Durga Ashtami 2024 (HINDI): हिन्दू संस्कृति नवरात्र का बहुत अधिक महत्व है। इस दौरान दुर्गा माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। खासतौर पर अष्टमी को दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है, और इस दिन माता के आठवें स्वरूप की विशेष पूजा होती है। नवरात्र के दौरान माता के नौ स्वरूपों में से पहला रूप शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी, और नौवां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध है।
Durga Ashtami 2024 (HINDI): दुर्गा अष्टमी
का पर्व इस वर्ष 9 अप्रैल को मनाया गया। इस दिन माता के आठवें स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू परंपरा में इसे अत्यधिक पवित्र दिन माना जाता है, क्योंकि यह नवरात्र का आठवां दिन होता है।
Durga Ashtami 2024: दुर्गा अष्टमी पर माता को प्रसन्न कैसे करें?
नवरात्र के इन पवित्र दिनों में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना और मंत्र जाप किया जाता है। लेकिन माता को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में वर्णित भक्ति विधि का पालन आवश्यक है। इस ज्ञान को केवल **पूर्ण संत** ही प्रदान कर सकते हैं, जो सही पूजा और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। ऐसे संत ही देवी-देवताओं और ब्रह्मा, विष्णु, महेश को प्रसन्न करने के मंत्र और विधि बताते हैं।
Durga Ashtami 2024: मनमानी पूजा
करने से माता दुर्गा प्रसन्न नहीं होतीं, बल्कि शास्त्रों में बताई गई विधि से की गई भक्ति से ही सुख और शांति प्राप्त होती है। *तत्वदर्शी संत* ही सच्ची भक्ति विधि प्रदान करते हैं और पूर्ण परमात्मा की जानकारी देते हैं, जिससे मोक्ष प्राप्त हो सकता है।
क्या आप जानते हैं कि दुर्गा माता त्रिदेवों की जननी हैं?
*दुर्गा माता* को त्रिदेव जननी कहा जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और शिव की माता हैं। देवी भागवत पुराण में इसका स्पष्ट वर्णन मिलता है, जहां ब्रह्मा जी बताते हैं कि दुर्गा ही वह शक्ति हैं जिन्होंने रज, सत और तम गुणों से ब्रह्मा, विष्णु, और शिव की उत्पत्ति की। ये तीनों देव जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसे हैं, जबकि पूर्ण परमात्मा अजन्मा और अमर हैं, जिन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की है।
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में इस सत्य को स्पष्ट करते हैं कि माया की शक्ति बहुत बड़ी है और इससे बचना केवल तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से ही संभव है।
Durga Ashtami 2024 (HINDI): पूर्ण परमात्मा कौन हैं?
पूर्ण परमात्मा की पहचान और उनका विवरण वेदों में मिलता है। ऋग्वेद और यजुर्वेद में कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा का जन्म सामान्य मनुष्यों की तरह नहीं होता, और उनकी परवरिश कुंवारी गायों के दूध से होती है। वे अपने तीसरे धाम, **सतलोक** से इस लोक में आते हैं और कवियों की भांति अपने ज्ञान को प्रस्तुत करते हैं।
क्या आप जानते हैं दुर्गा जी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की जननी है?
दुर्गा माता को त्रिदेवों की जननी माना जाता है, अर्थात् वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता हैं। ये तीनों देवता सृष्टि की रचना, संरक्षण और विनाश का कार्य करते हैं। दुर्गा देवी को त्रिदेव जननी, शक्ति स्वरूपा, अष्टांगी और प्रकृति देवी के नाम से भी जाना जाता है।
Durga Ashtami 2022 Hindi: ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता दुर्गा है इसका प्रमाण देवी भागवत महापुराण के 123 नंबर पेज पर मिलता है जहां ब्रह्मा जी कहते है कि रजगुण, तमगुण और सतगुण हम तीनों गुण ( रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी ) को उत्पन्न करने वाली आप ही हो, हमारा तो आविर्भाव यानी जन्म तथा तिरोभाव यानी मृत्यु होती है। यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का जन्म भी होता है और मृत्यु भी। यह अजर अमर पूर्ण परमात्मा नहीं हैं, जिसने इन सभी ब्रह्मांडों को बनाया वह पूर्ण परमात्मा तो कोई अन्य है।
गरीबदास जी महाराज जी अपनी वाणी में दुर्गा के बारे में कहते हैं कि:
माया काली नागिनी, अपने जाये खात।
कुण्डली में छोड़ै नहीं, सौ बातों की बात।।
यह कालबली का जाल है। निरंजन तक की भक्ति पूरे संत से नाम लेकर करेगें तो भी इस निरंजन की कुण्डली (इक्कीस ब्रह्माण्डों) से बाहर नहीं निकल सकते। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी निरंजन की कुण्डली में हैं। ये बेचारे अवतार धार कर आते हैं और जन्म-मृत्यु का चक्कर काटते रहते हैं।
अनन्त कोटि अवतार हैं, माया के गोविन्द।
कर्ता हो हो अवतरे, बहुर पड़े जग फंध।।
सतपुरुष कबीर साहिब जी की भक्ति से ही जीव मुक्त हो सकता है आइए जानते हैं पूर्ण परमात्मा कौन हैं? पूर्ण परमात्मा की जानकारी पवित्र वेदों में से
जो पूर्ण परमात्मा होता है उसकी परवरिश कुंवारी गायों के दूध से होती है। प्रमाण के लिये देखिये ऋग्वेद मंडल नंबर 09 सुक्त 01 मंत्र 09
अभीअममघ्न्यां उत श्रीणन्तिं धेनव: शिशुम् ।
सोममिन्द्रांय् पातवे।।
भावार्थ :- उस (सोमं) सौम्यस्वभाव वाले श्रद्धालु पुरूष को (शिशुं) कुमारावस्था में ही (अभि) सब प्रकार से (अघ्न्या:) अहिंसनी़य (धेनव:) गौवें (श्रीणन्ति) तृप्त करती हैं।
अर्थात् उस परमात्मा की बाल्यावस्था में तृप्ति कुंवारी गायों के दूध से होती है वह मां के गर्भ से जन्म नहीं लेता और न ही उसका शरीर नाड़ी तंत्र, शुक्राणु से बना होता है। प्रमाण (पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 के मंत्र 08 में वर्णित है )।
पूर्ण परमात्मा कवियों की तरह आचरण करता है देखिये प्रमाण ऋग्वेद मंडल नंबर 09 सुक्त 96 मंत्र 18
ऋषिमना य ऋषिकृत स्वर्षा सहस्त्राणीथ: पदवी: कवीनाम्
तृतीयम् धाम महिष: सिषा सन्त् सोम: विराजमानु राजति स्टुप ।।
अर्थात् जो पूर्ण परमात्मा होता है वह प्रसिद्ध कवियों की पदवी धारण करता है और अपने ज्ञान को लोकोक्तियों और वाणियों के माध्यम से प्रकट करता है वह परमात्मा अपने तीसरे मुक्ति धाम यानी सतलोक से स्वयं चलकर सशरीर इस मृत्यु लोक में आता है और अपने तत्वज्ञान को मनुष्य समाज के समक्ष स्वयं प्रस्तुत करता है। वह कविर्देव है।
आज पूर्ण संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार सच्ची भक्ति की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, पूरी दुनिया में लोगों को मार्गदर्शन दे रहे हैं। इस ज्ञान से लाभ उठाने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Visit करे।