श्रीनगर में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य रूहल्लाह मेहदी ने अनुच्छेद 370 के बाद लागू आरक्षण नीति का विरोध करते हुए आरक्षण नीति में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की। मेहदी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाया जाए।
सोमवार को छात्रों द्वारा एक व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसका नेतृत्व रूहल्लाह मेहदी ने किया। यह मार्च गुपकर रोड से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास तक निकाला गया। इस विरोध प्रदर्शन मार्च में पुलवामा के विधायक वहीद उर रहमान पारा, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिज़ा मुफ्ती, लागेट के विधायक शेख खुर्शीद और श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू भी सीएम आवास के बाहर छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे।
क्या है छात्रों की मांग?
छात्रों की मुख्य मांगें थीं – आरक्षित सीटों को 60 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करना और उस सरकारी आदेश को वापस लेना जिसमें आरक्षित श्रेणी के छात्रों को मेरिट के आधार पर सामान्य श्रेणी की सीट चुनने की अनुमति दी गई है। बता दे कि वर्तमान में सामान्य श्रेणी केवल 30% रह गई है, 70% सीटें विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षित है।
रूहल्लाह मेहदी का बयान
लोकसभा सदस्य रूहल्लाह मेहदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब्दुल्ला सरकार ओबीसी और एससी के बीच में आरक्षण संबंध बनाने में विफल रही है। मेहदी ने छात्रों का समर्थन करते हुए यह भी बताया कि अब्दुल्ला सरकार इस आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने में भी विफल रही है।
क्या है सरकार की प्रतिक्रिया ?
विरोध प्रदर्शन के बाद छात्रों के एक समूह ने मुख्यमंत्री के आवास पर उनसे मुलाकात की। अब्दुल्ला सरकार ने उन छात्रों से वादा करते हुए कहा कि इस मुद्दे को छः महीने में सुलझा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने छात्रों को दिलासा देते हुए कहा कि इस मुद्दे को लेकर मंत्रियों की उप- समिति काम कर रही है।
हालांकि, अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि अगर मंत्रियों की उप-समिति काम कर रही है, तो फिर पहले से ही ऐसा निर्णय क्यों लिया गया? यह विवाद जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति पर व्यापक बहस को जन्म दे रहा है।