25 फरवरी 2025 की सुबह, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 5.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र बंगाल की खाड़ी में 91 किमी की गहराई में स्थित था। हालांकि, अब तक किसी भी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। भूकंप का असर केवल कोलकाता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ओडिशा और अन्य तटीय इलाकों में भी हल्के झटके महसूस किए गए।
क्या भारत में भूकंपीय गतिविधियां बढ़ रही हैं?
हाल के महीनों में भारत और उसके आसपास के इलाकों में भूकंपीय गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है।
- 17 फरवरी को दिल्ली में 4.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।
- 8 जनवरी को तिब्बत और नेपाल में भी हल्के झटके महसूस किए गए।
अब सवाल उठता है:
- क्या ये छोटे भूकंप आपस में जुड़े हुए हैं?
- या फिर यह पृथ्वी के अपनी ऊर्जा रिलीज करने का एक सामान्य तरीका है?
टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल और भूकंप
धरती के अंदर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हिलती रहती हैं। जब ये प्लेटें टकराती हैं या आपस में रगड़ती हैं, तो उनमें तनाव (Stress) बढ़ता है, जिससे भूकंप आते हैं।
- छोटे भूकंप इस ऊर्जा को धीरे-धीरे रिलीज कर सकते हैं, जिससे बड़े भूकंप की संभावना कम हो जाती है।
- लेकिन यदि यह ऊर्जा एकसाथ मुक्त होती है, तो विनाशकारी भूकंप आ सकता है।
दिल्ली-NCR क्यों भूकंप के निशाने पर है?
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंपीय रूप से संवेदनशील बनाती है। इसके तीन प्रमुख कारण हैं:
- दिल्ली हिमालयन टकराव ज़ोन से मात्र 250 किमी दूर है।
- तीन प्रमुख फॉल्ट लाइन्स यहां से गुजरती हैं:
- दिल्ली-हरिद्वार रिज
- महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट
- दिल्ली-सरगोधा रिज
- दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र IV में आता है, जो उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है।
जब हिमालय या हिंदूकुश क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप आता है, तो दिल्ली की कमजोर फॉल्ट लाइन्स उसकी तरंगों को बढ़ा देती हैं, जिससे यहां अधिक झटके महसूस होते हैं।
कोलकाता में भूकंप का असर
कोलकाता भूकंपीय क्षेत्र III में आता है, जो मध्यम तीव्रता के भूकंपों के लिए संवेदनशील है। हालांकि, यह दिल्ली या उत्तर-पूर्व भारत की तरह उच्च जोखिम वाला क्षेत्र नहीं है।
हाल ही में आए बंगाल की खाड़ी के भूकंप का केंद्र समुद्र के अंदर था, जिससे इसके झटके कोलकाता तक पहुंचे।
क्या दिल्ली और कोलकाता के भूकंप जुड़े हुए हैं?
वैज्ञानिकों के अनुसार, दिल्ली और कोलकाता में हाल ही में आए भूकंपों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। हालांकि, यह संकेत हो सकता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में टेक्टोनिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।
ये छोटे भूकंप भविष्य में किसी बड़े भूकंप की चेतावनी भी हो सकते हैं।
क्या करना चाहिए?
- भूकंप-रोधी इमारतों का निर्माण
- भूकंप सुरक्षा ड्रिल्स का पालन
- आपातकालीन योजनाएं तैयार रखना
अगर भविष्य में कोई बड़ा भूकंप आता है, तो दिल्ली और कोलकाता दोनों को सतर्क रहना होगा। ऐसे में भूकंप संबंधी जागरूकता और सुरक्षा उपायों का पालन बेहद जरूरी है।