मुंबई, जुलाई 2025: अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED की बड़ी कार्रवाई: भारतीय उद्योग जगत में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (RAAGA) की कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में 35 से अधिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित ₹3,000 करोड़ के यस बैंक लोन फ्रॉड और ₹14,000 करोड़ से अधिक की बैंक धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ी हुई है।
ED की छापेमारी: किन-किन ठिकानों पर हुई कार्रवाई?
प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई और दिल्ली-NCR में फैले लगभग 35 स्थानों पर छापा मारा। इन छापों में RAAGA से जुड़ी 50 कंपनियों और 25 से अधिक व्यक्तियों के कार्यालयों, आवासीय परिसरों और अन्य व्यावसायिक ठिकानों को शामिल किया गया।
इस जांच का केंद्रबिंदु अनिल अंबानी के नेतृत्व में संचालित कंपनियां हैं, जिनमें विशेष रूप से Reliance Communications (RCom) का नाम सामने आया है। ED को शक है कि इन कंपनियों ने बैंकों से लिए गए कर्ज को विभिन्न माध्यमों से डायवर्ट कर मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिया।
क्या है ₹3,000 करोड़ का यस बैंक लोन घोटाला?
ED की कार्रवाई Yes Bank द्वारा 2017 से 2019 के बीच दिए गए ऋणों की गैर-कानूनी मंजूरी से संबंधित है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्ज लेने से पहले ही कुछ प्रमोटर्स को रिश्वत स्वरूप भुगतान किया गया था। इसके बाद यह धन कई शेल कंपनियों और संबद्ध संस्थाओं में भेजकर कागजों में सही तरीके से निवेश दर्शाया गया।
इस घोटाले को “well-planned bribery-for-loan” स्कीम कहा जा रहा है, जिसमें कर्ज लेने वाले कंपनियों ने जानबूझकर CAMs (Credit Appraisal Memos) को बैकडेट कर बैंकों को गुमराह किया।
Reliance Communications पर गंभीर आरोप
RCom पर अकेले ₹14,000 करोड़ से अधिक के लोन फ्रॉड का आरोप है। State Bank of India (SBI) ने कंपनी के लोन अकाउंट को “फ्रॉडुलेंट” घोषित कर रिपोर्ट RBI को भेज दी है। SBI के अलावा Canara Bank ने भी ₹1,050 करोड़ की धोखाधड़ी का दावा किया है।
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इन आरोपों के अनुसार, RCom ने बैंक से लिए गए लोन को गलत तरीके से अन्य सहयोगी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया, जिससे इन फंड्स का असली इस्तेमाल कभी नहीं हुआ।
किन एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर हुई कार्रवाई?
ED की कार्रवाई केवल खुद की जांच पर आधारित नहीं है। इसमें SEBI, National Housing Bank, Bank of Baroda, NFRA और CBI जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं की जांच रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इन एजेंसियों ने ऋण मंजूरी की प्रक्रिया, नकदी प्रवाह, और कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों की विस्तृत जांच की थी।
रिलायंस ग्रुप की सफाई: “ऋण चुकाया जा चुका है”
Enforcement Directorate की छापेमारी पर Reliance Group ने अपनी ओर से आधिकारिक बयान जारी किया है। कंपनी का कहना है कि:
- जिन ऋणों की जांच हो रही है, वे 8 वर्ष पुराने हैं।
- सभी ऋण पूरी तरह से चुका दिए गए हैं।
- समूह की ओर से कोई गैर-कानूनी गतिविधि नहीं की गई।
- SEBI की रिपोर्ट को उन्होंने SAT (Securities Appellate Tribunal) में चुनौती दी है।
ग्रुप का दावा है कि उन्हें जांच प्रक्रिया में पूरा विश्वास है और वे सभी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग कर रहे हैं।
Reliance Power और Reliance Infrastructure का पक्ष
इस छापेमारी के बाद Reliance Group की दो अन्य कंपनियाँ – Reliance Power और Reliance Infrastructure – भी चर्चा में आ गईं। दोनों कंपनियों ने स्पष्टीकरण दिया कि:
“हमारी गतिविधियाँ RCom से स्वतंत्र हैं और ED की कार्रवाई से हमारे संचालन पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है।”
इससे निवेशकों में थोड़ी राहत देखने को मिली।
कानूनी मोर्चे पर अगला कदम क्या?
बैंकिंग सेक्टर और वित्तीय संस्थानों के अनुसार, SBI की ओर से RCom को “फ्रॉड” घोषित करना एक बड़ा कानूनी संकेत है। अब CBI इस केस में विस्तृत एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है। आने वाले दिनों में और भी कंपनियों व अधिकारियों को समन भेजे जा सकते हैं।
भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर एक और सवाल
अनिल अंबानी ग्रुप की यह स्थिति भारत के बड़े कॉरपोरेट घरानों की पारदर्शिता और बैंकिंग से उनके संबंधों पर सवाल उठाती है। यह कार्रवाई सिर्फ एक व्यक्ति या ग्रुप के खिलाफ नहीं, बल्कि एक सिस्टमेटिक धोखाधड़ी के खिलाफ है।
सरकार, वित्तीय एजेंसियां और न्यायपालिका की यह कोशिश साबित करती है कि भले ही कंपनी कितनी भी बड़ी हो, कानून से ऊपर कोई नहीं है।
क्या सत्ता और संपत्ति हमें सुरक्षित बना सकती है?
अनिल अंबानी जैसे उद्योगपति पर 14,000 करोड़ के घोटाले में ED की छापेमारी यह दर्शाती है कि कितना भी बड़ा इंसान क्यों न हो, पाप और धोखे की नींव पर बनी इमारत एक दिन ढह ही जाती है।
🔸 कबीर साहेब कहते हैं:
“पृथ्वीपति, चकवे गए जिनके चक्र चलंत,
रावण सरीखे कौन गिने ऐसे गए अनंत।।”
यह लोक रहने का नहीं है। चाहे राजा हो या रंक, सबको एक दिन काल ग्रस लेता है।
आज संत रामपाल जी महाराज वह तत्वज्ञान दे रहे हैं जिससे मनुष्य इस छलपूर्ण संसार से मुक्त होकर परमेश्वर के निज लोक में जा सकता है। उनके अनुयायी सतभक्ति अपनाकर अन्नपूर्णा मुहिम जैसे जनसेवा कार्यों से जुड़कर जीवन सफल बना रहे हैं।
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FAQs
1. अनिल अंबानी की किन कंपनियों पर ED ने छापेमारी की?
मुख्य रूप से Reliance Communications (RCom), Reliance Infratel, और अन्य 50 कंपनियाँ जो RAAGA (Reliance Anil Ambani Group) से जुड़ी हैं।
2. ED की कार्रवाई का मुख्य आधार क्या है?
₹3,000 करोड़ के Yes Bank लोन घोटाले और ₹14,000 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका।
3. क्या SBI ने RCom को फ्रॉड घोषित किया है?
हां, SBI ने RCom के लोन अकाउंट को “fraudulent” बताते हुए RBI को रिपोर्ट सौंपी है।
4. Reliance Group ने अपनी सफाई में क्या कहा है?
ग्रुप ने कहा कि लोन 8 साल पुराने हैं, सभी लोन चुका दिए गए हैं, और SEBI की रिपोर्ट को SAT में चुनौती दी गई है।
5. क्या यह कार्रवाई Reliance Power या Infra को प्रभावित करेगी?
नहीं, दोनों कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि उनकी गतिविधियाँ RCom से अलग हैं और उन्हें कोई वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ा है।