महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक नई और महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत अब कक्षा 1 से ही छात्रों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य है कि छोटी उम्र से ही बच्चों में देशभक्ति, अनुशासन और ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को विकसित किया जाए।
यह घोषणा राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने नासिक में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की। उन्होंने इसे शैक्षिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम बताया। मंत्री भुसे के अनुसार, यह योजना न केवल बच्चों के सामाजिक, मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक होगी, बल्कि उन्हें एक ज़िम्मेदार और सजग नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करेगी।
अब सरकारी स्कूलों में मिलेगी बेसिक मिलिट्री शिक्षा से संबंधित ट्रेनिंग से जुड़े मुख्य बिंदु
- कक्षा 1 से ही बच्चों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाएगी।
- पूर्व सैनिकों की नियुक्ति – 2.5 लाख से अधिक पूर्व सैनिक इस योजना में शामिल किए जाएंगे।
- छात्रों में अनुशासन, नेतृत्व, आत्मविश्वास और कर्तव्यबोध की भावना विकसित की जाएगी।
- प्रशिक्षित NCC इंस्ट्रक्टर, स्काउट और गाइड प्रशिक्षक तथा फिजिकल एजुकेशन टीचर्स भी प्रशिक्षण देंगे।
- प्रशिक्षण का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और नैतिक रूप से बच्चों को सशक्त बनाना है।
- “राष्ट्र प्रथम” की सोच और देशसेवा की भावना बच्चों में बचपन से ही विकसित की जाएगी।
पूर्व सैनिकों की मदद से स्कूलों में मिलेगा सैन्य अनुशासन का प्रशिक्षण :
महाराष्ट्र सरकार ने स्कूली बच्चों के व्यक्तित्व विकास को ध्यान में रखते हुए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए राज्य सरकार 2.5 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों को जोड़ने जा रही है।
इसके साथ ही NCC इंस्ट्रक्टर, स्काउट और गाइड प्रशिक्षक, तथा प्रशिक्षित फिजिकल एजुकेशन टीचर्स को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि पूर्व सैनिकों के अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और अनुभव का सीधा लाभ बच्चों को मिलेगा। इससे छात्र न केवल शारीरिक रूप से मजबूत, बल्कि मानसिक और नैतिक रूप से भी सशक्त बन सकेंगे।
यह पहल बच्चों में देशभक्ति, अनुशासन, आत्मनिर्भरता और कर्तव्यनिष्ठा जैसी मूलभूत मानवीय और राष्ट्रीय भावनाओं को विकसित करने में सहायक होगी।
मिलिट्री शिक्षा योजना: स्कूल शिक्षा विभाग और पूर्व सैनिक मंत्रालय की संयुक्त पहल
महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग योजना को स्कूल शिक्षा विभाग और पूर्व सैनिक कल्याण मंत्रालय मिलकर क्रियान्वित करेंगे। इस योजना की कार्यनीति को अंतिम रूप देने के लिए हाल ही में स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे और पूर्व सैनिक कल्याण मंत्री शंभूराज देसाई के बीच महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई।
- बैठक में योजना की विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई, जिसमें प्रशिक्षण के स्वरूप, संरचना और भागीदारी के तरीकों पर सहमति बनी।
- योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण पूरी तरह स्वैच्छिक (Voluntary) होगा। छात्रों पर कोई बाध्यता नहीं होगी।
- पूर्व सैनिक इस योजना में नि:शुल्क भाग लेंगे, वे किसी प्रकार का मानदेय नहीं लेंगे, बल्कि समाजसेवा की भावना से जुड़ेंगे।
हैप्पी सैटरडे’ के साथ अब मिलिट्री अनुशासन: बच्चों के सम्पूर्ण विकास की दिशा में कदम
महाराष्ट्र सरकार की अभिनव पहल के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में पहले से संचालित ‘हैप्पी सैटरडे’ कार्यक्रम को अब और भी प्रभावशाली बनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में अब बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल की जाएंगी।
हर शनिवार, छात्रों के लिए एक घंटे का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, जो शारीरिक गतिविधियों और अनुशासन पर केंद्रित होगा।
इसका प्रमुख उद्देश्य है बच्चों को मोबाइल और अत्यधिक स्क्रीन टाइम से दूर रखना, और उन्हें फिजिकली एक्टिव, अनुशासित व जागरूक नागरिक बनाना।
सरकार का मानना है कि यह पहल बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगी और उनके अंदर देश के प्रति ज़िम्मेदारी और राष्ट्रप्रेम की भावना को भी सशक्त बनाएगी।
यह कार्यक्रम न केवल बच्चों की शारीरिक फिटनेस बढ़ाएगा, बल्कि उनमें टीमवर्क, नेतृत्व, समय-प्रबंधन और अनुशासन जैसे जीवन के आवश्यक गुणों का भी विकास करेगा।
नई योजना से पहले पायलट प्रोजेक्ट और मूल्यांकन ज़रूरी: महेंद्र गणपुले
महाराष्ट्र स्कूल प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख महेंद्र गणपुले ने सुझाव दिया है कि बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग योजना को राज्य के सभी स्कूलों में लागू करने से पहले चुनिंदा स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाए। उनका मानना है कि जब NCC, स्काउट और गाइड जैसे कार्यक्रम पहले से ही माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर मौजूद हैं, तो प्राथमिक स्तर पर एक नई प्रणाली लागू करने से पहले विस्तृत चर्चा, परीक्षण और मूल्यांकन आवश्यक है।
विशेषज्ञों की राय: बच्चों को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से ट्रेनिंग देने का तरीका सोच-समझकर तय करे
बाल मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि छोटे बच्चों पर मिलिट्री ट्रेनिंग जैसे कठोर अनुशासनात्मक मॉडल थोपने से उनकी रचनात्मकता, जिज्ञासा और सहज व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि इस प्रकार की ट्रेनिंग को खेलों, गतिविधियों और आनंददायक अभ्यासों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए, तो यह बच्चों के संतुलित मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है।
वे मानते हैं कि बचपन की शिक्षा को अनुशासन और आत्मविकास का माध्यम बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए तरीका मुलायम, रुचिकर और प्रेरणादायक होना चाहिए, न कि सख्त और बोझिल।
बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग योजना से जुड़े मुख्य FAQs
1. यह योजना किस कक्षा से शुरू होगी?
उत्तर : यह योजना कक्षा 1 से लागू करने की योजना है, ताकि बच्चों में छोटी उम्र से ही अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित की जा सके।
2 . इस योजना के लिए ट्रेनर कौन होंगे?
उत्तर : ट्रेनिंग के लिए पूर्व सैनिक, NCC इंस्ट्रक्टर, स्काउट और गाइड प्रशिक्षक तथा प्रशिक्षित फिजिकल एजुकेशन टीचर्स को शामिल किया जाएगा।
3 . ट्रेनिंग का उद्देश्य क्या है?
उत्तर : बच्चों को फिजिकली एक्टिव, अनुशासित, और देशभक्त नागरिक बनाना। साथ ही, स्क्रीन टाइम कम करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना।
4.इस योजना को कौन-से विभाग मिलकर संचालित करेंगे?
उत्तर : इस योजना को स्कूल शिक्षा विभाग और पूर्व सैनिक कल्याण मंत्रालय संयुक्त रूप से लागू करेंगे।
5. प्रशिक्षण किस दिन और किस समय पर होगा?
उत्तर : प्रशिक्षण मुख्य रूप से ‘हैप्पी सैटरडे’ कार्यक्रम के तहत हर शनिवार, एक घंटे के विशेष सत्र में आयोजित किया जाएगा।