प्रयागराज: बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दिए जाने के बाद किन्नर अखाड़े में विवाद गहरा गया है। अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास ने इस पदवी को वापस ले लिया है, जिससे अब ममता कुलकर्णी इस पद पर नहीं रहेंगी। इसके साथ ही, उन्हें महामंडलेश्वर घोषित करने वाली आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी अखाड़े से अलग कर दिया गया है। अब वे भी अपने पद पर नहीं रहेंगी।
मुख्य बिंदु:- ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनने विवाद
- ऋषि अजयदास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को महामंडलेश्वर पद से विमुक्त किया।
- अजयदास ने जताई आपत्ति: किन्नर अखाड़े के मूल पहचान से छेड़खान।
- महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ कारवाई।
- लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ऋषि अजय दास के आरोपों को बताया निराधार, किया पलटवार।
ऋषि अजयदास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से मुक्त किया
किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास ने घोषणा करते हुए बताया कि उज्जैन कुंभ 2015-16 में आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को उनके पद से हटा दिया गया है। उनका कहना है कि यह पद उन्हें धार्मिक प्रचार-प्रसार और किन्नर समाज के उत्थान के उद्देश्य से दिया गया था, लेकिन वे अपने मार्ग से भटक गई हैं।
ऋषि अजयदास के अनुसार, बिना उनकी सहमति के 2019 प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़े के साथ एक लिखित अनुबंध किया गया, जिसे उन्होंने अनैतिक और कानूनी रूप से गलत बताया। उन्होंने इसे एक तरह की धोखाधड़ी करार देते हुए कहा कि संस्थापक की सहमति और हस्ताक्षर के बिना यह अनुबंध वैध नहीं माना जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि इस समझौते में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को मान्यता दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सनातन धर्म में 13 नहीं, बल्कि 14 अखाड़े स्वीकार किए गए हैं।
ऋषि अजयदास ने आगे कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने न केवल असंवैधानिक निर्णय लिया, बल्कि सनातन धर्म और देशहित की परंपराओं को भी दरकिनार कर दिया। उन्होंने फिल्मी दुनिया से जुड़ी ममता कुलकर्णी, जिनका नाम विवादों में रह चुका है, को बिना धार्मिक रीति-रिवाजों और अखाड़े की परंपराओं का पालन किए सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान कर दी।
ऋषि अजयदास ने कहा किन्नर अखाड़े के प्रतीकों के साथ की गई छेड़छाड़
ऋषि अजयदास ने आगे कहा कि किन्नर अखाड़े के नाम पर जूना अखाड़े के साथ अवैध अनुबंध किया गया, जिससे अखाड़े के प्रतीक चिन्हों को भी नुकसान पहुंचाया गया है। उनका आरोप है कि न तो ये लोग जूना अखाड़े की परंपराओं का पालन कर रहे हैं और न ही किन्नर अखाड़े के मूल सिद्धांतों का उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किन्नर अखाड़े की स्थापना के समय गले में वैजयंती माला धारण कराई गई थी, जो श्रृंगार का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन इसे छोड़कर अब रुद्राक्ष की माला अपनाई गई है, जो संन्यास का प्रतीक होती है। ऋषि अजयदास के अनुसार, बिना मुंडन संस्कार के संन्यास मान्य नहीं होता, इसलिए यह समाज और सनातन धर्म प्रेमियों के साथ एक प्रकार का छलावा है।
हालांकि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस निर्णय को अनुचित बताया है। कहा कि अजय दास को किन्नर अखाड़े से पहले से ही निकाला जा चुका है, वह किस हैसियत से कार्रवाई कर सकते हैं।
महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई
बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दिए जाने को लेकर किन्नर अखाड़े में विरोध तेज हो गया था। इस फैसले पर अखाड़े के भीतर ही असहमति देखी गई, जिससे आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई थी। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजयदास और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए। स्थिति को देखते हुए अजयदास ने बड़ा फैसला लेते हुए न केवल लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से मुक्त कर दिया, बल्कि ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर पदवी भी समाप्त कर दी।
महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का पलटवार, अजय दास के आरोपों को बताया निराधार
किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ऋषि अजयदास के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अजयदास कभी किन्नर अखाड़े के संस्थापक थे, लेकिन बाद में उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ दिया और अब गृहस्थ जीवन बिता रहे हैं। त्रिपाठी के अनुसार, अजयदास वर्तमान में जयपुर में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं और महाकुंभ मेले के दौरान प्रयागराज आए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अजयदास कंप्यूटर बाबा के शिविर में रहकर खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बता रहे हैं। त्रिपाठी ने कहा कि अगर वे सच में अखाड़े का हिस्सा हैं, तो उन्हें सामने आकर सीधे संवाद करना चाहिए।