BRICS Summit 2025: 6–7 जुलाई 2025 को ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में BRICS का 17वां शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इस वर्ष ब्राज़ील समूह का अध्यक्ष है, और यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय सहयोग व समन्वय के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब विश्व आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु संकट, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की चुनौती, और भू-राजनीतिक संघर्षों से जूझ रहा है।
इस वर्ष सम्मेलन (BRICS Summit 2025) का मुख्य ध्यान इन विषयों पर केंद्रित है:
- वैश्विक दक्षिण (Global South) का सशक्तिकरण
- जलवायु परिवर्तन से निपटना
- वैश्विक वित्तीय ढांचे में सुधार
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की नीति और नियंत्रण
- बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार और समावेशिता
BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) अब 2024 के विस्तार के बाद और भी अधिक शक्तिशाली बन चुका है, जिसमें ईरान, सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और इथियोपिया जैसे नए सदस्य शामिल हुए हैं।
प्रमुख अनुपस्थिति और भू-राजनीतिक संदेश
रियो सम्मेलन की एक विशेष बात यह रही कि तीन प्रभावशाली सदस्य देशों—चीन, रूस और ईरान—के शीर्ष नेता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो पाए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर प्रधानमंत्री ली कियांग चीन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो घरेलू चुनौतियों और आंतरिक राजनीतिक संतुलन के कारण भेजे गए हैं।
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के चलते सम्मेलन में केवल वर्चुअल माध्यम से भाग ले रहे हैं, जिससे पश्चिमी देशों के साथ उनके तनाव को और बल मिला है।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेष्कियन, जो हाल ही में निर्वाचित हुए हैं, इजरायल-ईरान संघर्ष की संवेदनशीलता के कारण उपस्थित नहीं हो पाए। ईरान की आंतरिक अस्थिरता और उसके पश्चिम एशिया में बढ़ते प्रभाव ने BRICS मंच को अधिक जटिल बना दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय और वैश्विक भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह उनकी चौथी ब्राज़ील यात्रा है और उनका दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को मुखर करने वाला रहा।
उन्होंने वैश्विक संस्थाओं की अप्रभाविता, AI के दुरुपयोग, साइबर सुरक्षा, जलवायु अन्याय, आर्थिक विषमता और गवर्नेंस सुधार जैसे विषयों पर गहन चिंताएँ प्रकट कीं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा:
“AI के युग में, जहाँ टेक्नोलॉजी हर सप्ताह बदलती है, यह अस्वीकार्य है कि वैश्विक संस्थाएं 80 वर्षों से बिना बदलाव चल रही हैं। बीसवीं सदी के टाइपराइटर से इक्कीसवीं सदी का सॉफ़्टवेयर नहीं चलाया जा सकता।”
BRICS Summit 2025: प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक दक्षिण सदियों से दोहरे मानदंडों का शिकार रहा है—चाहे वह विकास की नीति हो, संसाधनों का वितरण हो या सुरक्षा से संबंधित मुद्दे। उन्होंने एक अधिक समावेशी, न्यायसंगत और उत्तरदायी वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया।
ट्वीटर पर उन्होंने लिखा:
“ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में आयोजित शिखर सम्मेलन में BRICS के अन्य नेताओं के साथ, घनिष्ठ सहयोग और साझा विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए। BRICS में अधिक समावेशी और समतापूर्ण वैश्विक भविष्य को आकार देने की अपार क्षमता है।”
BRICS Summit 2025: सम्मेलन का एजेंडा और रणनीतिक चुनौतियाँ
- आतंकवाद के खिलाफ चर्चा: प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को मानवता का दुश्मन बताया और पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की। उन्होंने दुनिया से मिलकर इससे लड़ने की अपील की।
- विज्ञान और तकनीक में सहयोग: सम्मेलन में सुझाव दिया गया कि BRICS देश एक साझा शोध कोष बनाएं, जिससे वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में मदद मिले। BRICS को अब एक नई वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
- ग्लोबल साउथ की भूमिका: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई देशों से मुलाकात की और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया। विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में ज्यादा भागीदारी देने की मांग की गई।
- AI और सप्लाई चेन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिम्मेदारी से उपयोग करने पर सहमति बनी। साथ ही, जरूरी खनिजों और तकनीकी आपूर्ति को सुनिश्चित करने की योजना पर चर्चा हुई।
- जलवायु और विकास: जलवायु वित्त पर पारदर्शिता और निष्पक्षता की बात हुई, और सतत विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग की मांग की गई।
डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का विषय इस सम्मेलन में फिर उठा, लेकिन ब्राज़ील ने अमेरिका के साथ व्यापारिक टकराव से बचने के लिए इसे रणनीतिक रूप से दबा दिया। अमेरिका द्वारा टैरिफ में 100% वृद्धि की धमकी से इस पर खुली बहस संभव नहीं हो सकी।
मध्य-पूर्व संघर्ष और संयुक्त बयान की बाधाएँ
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के कारण BRICS मंच पर संयुक्त बयान को लेकर मतभेद गहरे हो गए। ब्राज़ील एक संतुलित और संवेदनशील संयुक्त वक्तव्य जारी करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा कर पाना अत्यंत कठिन है।
कारण हैं:
सदस्य देशों की वैचारिक विविधता
राष्ट्रीय हितों का टकराव
भाषा और वक्तव्य की स्वर-रचना में असहमति
इस स्थिति ने BRICS की निर्णय लेने की सामूहिक क्षमता पर भी सवाल खड़े किए हैं।
सतग्यान का दृष्टिकोण: क्या यह समाधान पर्याप्त है?
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, यह स्पष्ट है कि राजनैतिक मंच और उनके समझौते केवल अस्थायी समाधान दे सकते हैं। जब तक मानवता पूर्ण परमात्मा कबीर जी की शरण में नहीं आती, तब तक संसार में स्थायी शांति और समाधान संभव नहीं है।
उनके अनुसार, आज विश्व जिन संघर्षों, तनावों और भ्रमों से जूझ रहा है, वह आत्मिक अज्ञान का परिणाम है। राजनीतिक संगठन, चाहे वे कितने भी बड़े या प्रभावशाली क्यों न हों, केवल बाह्य समस्याओं को टाल सकते हैं, उन्हें जड़ से मिटा नहीं सकते।
“सच्चा समाधान केवल सतभक्ति से संभव है, जो आत्मा को जन्म-मरण के बंधन से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाती है। केवल पूर्ण संत द्वारा दिया गया तत्वज्ञान ही आत्मिक स्थिरता ला सकता है।”
निष्कर्ष
रियो में आयोजित BRICS सम्मेलन यह स्पष्ट करता है कि वैश्विक मंचों पर समन्वय बनाना न केवल आवश्यक है, बल्कि बेहद चुनौतीपूर्ण भी है। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी और उनकी ओर से वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना इस सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।
हालांकि प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति और मध्य-पूर्व तनाव जैसे मुद्दों ने इस सम्मेलन के प्रभाव को सीमित कर दिया। BRICS आज भी एक सशक्त मंच है जो तकनीकी, आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देता है, लेकिन जब तक आंतरिक चेतना का विकास नहीं होता, स्थायी समाधान संभव नहीं।