त्योहार खुशी और उत्साह का समय होता है, लेकिन इस दौरान पटाखों की चमक-दमक में कई खतरे छिपे होते हैं, खासकर बच्चों के लिए। पटाखे जलाते समय लोगों और पर्यावरण को भारी नुकसान हो सकता है। दिवाली पर पटाखे चलाना बच्चों के लिए विशेष रूप से खुशी का कारण होता है। वे त्योहार का अर्थ पटाखे फोड़ने से ही जोड़ते हैं और साल भर इसका इंतजार करते हैं। जैसे ही दिवाली का महीना शुरू होता है, बच्चे धनतेरस से ही पटाखे फोड़ना शुरू कर देते हैं। कई बच्चे दशहरा, गणेश चतुर्थी, और सरस्वती पूजा जैसे अन्य त्योहारों पर भी पटाखे चलाने लगते हैं।
पटाखों से जुड़े खतरे और सावधानियां
मोहल्लों में देखा गया है कि युवा पटाखे चलाने के साथ-साथ उनके साथ खतरनाक स्टंट भी करते हैं, जिससे कई बार दुर्घटनाएं हो जाती हैं। यही कारण है कि पटाखों के कारण लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चों को समझाने और उनकी सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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पटाखों का त्याग कर सुरक्षित और सुखमय जीवन जीएं
पटाखों का अत्यधिक शोर और चमकदार प्रकाश आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है और दुकानों व मकानों में आग लगने जैसी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। त्योहारों के बाद अक्सर ऐसे हादसों की खबरें सामने आती हैं, जिनमें पटाखों के कारण कई लोगों की मौत तथा पर्यावरण प्रदूषित होने की खबर मिलती है।
पटाखों का उपयोग ना करें और अपने जीवन को सुरक्षित रखें। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान गंगा और “जीने की राह” पुस्तक में दिए आध्यात्मिक ज्ञान से लाभ उठाएं और जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाएं।