चंडीगढ़, 13 सितंबर, 2024 – शहर-ए-खूबसूरत की शाम को दहला देने वाले विस्फोट के पीछे की काली करतूत का पर्दा आखिरकार उठ गया है। पंजाब पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर एक धमाकेदार कार्रवाई में मुख्य आरोपी को दबोच लिया है, जिससे एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का खुलासा हुआ है।
खून से सनी खालिस्तानी साजिश
11 सितंबर की शाम, जब चंडीगढ़ के विश्व प्रसिद्ध सेक्टर 10 में एक ग्रेनेड ने दहशत फैलाई, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह एक वैश्विक षड्यंत्र का हिस्सा होगा। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने न केवल आरोपी रोहन मसीह को पकड़ा, बल्कि अमेरिका में बैठे खालिस्तानी आका हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पशिया के काले कारनामों का भी पर्दाफाश किया।
मौत से खेलते रिटायर्ड प्रिंसिपल
विस्फोट का निशाना बने केके मल्होत्रा, एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, और उनकी पत्नी बाल-बाल बच गए। मल्होत्रा दंपति विस्फोट से ठीक पहले बरामदे से अंदर गए थे। क्या यह महज संयोग था या किस्मत का खेल, यह सवाल अब भी लोगों के जेहन में है।
आईएसआई का काला साया
जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस खूनी खेल में अहम भूमिका निभाई। सीमा पार से तस्करी किए गए ग्रेनेड ने एक बार फिर साबित किया कि पड़ोसी मुल्क की नापाक हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
बदले की आग में जलता खालिस्तान
हरप्रीत सिंह, जिसने विस्फोट की जिम्मेदारी ली, ने खुलासा किया कि यह 1986 के नकोदर पुलिस फायरिंग का बदला था। असल निशाना थे सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक जसकिरत सिंह चहल। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि खालिस्तानी आग अभी भी सुलग रही है, जो कभी भी भड़क सकती है।
हथियारों का जखीरा बरामद
रोहन मसीह की गिरफ्तारी के साथ पुलिस ने एक 9mm ग्लॉक पिस्तौल और गोला-बारूद भी बरामद किया। यह खुलासा बताता है कि आतंकी किस कदर मुस्तैद थे और कितना बड़ा नुकसान हो सकता था।
जम्मू-कश्मीर कनेक्शन
रोहन मसीह ने पूछताछ में बताया कि वह जम्मू-कश्मीर में बढ़ई का काम करता था। यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती है, जो दर्शाता है कि आतंकी नेटवर्क कैसे फैल रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी चुनौती
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा, “यह मामला दिखाता है कि हमारी लड़ाई सिर्फ आतंकवादियों से नहीं, बल्कि उनके वैश्विक नेटवर्क से भी है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा एजेंसियां हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
शहर में दहशत, लोगों में आक्रोश
चंडीगढ़ के निवासी इस घटना से स्तब्ध हैं। सेक्टर 10 की रहने वाली अनुराधा शर्मा ने कहा, “हम हमेशा सोचते थे कि चंडीगढ़ सुरक्षित है। अब हर पल डर लगता है।” स्थानीय व्यापारी संघ के अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने मांग की, “सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। हमारी सुरक्षा दांव पर है।”
राजनीतिक अखाड़े में घमासान
इस मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ गया है। सत्ताधारी दल ने कड़ी कार्रवाई का वादा किया है, जबकि विपक्ष सरकार पर हमलावर है। एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा, “हम आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।” विपक्ष के प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा, “यह सरकार की नाकामी है। सुरक्षा व्यवस्था की तत्काल समीक्षा होनी चाहिए।”
क्या है आगे की राह?
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक मेहता ने चेतावनी दी, “हमें अपनी रणनीति में बदलाव लाना होगा। खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा, सीमा सुरक्षा कड़ी करनी होगी, और युवाओं को गुमराह होने से बचाना होगा।”
एक धमाके ने खोली राष्ट्रीय सुरक्षा की पोल
चंडीगढ़ विस्फोट मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा अभी भी कई खतरों से घिरी है। खालिस्तानी आतंकवाद का भूत अभी जिंदा है, और उसे हराने के लिए एक लंबी लड़ाई की जरूरत है। क्या भारत इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है? यह सवाल हर भारतीय के मन में घूम रहा है।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, नए-नए खुलासे होंगे। दूसरे संदिग्ध की तलाश जारी है, जो अभी भी फरार है। सीसीटीवी फुटेज में दिखे दो संदिग्धों का पता लगाना अब पुलिस की प्राथमिकता है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक प्रयास तेज किए जा रहे हैं ताकि विदेशी धरती से भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
यह मामला सिर्फ एक विस्फोट का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की एक बड़ी चुनौती का है। आने वाले दिन बताएंगे कि क्या भारत इस चुनौती से पार पा सकेगा, और क्या हम अपने शहरों को फिर से सुरक्षित बना पाएंगे। चंडीगढ़ की यह घटना एक चेतावनी है – खतरा अभी टला नहीं है, सतर्कता बनाए रखनी होगी।
सुरक्षा से आध्यात्म तक: क्या है जीवन का सच्चा लक्ष्य?
जैसे-जैसे हम इस घटना की गहराई में जाते हैं, हम पाते हैं कि इसके मूल में मानवीय द्वेष, बदले की भावना और अज्ञानता है। क्या यह वक्त नहीं आ गया है कि हम अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य पर विचार करें? क्या हमारा लक्ष्य सिर्फ इस भौतिक संसार में सुरक्षित रहना है, या कुछ और भी है जो हमें खोजना चाहिए?
इस संदर्भ में, संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तकें “ज्ञान गंगा” और “जीने की राह” एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। ये पुस्तकें हमें बताती हैं कि सच्ची सुरक्षा और शांति आध्यात्मिक ज्ञान और सच्चे परमात्मा की भक्ति में निहित है। क्या हम सिर्फ भौतिक सुरक्षा की चिंता में अपना पूरा जीवन बिता देंगे, या फिर आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी कदम बढ़ाएंगे? आइए, हम सभी मिलकर न केवल एक सुरक्षित, बल्कि एक आध्यात्मिक रूप से जागृत समाज का निर्माण करें, जहां सच्चे ज्ञान और भक्ति की रोशनी हर दिल में जगमगाए।