कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे लोगों में खलबली मच गई। ट्रूडो के इस फैसले ने लोगों को अचंभित कर दिया। बताया जा रहा है कि ट्रूडो ने यह फैसला अपनी सरकार और व्यक्तिगत आलोचनाओं के कारण लिया। जस्टिन ट्रूडो लगभग 11 साल लिबरल पार्टी के नेता और 9 साल कनाडा के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रभावशाली व्यक्ति रहे। वह कनाडा के 23वें प्रधानमंत्री हैं।
क्या कहना है जस्टिन ट्रूडो का
जस्टिन ट्रूडो लंबे समय से आलोचनाओं का सामना करते आ रहे थे। वह डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों, प्रमुख मंत्रियों के इस्तीफे आदि परेशानियों से भी जूझ रहे थे। ट्रूडो ने यह भी बताया कि जब तक लिबरल पार्टी के लिए नया नेता नहीं चुना जाता, तब तक वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। इससे आगे उन्होंने कहा कि 24 मार्च तक संसदीय कार्यवाही भी स्थगित रहेगी।
क्या है पूरा मामला
जस्टिन ट्रूडो ने वर्ष 2013 में लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर पद संभाला था और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए यत्न शुरू कर दिए थे। पीएम ट्रुडो के इस्तीफे की मांग बीते वर्षों में जोर पकड़ती जा रही थी, जिसके परिणामस्वरूप 53 वर्षीय ट्रुडो ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की।
बताया जा रहा है कि जब वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने इस्तीफा दिया, तो पीएम जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की मांग तेज हो गई।
सूत्रों की माने तो Covid-19 जैसी महामारियों से जूझने के बाद बजट घाटा भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, जिससे कनाडा में महंगाई बढ़ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों का पीएम ट्रूडो के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया।
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