आज प्रकृति के साथ छेड़छाड़ सभी के लिए घातक सिद्ध हो रही है। मानव अपनी बेहिसाब आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने पर उतारू है। वर्तमान में ऐसा ही कुछ अरावली पर्वत श्रृंखला के खनन के रूप में हो रहा है, जिससे बड़े नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। यह खनन अत्यंत हानिकारक साबित हो रहा है। इसके कारण न केवल मानव, बल्कि पशु, पक्षी, छोटे-बड़े वन्यजीव, जलचर और नभचर सभी पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। कई ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं।
अरावली पर्वतमाला का खनन: प्रकृति के लिए गंभीर खतरा
अरावली पर्वतमाला में खनन की बढ़ती गतिविधियाँ प्रकृति के लिए एक गंभीर खतरा बन गई हैं। इस क्षेत्र में हो रहे खनन से वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के आवास नष्ट हो रहे हैं।
खनन के कारण अरावली की पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह क्षेत्र अपनी जैव-विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन खनन के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई हैं।
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इसके अतिरिक्त, खनन की वजह से अरावली के जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। जल संसाधनों की यह क्षति स्थानीय लोगों के लिए पेयजल संकट पैदा कर रही है। इस प्रकार, खनन न केवल पर्यावरण को बल्कि मानव जीवन को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
अरावली पर्वतमाला के खनन से नकारात्मक प्रभाव
1. जल संकट: अरावली की पहाड़ियों में जल संचयन की क्षमता अत्यंत अधिक है, जो जल संकट को कम करने में मदद करती है। यदि अरावली की पहाड़ियाँ नष्ट हो जाती हैं, तो जल संकट और भी गंभीर हो सकता है।
2. वायु प्रदूषण: अरावली की पहाड़ियों में वनस्पतियों और पेड़ों की बहुतायत है, जो वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक होती है। यदि ये पहाड़ियाँ नष्ट होती हैं, तो वायु प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है।
3. मिट्टी का क्षरण: अरावली की पहाड़ियों में मिट्टी का क्षरण नियंत्रित रहता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है। यदि ये पहाड़ियाँ नष्ट हो जाती हैं, तो मिट्टी का क्षरण बढ़ेगा और जल प्रदूषण भी अधिक होगा।
4. जैव विविधता की हानि: अरावली की पहाड़ियों में समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है, जो कई प्रकार के पौधों और जानवरों के आवास के रूप में कार्य करती है। यदि यह क्षेत्र नष्ट हो गया, तो जैव विविधता का भारी नुकसान होगा।
5. स्थानीय समुदायों की हानि: अरावली की पहाड़ियों पर कई स्थानीय समुदाय निर्भर हैं। यदि ये पहाड़ियाँ नष्ट होती हैं, तो स्थानीय लोगों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
अरावली के नष्ट होने से अन्य नुकसान
1. मौसम पैटर्न में बदलाव: अरावली की पहाड़ियाँ मौसम पैटर्न को संतुलित रखने में मदद करती हैं। इनके नष्ट होने से सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
2. जलवायु परिवर्तन: अरावली की पहाड़ियों का विनाश जलवायु परिवर्तन की समस्या को और गंभीर बना सकता है। ये पहाड़ियाँ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती हैं, लेकिन इनके नष्ट होने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ सकता है।
3. भूमि क्षरण: अरावली की पहाड़ियाँ मिट्टी को स्थिर रखने में सहायक होती हैं। इनके नष्ट होने से भूमि क्षरण की समस्या गंभीर हो जाएगी।
4. पशुओं के आवास की हानि: अरावली की पहाड़ियों में कई पशुओं के आवास हैं, जिनमें कुछ लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी शामिल हैं। इनके विनाश से इन जीवों के आवास समाप्त हो सकते हैं।
5. पर्यटन उद्योग की हानि: अरावली क्षेत्र पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है। इसके नष्ट होने से पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान होगा, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित होगी।
निष्कर्ष
इन नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, अरावली की पहाड़ियों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। इनका विनाश न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाएगा, बल्कि मानव जीवन पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा।