI, National Financial Reporting Authority (NFRA), और Bank of Baroda सहित कई नियामक निकायों के इनपुट से बल मिला है।
CBI की FIRs (RC2242022A0002 और RC2242022A0003) में विशेष रूप से रिलायंस ग्रुप के भीतर RAAGA कंपनियों द्वारा लोन डायवर्जन, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं।
व्यापक वित्तीय अनियमितताएं
जांच में अन्य वित्तीय अनियमितताएं भी शामिल हैं। State Bank of India (SBI) ने हाल ही में Reliance Communications (RCom), एक अन्य ADAG इकाई, और अनिल अंबानी को Reserve Bank of India (RBI) दिशानिर्देशों के तहत “fraud” के रूप में वर्गीकृत किया है। इसमें ₹2,227 करोड़ से अधिक का लोन डिफॉल्ट और ₹786.52 करोड़ की बैंक गारंटी का हवाला दिया गया है।
RCom और Canara Bank से जुड़ा ₹1,050 करोड़ का अलग लोन फ्रॉड भी जांच के दायरे में है, साथ ही अघोषित विदेशी बैंक खाते और संपत्तियां भी शामिल हैं। इसके अलावा, ED Yes Bank के Additional Tier 1 (AT-1) bonds में Reliance Mutual Fund के ₹2,850 करोड़ के निवेश की भी जांच कर रहा है, जिसमें एक और quid pro quo व्यवस्था का संदेह है।
बाज़ार की प्रतिक्रिया और कॉर्पोरेट रेस्पॉन्स
lookout notice और summons की खबर से तेज़ बाज़ार प्रतिक्रिया हुई है। 1 अगस्त 2025 को Bombay Stock Exchange (BSE) पर Reliance Power और Reliance Infrastructure के शेयरों में 5% तक की गिरावट आई। Reliance Power का स्टॉक ₹50.30 और Reliance Infrastructure का ₹311.60 तक गिर गया।
दोनों कंपनियों ने आरोपों से दूरी बनाते हुए बयान जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि ED की कार्रवाई अन्य ग्रुप इकाइयों से जुड़े पुराने मामलों से संबंधित है और इसका उनके संचालन या stakeholders पर “बिल्कुल कोई प्रभाव” नहीं है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी चर्चा छेड़ी है, जहां पोस्ट्स में विविध भावनाएं दिख रही हैं। कुछ यूज़र्स ने ईडी की कार्रवाई की प्रशंसा करते हुए इसे वित्तीय अपराधों के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस की नीति का सबूत बताया है, जबकि अन्य ने जांच के समय और राजनीतिक प्रेरणाओं पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, ये भावनाएं अनिर्णायक हैं और तथ्यात्मक साक्ष्य के बजाय सार्वजनिक राय को दर्शाती हैं।
कानूनी निहितार्थ और आगे की राह
हवाई अड्डों और बंदरगाहों सहित सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर प्रसारित किया गया लुकआउट सर्कुलर यह सुनिश्चित करता है कि अंबानी को अनुमति के बिना भारत छोड़ने का प्रयास करने पर हिरासत में लिया जाएगा। जैसे ही ईडी उनसे और अन्य अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी कर रहा है, जांच से यस बैंक और एडीएजी कंपनियों के बीच कथित नेक्सस में और गहराई से जाने की उम्मीद है।
5 अगस्त की पूछताछ का परिणाम अंबानी के बिज़नेस साम्राज्य और भारत के कॉर्पोरेट परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जो हाई-प्रोफाइल वित्तीय दुराचार से निपटने के लिए ईडी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
निष्कर्ष: कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल
यह मामला भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वित्तीय पारदर्शिता के बारे में चल रही चिंताओं को उजागर करता है, जहां अनिल अंबानी की कानूनी परेशानियां बिज़नेस कम्युनिटी के लिए एक चेतावनी का काम कर रही हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, सभी की नज़रें ईडी के निष्कर्षों और नियामक निगरानी तथा जवाबदेही के लिए उनके व्यापक निहितार्थों पर होंगी।
यह घटनाक्रम दिखाता है कि वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कानून की नज़र में सभी बराबर हैं, चाहे वे कितने भी बड़े उद्योगपति हों। ईडी की यह कार्रवाई देश की वित्तीय व्यवस्था की सुरक्षा और निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।