दिल्ली एम्स ने इमरजेंसी वार्ड में बढ़ती मरीज़ों की संख्या को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। वर्तमान में 200 बेड का इमरजेंसी वार्ड है, जिसे 400 बेड तक विस्तारित किया जाएगा। यह योजना 2025 के अंत तक पूरी होने की संभावना है।
एम्स हॉस्पिटल से संबंधित मुख्य जानकारी
1. इमरजेंसी वार्ड:200 बेड से 400 बेड तक विस्तार की योजना।
2. क्रिटिकल केयर ब्लॉक: 200 नए बेड का ब्लॉक जल्द शुरू होगा।
3. वन एम्स रेफरल पॉलिसी:सभी एम्स हॉस्पिटल्स को एक पोर्टल से जोड़ा जाएगा।
4. सामान्य बीमारियों का इलाज:डॉ. श्रीनिवास ने मरीज़ों से अपील की है कि सामान्य बीमारियों के लिए स्थानीय डॉक्टरों से संपर्क करें। एम्स को सुपर स्पेशियलिटी इलाज के लिए उपयोग में लाएं।
5. सुरक्षा सुधार:मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में रात के समय कड़े सुरक्षा नियम लागू।
एम्स में 400 बेड की इमरजेंसी वार्ड योजना: डॉ. श्रीनिवास का बड़ा ऐलान
एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. एम. श्रीनिवास ने घोषणा की कि इमरजेंसी वार्ड में बेड की संख्या को 200 से बढ़ाकर 400 किया जाएगा। यह कदम मरीज़ों को बेहतर और तेज़ चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए उठाया गया है।
दिल्ली एम्स में क्रिटिकल केयर ब्लॉक और नई सुविधाएं
एम्स जल्द ही 200 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक शुरू करेगा। इसके साथ ही बच्चों के लिए प्ले एरिया, लाइब्रेरी और हवाई अड्डे जैसे सुविधाजनक लाउंज बनाए जा रहे हैं।
वन एम्स रेफरल पॉलिसी: मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज
“वन एम्स रेफरल पॉलिसी” के तहत सभी एम्स हॉस्पिटल्स को एक पोर्टल पर जोड़ा जाएगा। मरीज़ों को उनके नज़दीकी एम्स में रेफर किया जाएगा, जिससे दिल्ली एम्स का बोझ कम होगा और सभी को समय पर इलाज मिलेगा।
AI तकनीक और सुरक्षा उपायों से लैस होगा दिल्ली एम्स
एम्स परिसर में सुरक्षा और सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए AI आधारित फेरी सिस्टम लागू किया गया है। यह तकनीक सुनिश्चित करती है कि भीड़भाड़ वाली और सुनसान जगहों पर बेहतर निगरानी हो।
मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में नई सुरक्षा व्यवस्था लागू
रात के समय मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में सामान्य लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। सुरक्षा के तहत महिला और पुरुष कर्मचारियों का अनुपात संतुलित किया गया है।
एम्स दिल्ली: मरीजों के लिए आधुनिक सुविधाओं का विस्तार
एम्स दिल्ली ने मरीजों के लिए आधुनिक तकनीकों और नई सुविधाओं का विस्तार किया है। इमरजेंसी वार्ड और क्रिटिकल केयर ब्लॉक के अलावा बच्चों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
रेफरल मरीजों के लिए तैयार हुआ सॉफ्टवेयर पोर्टल
एम्स ने रेफरल मरीजों के लिए एक सॉफ्टवेयर पोर्टल तैयार किया है, जिससे मरीज़ों को उनके नज़दीकी हॉस्पिटल में इलाज के लिए रेफर किया जा सकेगा। यह कदम दिल्ली एम्स पर मरीजों का दबाव कम करेगा।
एम्स में बच्चों के लिए प्ले एरिया और लाइब्रेरी की सुविधा
बच्चों के लिए एम्स दिल्ली ने खास इंतजाम किए हैं। यहां प्ले एरिया, लाइब्रेरी और एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं बच्चों को मानसिक शांति और आराम प्रदान करेंगी।
दिल्ली एम्स में इमरजेंसी सुविधाओं का तकनीकी विस्तार
दिल्ली एम्स में इमरजेंसी वार्ड का विस्तार और AI तकनीक आधारित सुविधाएं मरीज़ों के इलाज को तेज़ और सुविधाजनक बनाएंगी। यह कदम भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
इलाज, भक्ति और रोग पर संत रामपाल जी के विचार
संत रामपाल जी के अनुसार, इलाज का वास्तविक उद्देश्य शरीर की सेहत को ठीक करना है, लेकिन साथ ही आत्मा की भी उन्नति होनी चाहिए। जीवन के प्रत्येक कार्य में भक्ति को सर्वोत्तम स्थान देना चाहिए, ताकि आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का अवसर मिले। भक्ति और सच्ची आस्था ही सबसे बड़ा इलाज है। सभी बीमारियों का मुख्य कारण पाप कर्म और मन का अशुद्ध होना है। सच्चे गुरु के आशीर्वाद से शरीर और आत्मा दोनों को स्वस्थ किया जा सकता है।
AIIMS Delhi की सुविधाओं में होगा विस्तार से जुड़े FAQs
1. दिल्ली एम्स में वर्तमान में कितने बेड हैं?
वर्तमान में 200 बेड हैं। इन्हें 400 तक बढ़ाने की योजना है।
2. क्या एम्स में आयुष्मान कार्ड मान्य है?
हां, एम्स में आयुष्मान भारत योजना का लाभ लिया जा सकता है।
3. एम्स प्राइवेट है या सरकारी?
यह भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
4. दिल्ली एम्स में क्रिटिकल केयर ब्लॉक का क्या महत्व है?
दिल्ली एम्स में क्रिटिकल केयर ब्लॉक का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह गंभीर स्थिति वाले मरीज़ों को तत्काल और उच्च स्तर की देखभाल प्रदान करेगा। जल्द ही यहां 200 नए बेड जोड़े जाएंगे, जिससे इमरजेंसी सेवाओं का बोझ कम होगा और मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकेगा।
5. क्या दिल्ली एम्स में रात के समय मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में सुरक्षा नियमों में बदलाव किए गए हैं?
हां, दिल्ली एम्स ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक में रात के समय सामान्य लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है, ताकि अस्पताल में रात के समय महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।